
राष्ट्रपति समेत कई नेताओं और तीनों सेना प्रमुखों ने दी पूर्व राष्ट्रपति को श्रद्धांजलि
पूर्व राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी का सोमवार को 84 वर्ष में निधन हो गया है। 10 अगस्त से वे दिल्ली के आर्मी रिसर्च एंड रेफरल अस्पताल में भर्ती थे। कुछ दिन पहले ब्रेन से क्लॉटिंग हटाने के लिए सर्जरी की गई थी। साथ ही उनकी कोरोना रिपोर्ट भी पॉजिटिव थी।
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह सीडीएस बिपिन रावत तीनों सेना प्रमुखों समेत के नेताओं ने श्रद्धांजलि दी। प्रणब मुखर्जी का अंतिम संस्कार कोरोना प्रोटोकॉल के साथ किया जाएगा।
लोकसभा स्पीकर ओम बिड़ला ने दी श्रद्धांजलि
चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ बिपिन रावत समेत तीनों सेना प्रमुखों ने दी श्रद्धांजलि
प्रणब मुखर्जी की तबियत काफी समय से गंभीर थी उन्हें वेंटिलेटर पर रखा गया था। उनके निधन पर 7 दिन का राष्ट्रीय शोक घोषित किया गया है।
I am saddened to hear of the passing of the Fmr. #Indian President, #Bharatratna Shri #PranabMukherjee. He was a statesmen par excellence, a writer & a man loved by all. The passion with which he served his nation is unparalleled. My deepest condolences to his family & friends.
— Mahinda Rajapaksa (@PresRajapaksa) August 31, 2020
प्रणब मुखर्जी के निधन पर श्रीलंका के प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे ने कहा कि प्रणब अच्छे राजनेता, लेखक और सभी का प्यार पाने वाले व्यक्तित्व थे। उन्होंने जिस तरह देश की सेवा की उसकी तुलना नहीं कि जा सकती।
वरिष्ठ भाजपा नेता लालकृष्ण आडवाणी ने कहा कि वे एक साथी से बढ़कर थे। हमने अपने सामाजिक दायरे के भीतर और बाहर बहुत सारे पल व्यतीत किए। उनके साथ खाना खाने की यादें हमेशा मेरे दिल में रहती हैं।
कैसे शुरू हुआ राजनीतिक सफर
प्रणब मुखर्जी का राष्ट्रपति बनने तक का सफर काफी लंबा था, लेकिन वो तो पॉलिटिकल साइंस के लेक्चरर थे फिर वे राजनीति से कैसे जुड़े ? दरअसल उन्होंने मदिनापुर उपचुनाव में वीके कृष्ण मेनन का कैम्पेन सफलतापूर्वक संभाल था। उनकी इस प्रतिभा से खुश होकर उस समय प्रधानमंत्री रहीं इंदिरा गांधी ने उन्हें पार्टी में शामिल कर लिया। प्रणब मुखर्जी 1969 में राज्यसभा के चुनाव के लिए चुने गए।
भारतीय राजनीति में उनका नाम बड़े सम्मान से लिया जाता है। उनके जिंदगी में ऐसी कई मौके आए जब उन्हें प्रधानमंत्री बनने का मौका मिला, लेकिन तीन बार वह प्रधानमंत्री नहीं बन पाए।
प्रणब मुखर्जी कितने काबिल थे इस बात को जानने के लिए पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के बयान को पढ़ते हैं, जब मैं प्रधानमंत्री बना तब प्रणब मुखर्जी इस पद के लिए ज्यादा काबिल थे,लेकिन मैं कह क्या सकता था ? कांग्रेस प्रेसिडेंट सोनिया गांधी ने मुझे चुना था।
क्लर्क और लेक्चरर भी रह चुके हैं
प्रणब मुखर्जी का जन्म 11 दिसंबर 1935 में हुआ। उन्होंने कलकत्ता के विश्विद्यालय से पॉलिटेक्निक साइंस और हिस्ट्री से एमए किया। उनके बाद वे डिप्टी अकाउंट जनरल में क्लर्क थे। कुछ समय बाद वे विद्यानगर कॉलेज में पॉलिटिकल साइंस के लेक्चरर भी रहे थे।
पिछले साल मिला था भारत रत्न का सम्मान
प्रणब मुखर्जी को पिछले साल भारत रत्न के सम्मान से नवाजा गया था। बेटी शर्मिष्ठा ने ट्वीट कर लिखा कि पिछले साल 8 अगस्त को भारत रत्न से नवाजा गया था। हमारे लिए सबसे बड़ा खुशी का दिन था वहीं एक साल बाद उसी तारीख में उनकी तबियत गंभीर है।
2012 में बने थे राष्ट्रपति
साल 2012 में प्रणब मुखर्जी राष्ट्रपति बने थे। वे भारत के 13वे राष्ट्रपति थे, लेकिन कांग्रेस प्रिसिडेंट सोनिया गांधी की पहली पंसद हामिद अंसारी थे, वहीं अन्य राजनीतिक दलों ने प्रणब मुखर्जी को इस पद के लिए उचित समझा।
अधूरा रह गया यह सपना
प्रणब मुखर्जी प्रधानमंत्री पद के लिए मजबूत दावेदार थे। उन्हें “पीएम इन वेटिंग” भी कहा जाता है। उनके जीवन और लिखी गई बुक The Coalition Years 1996 – 2012 में उन्होंने खुद स्वीकार किया है कि वे प्रधानमंत्री बनना चाहते थे।
प्रधानमंत्री मोदी चाहते थे की प्रणब मुखर्जी दूसरा कार्यालय भी संभालें
ऐसे कई मौके आए हैं जब प्रणब मुखर्जी को पीएम मोदी की तारीफ करते देखा गया हैं। उन्होंने कांग्रेस को सत्ता से बाहर और मोदी को बहुमत से सरकार बनाते देखा है। पीएम मोदी चाहते थे की प्रणब मुखर्जी दूसरा कार्यकाल भी संभालें, लेकिन बढ़ती उम्र और स्वास्थ्य की वजह से उन्होंने इस प्रस्ताव को स्वीकार नहीं किया था।