उत्तराखंड: परिवहन विभाग ने तैयार किया प्रस्ताव, दो हजार से अधिक बस संचालकों को मिलेगी राहत
प्रदेश में चलने वाली दो हजार से अधिक बसों के संचालकों को राहत देने की कवायद शुरू हो गई है। बस यूनियनों की मांग पर परिवहन विभाग ने राहत का एक प्रस्ताव शासन को भेजा है। इस पर सरकार से जो भी फैसला होगा, उसी हिसाब से आगे आदेश जारी किए जाएंगे।
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दरअसल, कोविडकाल में पहले तो आधी क्षमता के साथ प्रदेश में सिटी बसों और अन्य स्टेज कैरिज बसों का संचालन किया जा रहा था। इसके बाद कोविड कर्फ्यू शुरू हुआ तो देहरादून में सिटी बसों का संचालन बंद हो गया। पहाड़ के अन्य जिलों में किराया दोगुना न करने के विरोध में यूनियनों ने वाहनों का संचालन बंद कर दिया। यूनियनों की ओर से परिवहन विभाग पर लगातार राहत देने का दबाव बनाया जा रहा है। इस बीच परिवहन विभाग ने एक प्रस्ताव तैयार किया है।
प्रदेश में करीब 2800 सिटी व अन्य प्राइवेट बसें पंजीकृत हैं, जिनमें से करीब दो हजार का निरंतर संचालन होता है। इस लिहाज से परिवहन विभाग ने प्रस्ताव तैयार किया है कि इन बसों के संचालकों को 10 से 15 हजार रुपये प्रति माह के हिसाब से राहत राशि प्रदान की जाए। इसके साथ ही इनका कम से कम छह माह का टैक्स माफ किया जाए।
एक बस का एक माह का टैक्स 2100 से 2200 रुपये के करीब होता है। अगर सरकार ने हरी झंडी दिखाई तो इससे निश्चित तौर पर बस मालिकों को बड़ी राहत मिल सकती है। हालांकि अभी यह प्रस्ताव शासन को भेजा गया है। सरकार को इस पर अभी फैसला लेना बाकी है।
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दो मई से प्रदेश में चल रही है हड़ताल
स्टेज कैरिज वाहनों का किराया दोगुना करने के परिवहन विभाग का प्रस्ताव खारिज होने के बाद से प्रदेशभर के स्टेज कैरिज वाहनों के मालिक दो मई से हड़ताल पर हैं। इस वजह से पहाड़ की लाइफलाइन मानी जाने वाली बसें भी संचालित नहीं हो पा रही हैं। उन्होंने चेतावनी दी है कि जल्द से जल्द कुछ राहत प्रदान की जाए नहीं तो वह उग्र आंदोलन के लिए बाध्य होंगे।