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गहलोत-पायलट की जंग का विधायकों ने उठाया जमकर फायदा, जानें कैसे

6 जिलों में पंचायत चुनाव के लिए नामांकान दाखिल हो चुके हैं। कांग्रेस में एक मंत्री समेत सात विधायकों ने अपने परिवार वालों को टिकट दिलवा दिए। अब इन विधायकों की निगाहें अपने स्वजनों को जिला प्रमुख और प्रधान बनाने पर है।

नई दिल्ली : राजस्थान कांग्रेस में सीएम अशोक गहलोत और पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट के बीच जंग से भले ही कांग्रेस अलाकमान परेशान हो रहा है, लेकिन पंचायत चुनाव में कांग्रेस और समर्थित विधायकों को तो इस खींचतान का जमकर फायदा मिल रहा है। 6 जिलों में पंचायत चुनाव के लिए नामांकान दाखिल हो चुके हैं। कांग्रेस में एक मंत्री समेत सात विधायकों ने अपने परिवार वालों को टिकट दिलवा दिए। अब इन विधायकों की निगाहें अपने स्वजनों को जिला प्रमुख और प्रधान बनाने पर है।

पंचायत चुनाव की टिकट की सूची में शामिल नामों पर ध्यान दिया जाए तो सबसे अधिक फायदे में रहे BSP से कांग्रेस में शामिल हुए विधायक और गहलोत सरकार को समर्थन दे रहे निर्दलीय विधायक। टिकटों के बंटवारे के लिए जिलावार प्रभारी नियुक्त किए गए थे, लेकिन टिकट बांटे गए विधायकों की मर्जी से। हालांकि इस बंटवारे में भी गहलोत बनाम पायलट की जंग सामने आ ही गई। इसी का फायदा दोनों खेमों के विधायक उठा रहे है।

बाबूलाल नागर– दूदू से निर्दलीय विधायक- गहलोत समर्थक और सचिन पायलट पर अक्सर निशाना साधने को लेकर चर्चित। पंचायत चुनाव में नागर के स्वजन को दो टिकट मिले- नागर के बेटे विकास नागर को जयपुर जिला परिषद के वार्ड-11 से सदस्य का टिकट मिला। अगर चुनाव जीते तो जिला प्रमुख पद के दावेदार बन जाएंगे।

उन्हीं की पुत्रवधु रुपाली नागर को मौजमाबाद पंचायत समिति के वार्ड-13 से कांग्रेस उम्मीदवार बन गई। अगर पुत्रवधु भी चुनाव जीती को प्रधान पद की दावेदार होगी। BSP से कांग्रेस में शामिल हुए नदबाई से विधायक जोगेंद्र अवाना के बेटे हिंमाशु अवाना को भरतपुर के उच्चैन से पंचायत समिति के ward 13 से कांग्रेस टिकट मिला । हिंमाशु निर्विरोध चुने गए है। अब प्रधान पद के दावेदार माने जा रहे है।

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