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उत्तराखंड में बेकाबू आग का कहर, बाघ – गुलदार और वनस्पतियां जलकर हुई राख

हल्द्वानी। उत्तराखंड के जिला हल्द्वानी के वन विभाग के लिए जंगलों की बड़ी चुनौती साबित हो रही है। वन विभाग द्वारा आग बुझाने को लेकर किये गए तमाम प्रयास असफल साबित हो रहे है। यह स्थिति 15 जून तक रहेगी। जिस वजह से वन विभाग भी टेंशन में आ चुका है।

 

 

 

जंगलों में फैलती जाती आग चिंता का विषय इस लिए भी है क्योंकि जंगल की आग बाघ-गुलदार और हाथी के आशियानों के साथ दुर्लभ वनस्पति वाली प्रजातियों के जंगल तक भी पहुंच रही है। इस कैटेगिरी का 101 हेक्टेयर जंगल अभी तक झुलस चुका है। कार्बेट नेशनल पार्क, राजाजी और केदारनाथ वाइल्डलाइफ सेंचुरी का क्षेत्र भी इसमें शामिल है। भविष्य में हालात और खराब होने से पहले बचाव कार्यों को लेकर गंभीरता बरतने की जरूरत है।

 

 

 

उत्तराखंड में 15 फरवरी फारेस्ट फायर सीजन की शुरुआत हुई है। इसके साथ ही सीजन की शुरूआत डेढ़ महीने में स्थिति काफी हद तक कंट्रोल में नजर आई। लेकिन अप्रैल चालू होते ही घटनाएं बढ़ती गई। जंगलों में नमी की मात्रा का खत्म होना, सूखापन, बारिश का अभाव व संसाधनों की कमी भी इसके पीछे एक वजह है।

 

 

 

धीमें – धीमें अब आग का दायरा वन्यजीव संरक्षित वाले जंगलों की तरफ भी बढ़ चुका है। कार्बेट, राजाजी, कालागढ़, केदारनाथ वाइल्डलाइफ सेंचुरी और उत्तरकाशी के गोविंद वाइल्डलाइफ सेंचुरी के जंगल भी सुलगते नजर आए। ज्यादा प्रभाव गोविंद वाइल्डलाइफ सेंचुरी के जंगलों में दिखा।

 

 

वन्यजीव संरक्षित जोन में नुकसान

 

जगह का नाम घटनाएं जंगल झुलसा

 

राजाजी नेशनल पार्क 6 10.5

 

कालागढ़ टाइगर डिवीजन 2 0.75

 

कार्बेट नेशनल पार्क 11 7.6

 

केदारनाथ सेंचुरी 18 19.5

 

गोविंद वाइल्डलाइफ सेंचुरी 16 63.5

 

 

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