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रोडवेज कर्मचारियों के वेतन मामले में कोर्ट ने सरकार को लगाई फटकार, कहा- कर्मचारियों की जगह परिवहन सचिव का वेतन रोकें

कोर्ट ने सरकार को कहा है कि चारधाम के लिए कैबिनेट बैठक कर दी, लेकिन चारधाम यात्रा से ज्यादा महत्पूर्ण कर्मचारियों की सैलरी है। सरकार कर्मचारियों के मौलिक व संवैधानिक अधिकारियों का हनन कर रही है।

नैनीताल। रोडवेज कर्मचारियों के 5 महीने के वेतन मामले में उत्तराखंड हाईकोर्ट ने बड़ा फैसला लिया है। हाईकोर्ट ने मुख्यमंत्री को आदेश दिया है कि 28 जून को कैबिनेट बैठक कर रोडवेज कर्मचारियों की सैलरी भुगतान पर निर्णय लें। अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए अदालत ने राज्य ले मुख्य सचिव ओम प्रकाश को आदेश दिया है कि कैबिनेट की बैठक के निर्णय को 29 जून को कोर्ट के सामने पेश करें।

हाईकोर्ट ने सरकार के चारधाम यात्रा के लिए कैबिनेट बैठक पर टिपण्णी करते हुए कहा है कि चारधाम के लिए कैबिनेट बैठक कर दी, लेकिन चारधाम यात्रा से ज्यादा महत्पूर्ण कर्मचारियों की सैलरी है। सरकार पर सख्ती दिखाते हुए कोर्ट ने कहा कि सरकार कर्मचारियों के मौलिक व संवैधानिक अधिकारियों का हनन कर रही है। हालांकि सरकार ने अपने बचाव में फरवरी से अब तक 68 करोड़ की देनदार पर कहा कि हमने 23 करोड़ जारी किया है, जिस पर कोर्ट संतुष्ट नहीं दिखी। सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस कोर्ट ने टिप्पणी की है, क्यों न रोडवेज कर्मचारियों की तनख्वा जारी होने तक राज्य के वित्त व परिवहन सचिव के वेतन पर रोक लगा दी जाए

आपको बता दें की, शनिवार को हाईकोर्ट की स्पेशल बैंच में इस मामले पर सुनवाई हुई, जिसमें राज्य के मुख्य सचिव समेत अन्य अधिकारी कोर्ट में पेश हुए थे। रोडवेज कर्मचारी यूनियन ने हाई कोर्ट में याचिका दाखिल कर 5 महीने की सैलरी देने की मांग की है। याचिका में कहा गया है कि अगर वो सैलरी के लिए हड़ताल पर जाते हैं तो सरकार उनपर एस्मा के तहत कार्रवाई करती है। रोडववज कर्मचारी यूनियन ने याचिका में कहा है कि यूपी सरकार से 700 करोड़ परिसम्पत्तियों के बंटवारे का मिलना है।

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