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उत्तराखंड: प्रदेश के तीन जिलों में संक्रमण दर पांच प्रतिशत से कम, यहां है सबसे अधिक 

प्रदेश के पर्वतीय जिलों में कोरोना की संक्रमण दर मैदानी जिलों के मुकाबले सर्वाधिक है। तीन जिले तो ऐसे हैं जिनमें संक्रमण दर पांच प्रतिशत से भी नीचे आ चुकी है। सोशल डैवलपमेंट फॉर कम्यूनिटीज (एसडीसी) फाउंडेशन के संस्थापक अनूप नौटियाल ने बताया कि उन्होंने विश्लेषण के बाद पाया कि कोरोना संक्रमण के मामले में शीर्ष तीन स्थान पर पहाड़ के जिले हैं। इनमें पौड़ी पहले, अल्मोड़ा दूसरे और पिथौरागढ़ तीसरे स्थान पर है। सबसे कम संक्रमण दर हरिद्वार जिले में है। केंद्र के नए नियम के हिसाब से देखें तो प्रदेश के तीन जिले चंपावत, बागेश्वर और हरिद्वार अनलॉक की श्रेणी में आ रहे हैं।

संक्रमण दर की स्थिति
स्टेट रैंक   –  जिला –    संक्रमण दर
1- पौड़ी गढ़वाल – 10.54 प्रतिशत
2- अल्मोड़ा – 10.33 प्रतिशत
3- पिथौरागढ़ – 10.26 प्रतिशत
4- चमोली – 10.19 प्रतिशत
5- नैनीताल – 8.75 प्रतिशत
6- टिहरी गढ़वाल – 8.58 प्रतिशत
7- रुद्रप्रयाग – 8.36 प्रतिशत
8- उत्तरकाशी – 5.83 प्रतिशत
9- देहरादून – 5.35 प्रतिशत
10- ऊधमसिंह नगर – 5.13 प्रतिशत
11- चंपावत – 4.78 प्रतिशत
12- बागेश्वर – 3.99 प्रतिशत
13- हरिद्वार – 2.91 प्रतिशत
अगले सप्ताह खुल सकता है आरटीओ
कोरोना कर्फ्यू की वजह से जनता के लिए बंद आरटीओ आठ जून से खुल सकते हैं। इसके लिए आरटीओ ने तैयारी शुरू कर दी है। आरटीओ प्रशासन दिनेश चंद्र पठोई ने बताया कि 22 अप्रैल से ड्राइविंग लाइसेंस बनाने का काम बंद है।

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27 अप्रैल से जनता के लिए आरटीओ में प्रवेश बंद कर दिया गया था। ड्राइविंग लाइसेंस का बैकलॉग करीब दस हजार पहुंच चुका है। अन्य कार्यों का भी करीब 15 हजार का बैकलॉग है। लिहाजा, आठ जून से आरटीओ दफ्तर में कामकाज सुचारू करने की संभावनाओं पर काम शुरू हो गया है।

सोशल डिस्टेंसिंग व कोविड गाइडलाइन का पालन करने पर भी काम किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि शनिवार को बैठक बुलाई गई है, जिसमें सभी कामकाज की तैयारियां पर चर्चा की जाएगी। आरटीओ फिलहाल डीएल के लिए करीब 50 तक स्लॉट रखेगा। कोरोना कर्फ्यू से पहले रोजाना 125 डीएल बन रहे थे। चूंकि लंबित आवेदनों की संख्या भी काफी है, लिहाजा विभाग 30 टेस्ट पुराने और 20 नए आवेदन पर रोजाना काम का फोकस रखेगा।

मंगलवार को आरटीओ में 200 वाहनों के परमिट सरेंडर हुए। इससे पहले मई में भी 500 वाहनों के परमिट सरेंडर किए गए थे। अगर वाहन स्वामी तय समय पर वाहनों के परमिट सरेंडर न करते तो उन्हें तिमाही टैक्स में राहत नहीं मिल पाती।
12 साल तक के बच्चों के माता-पिता के टीकाकरण की बनेगी रणनीति
कोरोना की तीसरी लहर की आशंका और उसमें बच्चों को संक्रमण से बचाने के लिए स्टेट टास्क फोर्स ने तैयारियां शुरू कर दी हैं। टास्क फोर्स ने निर्णय लिया कि बच्चों को संक्रमण से बचाने के लिए माता-पिता को शत प्रतिशत वैक्सीनेशन की रणनीति बनाई जाएगी। साथ ही बच्चों में संक्रमण की स्थिति पर सरकारी व निजी मेडिकल कॉलेज के बाल रोग विशेषज्ञों की सेवाएं ली जाएंगी।

स्वास्थ्य विभाग की ओर से गठित राज्य स्तरीय टास्क फोर्स की दूसरी बैठक में आयोजित की गई। बैठक की अध्यक्षता करते हुए हेमवती नंदन बहुगुणा चिकित्सा विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. हेम चंद्र ने कोरोना की तीसरी लहर में बच्चों को संक्रमण से बचाव व उपचार की तैयारियां शुरू की गई है।

सरकारी व निजी अस्पतालों में तैनात बाल रोग चिकित्सकों, इमरजेंसी मेडिकल अधिकारी, पैरामेडिकल स्टाफ को कोरोना उपचार के लिए प्रशिक्षण देने की रणनीति बनाई जा रही है। प्रशिक्षण में मेडिकल कॉलेज जनपद वार मास्टर ट्रेनर बनाएंगे। जो जिलों में जाकर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र और तहसील स्तर के चिकित्सालयों पर तैनात डॉक्टरों को संक्रमित बच्चों के उपचार का प्रशिक्षण देंगे। विशेषज्ञों के माध्यम से उच्च स्तरीय मानकों के अनुसार प्रशिक्षण दिया जाएगा।

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