उदयगिरि की पहाड़ी पर उकेरी है सबसे ऊंची वराह प्रतिमा
विदिशा: पुरातात्विक धरेाहर के रूप में विख्यात विदिशा के उदयगिरि की पहाड़ी पर चट्टान काटकर भगवान विष्णु के अवतार नर वराह की 12 फीट ऊंची प्रतिमा उकेरी गई है। विदिशा से नौ किमी दूर स्थित उदयगिरि की पहाड़ी पर 20 प्राीचन गुफाएं हैं, जिसमें गुफा नंबर पांच में वराह की प्रतिमा उत्कीर्ण है।
पुरातत्वविदों के अनुसार, कई मायनों में अनूठी इस प्रतिमा का सिर वराह का है, जबकि शरीर मनुष्य की तरह है। यही कारण है कि भगवान विष्णु के इस रूप को नर वराह कहा जाता है। प्रतिमा को पीले रंग के बलुगा पत्थर पर उकेरा गया है। चौथी शताब्दी के आखिर और पांचवीं शताब्दी के शुरुआती दौर में चंद्रगुप्त द्वितीय के शासन काल में इसका निर्मण किया गया था। उपलब्ध दस्तावेजों के आधार पर यह देश में वराह की सबसे ऊंची प्रतिमा है।
चट्टान पर चित्रों के जरिए दर्शायी है कथा
विशाल चट्टान पर वराह की प्रतिमा के साथ ही चित्रों के जरिए पूरी कथा को दर्शाया गया है। कथा को वर्णित करने के लिए वराह प्रतिमा के साथ ही मगर पर सवार गंगा, कछुए पर सवार यमुना को दिखाया गया है। वहीं वराह के चरणों में शेष नाग, सामने हाथ जोड़े राजा और समुद्र की लहरों का दृश्य पूरी कहानी को स्पष्ट करता है। इसके अलावा जय जयकार करते भगवान ब्रह्मा, शिव, सरस्वती, पार्वती सहित अन्य देवी देवताओं को भी दर्शाया गया है।
शास्त्रों में वर्णित कथा के अनुसार, पुरातन समय में दैत्य हिरयणक्ष ने जब पृथ्वी को ले जाकर समुद्र में छिपा दिया था, तब ब्रह्मा की नाक से भगवान विष्णु वराह के रूप में प्रकट हुए। देवताओं के आग्रह पर भगवान वराह ने पृथ्वी का पता लगाकर दैत्यों से पृथ्वी को आजाद कराया था।