नई दिल्ली: दिल्ली विश्वविद्यालय के शताब्दी समारोह में उपस्थित उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम की विधिवत शुरुआत की। दिल्ली विश्वविद्यालय के शताब्दी समारोह में उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने कहा कि देश में से चुनिंदा शिक्षा संस्थान है जिनकी आयु 100 वर्ष है उनमें से एक दिल्ली विश्वविद्यालय है यह विश्वविद्यालय देश की आजादी में भागीदार रहा। इस विश्वविद्यालय में भगत सिंह ने भी रात बिताई और यह विश्वविद्यालय सेंट स्टीफंस महात्मा गांधी के आगमन का भी साक्षी रहा है।
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दिल्ली विश्वविद्यालय के शताब्दी समारोह में शामिल होने पहुंचे उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने कहा कि विश्वविद्यालय के 100 वर्ष पूर्ण होने पर मैं सभी को बधाई देता हूं। आज विश्वविद्यालय के लिए ऐतिहासिक दिन है। उपराष्ट्रपति ने कहा कि इस विश्वविद्यालय मैं जिन लोगों ने योगदान दिया है मैं उन सभी का अभिनंदन करता हूं। वेंकैया नायडू ने कहा कि भारत की ज्ञान परंपरा का नालंदा और तक्षशिला विश्वविद्यालय ने पूरे विश्व में भारत को विश्व गुरु बनाया इसलिए इंसान को बोलचाल के लिए मात्र भाषा का इस्तेमाल करना चाहिए।
अपने संबोधन में वेंकैया नायडू ने कहा है कि आज देश में अंग्रेजी का रुझान बढ़ रहा है। मैं अंग्रेजी का विरोध नहीं कर रहा लेकिन अपनी मातृभाषा का ज्ञान होने से संस्कार आते हैं संस्कार और संस्कृत जीवन जीने का तरीका सिखाते हैं इसलिए उज्जवल भविष्य के लिए संस्कृत संस्कार और मातृभाषा का ज्ञान अति आवश्यक है। इसलिए आज इस अवसर पर यहां पर उपस्थित सभी छात्र छात्राओं से मैं कहना चाहता हूं कि आप पढ़े सीखे कमाए और मातृभूमि को लौट आएं और देश को आगे बढ़ाने में अपना पूरा योगदान दें।
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उपराष्ट्रपति ने कहा कि यह बड़ा हर्ष का विषय है कि दिल्ली विश्वविद्यालय में नई शिक्षा नीति की ओर कदम बढ़ा दिया है। इसके माध्यम से हमें नौकरी ढूंढने वाला नहीं नौकरी पैदा करने वाला बनना है। भारत के गरीब लोगों की जिंदगी के लिए हम एक आदर्श बने।