
क्या है श्यामा प्रसाद मुखर्जी नेशनल रुर्बन मिशन
श्यामा प्रसाद मुखर्जी नेशनल रुर्बन मिशन: कहा जाता है कि भारत की जान उसके गांवों में बसती है। इस बात में कोई दो राय भी नहीं है क्योंकि आख़िर भारत में ज्यादातर लोग फसलों पर और खेती पर अपने जीवन बसर के लिए निर्भर रहते हैं। यह मुख्य तौर पर गांव में ही होती है। कई ऐसे गांव भी है जो कि एक दूसरे के बिल्कुल सटे हुए लगे हुए हैं और उन में बसे हुए लोगों की संख्या भी काफी ज्यादा है।
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इसी वजह से उन गांव को एक अलग नाम दिया गया है और साथ ही साथ वह विकास शील भी हैं। यह गांव शहरों की तरह है विकासशील हुआ करते हैं और इसी वजह से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इन गांवों को विकास के और मौके देना चाहती है।

सरकार इन गांवों में और भी ज्यादा विकास करना चाहती है। इसी वजह से सरकार ने एक नई योजना यानी कि मिशन की शुरुआत की है। इस मिशन का नाम श्यामा प्रसाद मुखर्जी नेशनल रुर्बन मिशन है। यह योजना गांव के लिए बहुत ही ज्यादा फायदेमंद है और आज हम आपको इसी योजना और उसके फायदों के बारे में बताने जा रहे हैं।
क्या है श्यामा प्रसाद मुखर्जी नेशनल रुर्बन मिशन?
श्यामा प्रसाद मुखर्जी नेशनल रुर्बन मिशन, लोकेशन प्लानिंग पर आधारित रुर्बन क्लस्टर विकास मॉडल है जोकि गांव के लिए है। यह देश भर में ग्रामीण समूहों की पहचान करता है । इसमें उन ग्रामीण इलाकों को चुना जाता है जहां शहरीकरण के बढ़ते संकेत जैसे कि शहरी घनत्व में वृद्धि, गैर-कृषि रोजगार के उच्च स्तर, बढ़ती हुई आर्थिक गतिविधि और शहरीकरण के अन्य लक्षण पाए जाते हैं। इसके बाद इस योजना के तहत इन ग्रामीण इलाकों में विकास के लिए संसाधन दिए जाते हैं।
इस योजना की शुरुआत भारत की केंद्र सरकार ने की थी। इसकी शुरुआत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 21 फरवरी 2016 को की गई थी। इस योजना का अनुमोदन तकरीबन 5142 करोड़ रुपए के खर्च से किया गया था।
भारत देश में ऐसे कई गांव है जो कि विकासशील हैं और वहां पर गैर कृषि रोजगार, आर्थिक गतिविधि में बढ़ोतरी जैसे संकेत मिलते हैं। इन गांवो की जनसंख्या भी काफी ज्यादा होती है । ऐसे गांव के लिए एक अलग नाम सुझाया गया है और इन्हें रुर्बन क्लस्टर कहा जाता है। इसी योजना के अंतर्गत सभी राज्यों में रुर्बन क्लस्टर के नाम से तीन सौ विकास क्लस्टरों को विकसित किया जाएगा जिसमें की प्रत्येक क्लस्टर में आसपास बसे पांच से छह गांव शामिल होंगे। इसमें विकास के लिए हर क्लस्टर को समय-समय पर कुछ रुपए दिए जाएंगे।
क्या है रुर्बन क्लस्टर?*
भारत में गांव की संख्या बहुत ज्यादा है। इसी में से वह मैदानी और तटीय गांव जहां पर आबादी 25,000 से 50,000 से अधिक होती है या फिर रेगिस्तान, पहाड़ी या आदिवासी क्षेत्रों में जहां 5,000 से 15,000 की आबादी के साथ मौजूद गांवों का एक समूह है। इसी गांव के समूह को रुर्बन क्लस्टर कहा जाता है। भारत की सरकार इन्हीं के लिए विस्तारित तौर पर यह योजना लेकर आई है।
प्रत्येक ग्राम क्लस्टर ग्राम पंचायतों के प्रशासनिक अभिसरण की इकाई है ।यह सभी ग्राम क्लस्टर प्रशासनिक सुविधा के लिए ब्लॉक/तहसील के अंतर्गत कार्य करते हैं।
कैसे होता है गांव का चयन?
इस योजना में हर गांव नहीं आ सकता। गांवों के चयन के लिए भी इस योजना में अलग-अलग पात्रता होती है। किसी गांव को इस योजना के तहत चयनित करने के लिए कुछ घटकों पर इनको आंका जाता है –
(i) सोशल इन्फ्रास्ट्रक्चर
इसमें इस बात पर ध्यान दिया जाता है कि गांव का इंफ्रास्ट्रक्चर किस प्रकार का है।
(ii) रूरल हाउसिंग
कई ऐसे गांव होते हैं जहां पर पक्के मकान होते हैं और कई जहां पर ज्यादातर संख्या में कच्चे मकान होते हैं। इसी बात को ध्यान में रखकर गांवों को इस योजना में शामिल किया जाता है।
(iii) एग्री-सर्विसेज प्रोसेसिंग एंड अलाइड एक्टिविटीज़
गांव में रह रहे लोग किस प्रकार से खेती-बाड़ी करते हैं इस पर भी विशेष ध्यान दिया जाता। जैसे कि कई गांव के लोग खेती-बाड़ी के लिए मॉडर्न संसाधनों का उपयोग करते हैं।
(iv) विद्युतीकरण स्पोर्ट्स इन्फ्रास्ट्रक्चर
(v) गाँव की सड़कों तक पहुँच
(vi) गाँव की आंतरिक सड़कें
कई गांव में तो उससे भी नहीं बनी होती हैं वहीं कुछ ऐसे होते हैं जहां पर पक्की सड़कों का निर्माण पहले ही हो चुका होता है।
(vii) पाइप्ड वाटर सप्लाई
(viii) स्किल डेवलपमेंट ट्रेनिंग
(ix) एलपीजी गैस कनेक्शन
(x) स्वास्थ्य
(xi) शिक्षा
(xii) डिजिटल साक्षरता
(xiii) नागरिक सेवा केंद्र
(xiv) ठोस और तरल अपशिष्ट प्रबंधन
(xv) पर्यावरण
(xvi) रोजगार सृजन और SHG निर्माण
(xvii) पर्यटन संवर्धन
(xviii) ग्राम सड़क रोशनी
(xix) स्वच्छता
(xx) सार्वजनिक परिवहन
(xxi) समाज कल्याण
क्या है योजना की आवश्यकता?
इस मिशन का उद्देश्य स्थानीय स्तर पर आर्थिक विकास को एक नई गति देना है।भारत की जनगणना के आंकड़ों के अनुसार भारत की ग्रामीण आबादी 833 मिलियन है। यह भारत की कुल आबादी का 68% है।देश में ग्रामीण क्षेत्रों का विशाल खंड अकेली बस्ती का हिस्सा नही है बल्कि वह बस्तियों के क्लस्टरों का हिस्सा है। इन क्लस्टरों में विकास की अत्यधिक संभावना होती है। इसलिए इसे ध्यान में रखते हएु भारत सरकार ने श्यामा प्रसाद मुखर्जी रुर्बन मिशन का शुभारंभ किया है।
क्या होती है योजना की प्रक्रिया?
यह योजना एक बहुत ही महत्वकांशी और विस्तृत योजना है। इसी वजह से इस योजना को लागू करने के लिए भी एक चरणबद्ध प्रक्रिया को अपनाना जरूरी था। सरकार ने इसी वजह से राज्य सरकारों को चरण-दर-चरण प्रक्रिया अपनाने के दृष्टिकोण के बारे में बताया। इसके लिए राज्य सरकारें कुछ इस प्रकार से चयन करती हैं –
चरण 1
राज्य-स्तरीय नोडल एजेंसी (एसएनए) की नियुक्ति की जाती है।
चरण 2
एसएलईसी का गठन किया जाता है। यह गठन सचिव की अध्यक्षता में किया जाता है।
चरण 3
राज्य तकनीकी सहायता एजेंसियों (एसटीएसए) का निर्धारण किया जाता है।
चरण 4
क्लस्टरों का चयन होता है ताकि उनपर विकास का कार्य किया जा सके।
चरण 5
रुर्बन क्लस्टर का अनुमोदन होता है।
चरण 6
जिला-स्तरीय समितियों का गठन किया जाता है।
चरण 7
आईसीएपी तैयार की जाती हैं।
चरण 8
राज्य परियोजना प्रबंधन इकाई की स्थापना की जाती है।
चरण 9
राज्य के बाद जिला परियोजना प्रबंधन इकाई की स्थापना होती है।
चरण 10
एसएलईसी द्वारा आईसीएपी का अनुमोदन एवं जांच की जाती है।
चरण 11
ग्रामीण विकास मंत्रालय का आईसीएपी एव सीजीएफ आवेदन की प्रस्तुति की जाती है ताकि वह उसे स्वीकृति प्रदान कर सके।
चरण 12
डीपीआर तैयार किया जाता है।
चरण 13
अनुमोदित डीपीआर और सीजीएफ आवेदनों को एसएलईसी को प्रस्तुत किया जाता है।
चरण 14
अनुमोदित सीजीएफ आवेदनों को ग्रामीण विकास मंत्रालय को प्रस्तुत करते हैं।
चरण 15
इसके बाद चुने गए कार्यस्थलों पर कार्यकलापों की शुरूआत हो जाती है।
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क्या हैं लाभ?
इस योजना के तहत ग्रामीण क्षेत्रों में गरीबी और बेरोजगारी को दूर करने के उद्देश्य से स्थानीय आर्थिक विकास को प्रोत्साहित किया जाएगा और निवेश को बढ़ावा भी दिया जाएगा। बस स्टॉप का निर्माण , पेयजल सुविधाएं जैसे आरओ या वाटर एटीएम लगाना,गांवों में विद्युतीकरण का कार्य, कौशल विकास प्रशिक्षण, कृषि सेवा, भंडारण और वेयर हाउसिंग, मोबाइल हेल्थ यूनिट, विद्यालय, स्वच्छ पानी की पूर्ति, स्ट्रीट लाइट, संपर्क मार्ग, डिजिटल साक्षरता, ई-ग्राम के अलावा सर्विसेज सेंटर स्थापित कर गांव को भी शहर जैसा विकसित बनाने की योजना है।