लोकसभा में महिला आरक्षण बिल पर वोटिंग, शाह बोले- चुनाव के बाद होगी परिसीमन-जनगणना
महिला आरक्षण बिल पर वोटिंग के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी मौजूद
नई दिल्ली: संसद के विशेष सत्र का बुधवार (20 सितंबर) को तीसरा दिन है। लोकसभा में महिला आरक्षण बिल (नारी शक्ति वंदन विधेयक) पर मतदान शुरू हो गया है। वोटिंग पर्ची से हो रही है, जिसमें भाग लेने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सदन में पहुंच गए हैं। इससे पहले बहस का जवाब केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भी दिया। उन्होंने कहा कि संविधान के संशोधित करने वाले 128वें संशोधन पर बात करने के लिए मैं यहां खड़ा हूं। ये कहते ही विपक्ष का हंगामा शुरू कर दिया। इस पर शाह मुस्कुराते हुए राहुल गांधी की तरह बोले- ‘डरो मत।’
अमित शाह ने कहा कि चुनाव के बाद तुरंत ही जनगणना और डिलिटिटेशन होगा और महिलाएं की भागीदारी जल्द ही सदन में बढ़ेगी। विरोध करने से रिजर्वेशन जल्दी नहीं आएगा। उन्होंने कहा कि महिला आरक्षण बिल युग बदलने वाला विधेयक है। कल का दिन भारतीय संसद के इतिहास में स्वर्ण अक्षरों से लिखा जाएगा। कल नए सदन का पहली बार श्री गणेश हुआ, कल गणेश चतुर्थी थी और पहली बार कई सालों से लंबित पड़े बिल को पास किया गया। देश में एससी-एसटी के लिए जितनी सीटें आरक्षित हैं, उनमें से भी 33 प्रतिशत महिलाओं के लिए आरक्षित हो जाएंगी।
ये मुद्दा राजनीति नहीं, बल्कि मान्यता का है: शाह
केंद्रीय गृह मंत्री शाह ने कहा कि कुछ लोगों के लिए महिला सशक्तीकरण चुनाव जीतने का मुद्दा हो सकता है, लेकिन मेरी पार्टी और मेरे नेता मोदी के लिए यह मुद्दा राजनीति नहीं, बल्कि मान्यता का मुद्दा है। मोदी ने ही भाजपा में महिलाओं को पार्टी पदों पर 33 फीसदी आरक्षण दिलाया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को देश की जनता ने मुख्यमंत्री के बाद प्रधानमंत्री बनाया। 30 साल बाद उनके नेतृत्व में पूर्ण बहुमत की बीजेपी की सरकार बनाई। उस समय फिर जाहिर सी बात है कि पीएम मोदी ने सीएम के पद से इस्तीफा दिया। उस समय मोदी के एकाउंट में जितना भी पैसा था, उन्होंने वर्ग 3 के कर्मचारियों और बेटियों के खाते में अपना पैसा भेज दिया था।
अमित शाह ने कहा कि आज दुनियाभर में विमान उड़ाने वाली महिलाओं की संख्या 5 फीसदी है। भारत की इन महिलाओं की संख्या 15 फीसदी है। यही महिला सशक्तीकरण है। उन्होंने कहा कि पहली बार ये संविधान संशोधन नहीं आया। देवेगौड़ा जी से लेकर मनमोहन जी तक चार बार प्रयास हुए। क्या मंशा अधूरी थी? सबसे पहले इस पर प्रधानमंत्री एचडी देवेगौड़ा के समय 12 सितंबर 1996 में संविधान संशोधन आया। कांग्रेस इस समय विपक्ष में थी। विधेयक को सदन में रखने के बाद गीता मुखर्जी की अध्यक्षता में समिति को दे दिया गया, लेकिन विधेयक सदन तक पहुंच ही नहीं पाया।
मनमोहन सिंह बिल लेकर आए, लेकिन बिल विलोपित हो गया
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि जब 11वीं लोकसभा आई तो विधेयक लैप्स हो गया। इसके बाद 12वीं लोकसभा अटल बिहारी वाजपेयी के समय बिल आया, लेकिन ये विलोपित हो गया। 13वीं लोकसभा में अटल जी के समय फिर बिल आया, लेकिन अनुच्छेद 107 के तहत बिल विलोपित हो गया। इसके बाद मनमोहन सिंह बिल लेकर आए, लेकिन बिल विलोपित हो गया। उन्होंने कहा कि कोई पुराना बिल जीवित नहीं है। लोकसभा जब विघटित हो जाती है तो लंबित विधेयक विलोपित हो जाते हैं।
अमित शाह ने कांग्रेस सांसद राहुल गांधी के आरोपों का जवाब देते हुए कहा कि देश को सेक्रेटरी नहीं सरकार चलाती है। कैबिनेट चलाती है। हमारी पार्टी के 85 सांसद OBC समुदाय से आते हैं। 29 मंत्री भी इसी समुदाय के हैं। सस्ते वादे करना तो कांग्रेस पार्टी का काम है। भाजपा तो काम करके देखती है। भाजपा के विधायक में भी OBC की भागीदारी ज्यादा है, लेकिन कांग्रेस इस बात का जिक्र नहीं करेगी
राहुल गांधी बोले- सरकार चलाने वाले 90 में से सिर्फ 3 सेक्रेटरी OBC
इससे पहले लोकसभा में कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने कहा कि मैं महिला आरक्षण बिल के समर्थन में हूं, लेकिन ये अधूरा है। जब सांसदों को पुरानी संसद से नई संसद में ले जाया जा रहा था तो राष्ट्रपति को मौजूद होना चाहिए था। हमारे इंस्टीट्यूशंस में OBC की भागीदारी कितनी है, मैंने इसकी रिसर्च की। सरकार चलाने वाले जो 90 सेक्रेटरी हैं, उनमें से तीन सिर्फ 3 ही OBC से हैं। इसे जल्दी से जल्दी बदलिए। ये OBC समाज का अपमान हैं।
राहुल गांधी के बोलने के दौरान सांसदों ने हंगामा किया तो वे बोले- ‘डरो नहीं।’ देश की आजादी की लड़ाई महिलाओं ने भी लड़ी थी। महिला आरक्षण बिल पर बिल्कुल भी देरी नहीं करना चाहिए और इसे आज से ही लागू कर देना चाहिए। वहीं, लोकसभा स्पीकर ओम बिड़ला ने इस दौरान उन्हें टोकते हुए कहा कि मैं राहुल गांधी से अपील करता हूं कि सदन में सभी सदस्य बराबर हैं, इसलिए उन्हें ‘डरो मत, डरो मत’ नहीं कहें।