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प्रौद्योगिकी मंत्री ने पेगासस जासूसी कांड पर केंद्र का रखा पक्ष, कहा- फोन टैपिंग के मामले में जासूसी का आरोप बेबुनियाद

सूचना एवं प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्‍णव ने पेगासस जासूसी कांड पर लोकसभा में केंद्र सरकार का रखा पक्ष। कहा- रिपोर्ट के अनुसार डाटा में फोन नंबर की मौजूदगी की पुष्टि अभी नहीं हुई है।

नई दिल्ली। नए सूचना एवं प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्‍णव ने पेगासस जासूसी कांड पर लोकसभा में केंद्र सरकार का पक्ष रख रखा। वैष्‍णव पेगासस जासूसी कांड पर केंद्र सरकार का पक्ष रखते हुए कहा कि रिपोर्ट के अनुसार डाटा में फोन नंबर की मौजूदगी की पुष्टि अभी नहीं हुई है। फोन टैपिंग के मामले में जासूसी के आरोप गलत हैं। डाटा लीक का जासूसी से कोई लेना देना नहीं है। भारत में इस अपराध के लिए सख्त कानून है। सिर्फ राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े मामलों में ही फोन टैपिंग की अनुमति दी गई है।

प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी मैं अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए कहा कि संसद के मानसून सत्र से पहले जासूसी से जुड़े मीडिया रिपोर्ट को भारतीय लोकतंत्र की छवि को बिगाड़ने के प्रयास में जारी किया गया है।

आपको बता दें कि रविवार को एक रिपोर्ट के अनुसार मीडिया संस्थानों के अंतरराष्ट्रीय संगठन ने यह खुलासा किया है कि सिर्फ सरकारी एजेंसियों को बेचे जाने वाला इजराइल के जासूसी सॉफ्टवेयर के जरिए भारत के दो केंद्रीय मंत्री, पत्रकार विपक्ष के तीन नेता और एक न्यायाधीश सहित कारोबारियों और अधिकारियों के 300 से अधिक मोबाइल नंबर हैक हुआ है।

Pegasus स्पाईवेयर कैसे काम करता है?

बता दें कि Pegasus एक ऐसा सॉफ्टवेयर है जो व्हाट्सएप जैसे मेसेजिंग एप समेत फोन में मौजूद दूसरे एप्लिकेशन को हैक कर सकता है। इस सॉफ्टवेयर को साइबर सुरक्षा कंपनी NSO Group ने बनाया है। इस सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल करके हैकर आपके स्मार्टफोन के माइक्रोफोन, कैमरा, ऑडियो और टेक्सट मेसेज, ईमेल और लोकेशन तक की जानकारी हासिल कर सकता है।

इसके लिए हैकर के द्वारा इस प्रोग्राम को किसी तरह आपके स्मार्टफोन फोन में डाल दिया जाता है जिसके बाद हैकर आपके फ़ोन की ज्यादातर फंक्शन्स को अपने काबू में ले लेता है।

केंद्र सरकार ने इस रिपोर्ट का जवाब देते हुए, मीडिया संगठन को दिए गए अपने जवाब का उल्लेख किया और कहा कि भारत द्वारा व्हाट्सएप पर पीगैसेस के उपयोग के संबंध में इस प्रकार के दावे अतीत में भी किए गए थे और उन रिपोर्ट का भी कोई तथ्यात्मक आधार नहीं था और भारतीय उच्च न्यायालय में व्हाट्सएप सहित सभी पक्षों ने इससे इनकार किया था।

सरकार ने कहा कि यह एक स्थापित प्रक्रिया है जिसके जरिए राष्ट्रीय सुरक्षा के मद्देनजर इलेक्ट्रॉनिक संवाद को केन्द्र या राज्यों की एजेंसियों द्वारा कानूनी रूप से हासिल किया जाता है और यह प्रक्रिया यह सुनिश्चित करती है कि किसी भी कंप्यूटर संसाधन से सूचना को हासिल करना,उसकी निगरानी करना तय कानूनी प्रक्रिया के तहत हो।

यह भी पढ़ें: विपक्ष के हंगामे पर प्रधानमंत्री का पलटवार, कहा-कौन हैं वह लोग जो सदन में मंत्री बनी महिलाओं का परिचय सुनने को भी तैयार नहीं

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