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ये है रोहित शर्मा की सफलता की कहानी, जानें यहां 

रोहित शर्मा: वर्तमान युग में जैसे -जैसे तकनीकी शिक्षा हावी होती जा रही है बच्चों का बचपन भी छिनता जा रहा है। पहले जहां गली मोहल्ले से लेकर खेल मैदानों में बच्चे हर तरह के खेल खेला करते थे वहीं आज स्कूल से आने के बाद बच्चों को कोचिंग के लिए भेज दिया जाता है। बच्चों को पढ़ाई के अतिरिक्त, देखा जाए तो सिर्फ सोने और खाने तक का ही समय मिल पाता है।

मानो खेल तो उनके बचपन का हिस्सा ही नहीं रहा, बच्चे कुछ समय निकाले तो घर के नियम रोक लेते हैं। टीवी सीरियल या वीडियो गेम में ही समय गुजर जाता है। अभिभावकों द्वारा बच्चों की रुचि जाने बगैर ही उनका करियर सुनिश्चित कर दिया जाता है। इसके उलट देखा जाए तो खेल में भी बेहतरीन करियर बनाया जा सकता है।

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बच्चों की रुचि के अनुसार उन्हें खेलने का मौका जरूर दिया जाना चाहिए। शिक्षा जरुरी होनी चाहिए मगर रुचि के अनुसार, करियर के लिहाज से खेल का क्षेत्र भी कम नहीं है। खेल में करियर की अपार संभावनाएं है। आज हम भारतीय क्रिकेट टीम के ऐसे स्टार प्लेयर की बात कर रहे हैं, जिन्होंने बचपन से ही पढाई के साथ खेल को वरीयता दी और आज अच्छे मुकाम पर हैं।

हम बात कर रहे हैं क्रिकेट की दुनिया में कदम रखने वाले उस क्रिकेटर की जो न सिर्फ बल्लेबाज बना बल्कि बल्लेबाजी के दम पर बहुत ही कम समय में छा गया। इस क्रिकेटर का नाम है रोहित शर्मा जो शानदार शॉटस सलेक्शन, शानदार टाइमिंग, शानदार फुटवर्क और मैदान पर तेजी से रन बटोरने में महारत हासिल कर रखी है। बचपन में रोहित शर्मा अपने मोहल्ले में क्रिकेट को लेकर विख्यात रहे हैं। गली क्रिकेट के हर मैच में उन्हें मौका दिया जाता था। विख्यात के साथ ही कुख्यात भी रहे क्योंकि गली के कई घरों के कांच को रोहित के शॉटस ने निशाना बनाया।

रोहित शर्मा का जन्म बनसोद, नागपुर, महाराष्ट्र के ब्राह्मण परिवार में हुआ था। उनकी माता पुर्णिमा शर्मा विशाखापट्नम से थी, इस कारण वे तेलुगू भाषा भी जानते हैं। उनके पिता गुरुनाथ शर्मा एक ट्रांसपोर्ट फर्म स्टोरहाऊस में Caretaker का काम करते थे। पर इतना इनकम नहीं होता थी कि घर के खर्च के साथ उनकी पढ़ाई-लिखाई का भी खर्च उठा सके। इसलिए बचपन में रोहित शर्मा अपने Grandparents और Uncle के साथ बोरीवली में रहते थे। Weekend पर वे अपने पैरेंट्स से मिलने के लिए जाया करते थे, जो डोमविबली में एक सिंगल रूम घर में रहते थे। उनका एक छोटा भाई भी है। विशाल शर्मा, जो मम्मी-पापा के साथ ही रहते थे।

मां नहीं चाहती थी, बेटा क्रिकेटर बने 

रोहित शर्मा की मां पूर्णिमा शर्मा को आज अपने बेटे पर नाज है। लेकिन कभी उनकी मां नहीं चाहती थी कि उनका बेटा क्रिकेट में जाएं। रोहित के जुनून के आगे मां को झुकना पड़ा और अब वे खुद भी क्रिकेट एन्जॉय करती हैं। रोहित शर्मा बचपन से ही क्रिकेट खेलने के शौकीन थे। रोहित पढ़ाई से ज्यादा ध्यान क्रिकेट खेलने में देते थे। उन्होंने 16 साल की उम्र में क्रिकेट खेलना शुरू किया था और 20 साल की उम्र में वे नेशनल भारतीय क्रिकेट में शामिल किए गए। 

रोहित शर्मा का बचपना बहुत ही दुखित था,रोहित शर्मा के पास न बैट था और न ही बाल था | दुसरो से मांग कर वह खेला करते थे, रोहित खुद बताते है की उनके बास नया बैट लेने के पैसे तक नहीं थे | लेकिन उनकी क्रिकेट के प्रति समर्पण को देख कर उनके चाचा जी एक सस्ती सी क्रिकेट अकादमी में एडमिशन करवा दिया | वहाँ पर रोहित शर्मा ने बहुत ही अच्छा क्रिकेट खेला और सब लोगो का दिल जीत लिया | उनके चाचा जी ने यहाँ पर उनको एक नया बैट खरीद कर दे दिया था | 

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रोहित शर्मा ने बताया की वह इस बैट को बहुत ही सभाल को रखते थे , कभी – कभी तो बैट टूटने के दर से वह गेंद को अपने ऊपर ले लेते थे | वह समय बहुत ही कठिन था, लेकिन रोहित शर्मा ने बहुत ही हिम्मत से काम लिया और देखते ही देखते इतने महान क्रिकेटर बन गए |

रोहित ने यह भी बताया की सुरु में वह एक अच्छा गेंदबाज बनना चाहते थे, जिसकी वजह से वह आठवे नंबर पर बैटिंग करने आते थे | रोहित ने बताया की कुछ लोगो ने बताया की वह बोलिंग से अच्छा बैटिंग करते है और जब उनको पहली बार ओपन करने का मौका मिला तो उन्होंने शतक बनाया |

हम सब लोगो को यह लगता है की सफलता बहुत ही आराम से मिल जाती है , लेकिन हम सब लोग यह भूल जाते है की उसकी पीछे उस इंसान ने कितना मेहनत किया है |

बेहतरीन रिकॉर्ड्स 

अब तक तीन बार वन डे क्रिकेट में दोहरा शतक लगा चुके हैं। दो बार श्रीलंका के खिलाफ, एक बार ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ। रोहित के नाम पर टी-20 में सबसे तेज शतक लगाने का भी रिकॉर्ड है। वर्ल्ड कप में सर्वाधिक शतक 6- रोहित शर्मा (16 पारियों में) 6- सचिन तेंदुलकर (44 पारियों में) वर्ल्ड कप के एक एडिशन में सबसे ज्यादा शतक 5 शतक- रोहित शर्मा (वर्ल्ड कप 2019) 4 शतक- कुमार संगकारा (वर्ल्ड कप 2015)

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