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धर्म की नगरी है उत्तर प्रदेश, यहां हैं कई तीर्थ स्थान, इन तीर्थों की जरूर करें यात्रा !

उत्तर प्रदेश काफी विशाल राज्य है। घूमने के लिए यहां बहुत कुछ है। यूपी में धर्म और अध्यात्म की नगरी वाराणसी है। प्रेम का प्रतिक ताज महल है। राम जी की नगरी अयोध्या और कृष्ण की लीलाओं का बखान करने वाला मथुरा है। उत्तर प्रदेश में आपको एक तरफ चमक धमक से भरे शहर मिलेंगे तो दूसरी तरफ हरियाली ओढ़े गांव। यहां घूमने और दर्शन करने के लिए कई सारे मंदिर और स्थल हैं। यहां की हर आकर्षित करने वाली चीज़ किसी न किसी तरह भगवान से जुड़ी है।

उत्तर प्रदेश के प्रसिद्ध तीर्थ स्थल:-

श्री राम जी की नगरी अयोध्या
सरयू नदी के तट पर बसी श्री राम जी की नगरी अयोध्या आस्था का एक केंद्र है। राजा दशरथ की इस नगरी में हजारों साल पहले ये नगर सभी व्यवस्था से सुसज्जित थी। तुलसी दास जी के मुताबिक, जो जीव अयोध्या में अपने प्राणों का त्याग करते हैं उन्हें फिर से संसार में आने की जरूरत नहीं पड़ती। अयोध्‍या में आकर मन को आध्‍यात्मिक शांति मिलती है। यहां कई भव्य मंदिर भी हैं जिनमें नागेश्‍वरनाथ मंदिर है जिसे भगवान राम के पुत्र कुश ने बनवाया था और चक्र हरजी विष्‍णु मंदिर है।

यहां पर तुलसी स्‍मारक भवन भी सरकार के द्वारा तुलसीदास की स्‍मृति में बनवाया गया है। अयोध्या में दशरथ भवन स्थित है, ये भवन राजा दशरथ से जुड़ा हुआ है। सीता की रसोई, राम जन्‍मभूमि मंदिर के पास में ही स्थित है। यह माना जाता है कि माता सीता ने शादी के बाद पहली बार खाना यहीं पकाया था।

मथुरा
उत्तर प्रदेश के मथुरा में कंस के कारागार में श्रीकृष्‍ण का जन्म हुआ था। आज उस स्थान को कृष्‍ण जन्मभूमि कहते हैं। जन्मभूमि के आधे स्थान पर मंदिर और आधे स्थान पर मस्जिद बनी हुई है। मंदिर में श्रीकृष्ण जन्मोत्सव को बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है। यहां का कृष्ण जन्मोत्सव देख कर आप बड़े बड़े उत्सव भूल जायेंगे।

काशी बनारस
भगवान शिव की नगरी काशी उत्तर भारत में स्थित एक प्रसिद्ध तीर्थ स्थल है। माना जाता है काशी में साक्षात महादेव वास करते हैं। यहां भगवान विश्वनाथ का बहुत ही भव्य मंदिर है। भारत का सबसे पुराना शहर और गंगा के तट पर स्थित वाराणसी का यह मंदिर भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है। कहा जाता है कि काशी नगरी देवादिदेव महादेव की त्रिशूल पर बसी है।

धर्मग्रन्थों और पुराणों में जिसे मोक्ष की नगरी कहा गया है। एक तरफ शिव के विराट और बेहद दुर्लभ रूप के दर्शनों का सौभाग्य मिलता है, वहीं गंगा में स्नान कर सभी पाप धुल जाते हैं। यहां देवगण विराजते हैं और गंगा की धार बहती है, वो परमतीर्थ वाराणसी कहलाता है। यहां आने भर से ही भक्तों की पीड़ा दूर हो जाती है। तन-मन को असीम शांति मिलती है। क्योंकि यहां स्वयं भगवान शिव विराजते हैं।

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