
ठंड में सनस्क्रीन का जरूर करें इस्तेमाल, नहीं तो त्वचा को उठाना पड़ेगा ये भारी नुकसान
सनस्क्रीन के बारे में कई स्किनकेयर मिथ हैं। हमें घर के अंदर सन सक्रीन की जरूरत नहीं है या सर्दियों में इसकी कोई आवश्यकता नहीं है, क्योंकि धूप कम निकलती है। लेकिन स्किन एक्सपर्ट्स का कहना है कि इसे हमेशा इस्तेमाल करते रहना जरूरी है।
एक्सपर्ट्स सनस्क्रीन लोशन लगाने के महत्व पर जोर देते हैं। वह कहते हैं कि यह न केवल सूरज से हमें बचाता है बल्कि त्वचा को जवां और स्वस्थ भी रखता है। “गर्मियों में बाहर निकलने से पहले तो हम सनस्क्रीन लगाते ही हैं, क्योंकि यह सनबर्न, टैनिंग और यूवी किरणों से बचाता है। लेकिन सर्दियों में भी हमेशा सनस्क्रीन लगाना चाहिए”।
सनसक्रीन लगाने के ये हैं फायदे:
* पतली ओजोन परत: सर्दियों के दौरान, ओजोन लेयर अपने सबसे पतले फॉर्म में होती है। जिसका अर्थ है कि यह हमारी स्किन अल्ट्रा वॉइलेट रेज के डायरेक्ट एक्सपोज़र में है। ये रेज़ त्वचा को नुकसान पहुंचाती हैं। इससे समय से पहले बुढ़ापा, झुर्रियाँ और पिग्मेंटेशन जैसी समस्याएं हो सकती हैं।
* कैंसर का खतरा: सर्दियों के दौरान यूवी किरणों के संपर्क में आने का जोखिम बहुत अधिक होता है, जिससे त्वचा कैंसर का खतरा बढ़ सकता है। क्योंकि वे त्वचा की कोशिकाओं में डीएनए को नुकसान पहुंचाती हैं। सनस्क्रीन लगाने से त्वचा की कोशिका क्षति का खतरा कम हो सकता है।
* कम नमी: सर्दियों के दौरान कम नमी और तेज हवाओं के कारण त्वचा रूखी हो जाती है। जिससे दरारें, झुर्रियां और संक्रमण बढ़ जाता है। सनस्क्रीन का प्रयोग त्वचा की नमी के स्तर को बनाए रखने में मदद करता है।
* जलन और लाली: एक और समस्या है सर्दियों के दौरान त्वचा पर जलन और लालिमा। ऐसा इसलिए भी होता है क्योंकि त्वचा पानी बनाए रखने की क्षमता खो देती है। यह नमी खो देती है और फिर सूख जाती है। जिसके कारण अगर मॉइस्चराइजेशन नहीं किया गया तो जलन और लाली हो जाती है।
* इंडोर लाइट्स: न केवल बाहर, बल्कि हमारी त्वचा घर के अंदर भी हानिकारक किरणों के संपर्क में आती है। गैजेट्स से निकलने वाली हानिकारक किरणें (नीली रोशनी) त्वचा को नुकसान पहुंचाती हैं। इसलिए, उपयुक्त एसपीएफ़ और नीली रोशनी से सुरक्षा के लिए सनस्क्रीन लगाना जरूरी है, चाहे धूप हो या न हो।
* उम्र बढ़ने के शुरुआती संकेत: सूरज और नीली रोशनी के लंबे समय तक संपर्क में रहने के कारण त्वचा को फ्री रेडिकल्स से होने वाले नुकसान जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ता है, जिसके कारण तेजी से बुढ़ापा आ सकता है। यह इसे पहले से मौजूद कोलेजन और टूटे हुए इलास्टिन फाइबर के टूटने जैसे कुछ मुद्दों के प्रति संवेदनशील बनाता है। जिससे त्वचा पतली हो सकती है, जिसके कारण झुर्रियां और महीन रेखाएं हो सकती हैं। सनस्क्रीन उम्र बढ़ने के शुरुआती लक्षणों को कम करने में मदद करता है और साथ ही साथ चमकदार रंगत बनाए रखता है।
* पिग्मेंटेशन: पिग्मेंटेशन से मतलब त्वचा पर अधिक मेलेनिन उत्पादन के कारण काले धब्बे से है जो सूरज की किरणों, गंदगी और प्रदूषण के लगातार संपर्क में रहने के कारण होता है। सनस्क्रीन का उपयोग त्वचा को हानिकारक यूवी किरणों के कारण होने वाले पिग्मेंटेशन से बचाने में मदद करता है।