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उत्तराखंड : रोडवेज़ कर्मचारियों की सैलरी के मामले में हाई कोर्ट ने लगायी प्रदेश सरकार को फटकार

रोडवेज़ कर्मचारियों की सैलरी के मामले में हाई कोर्ट ने राज्य के शीर्ष अधिकारियों को तलब करने के साथ ही छुट्टी के दिन भी सुनवाई के लिए बनवायी स्पेशल बेंच

नैनीताल। प्रदेश में रोडवेज़ कर्मचारियों की सैलरी का मामला ख़ासा तूल पकड़ता नज़र आ रहा है। आज रोडवेज़ कर्मचारियों की सैलरी के मामले में हाई कोर्ट ने प्रदेश सरकार को फटकार लगायी। गौरतलब है की छुट्टी के दिन भी इस मामले की सुनवाई के लिए उत्तराखंड हाई कोर्ट ने स्पेशल बेंच बनाई। जिसके बाद चीफ जस्टिस की अदालत ने राज्य के शीर्ष अधिकारियों को भी कोर्ट में पेश होने के निर्देश देते हुए पूछा है कि पिछले 5 महीने से रोडवेज़ कर्मचारियों सैलरी क्यों नहीं दी गयी।

हाई कोर्ट ने कहा कि सरकार द्वारा रोडवेज़ कर्मचारियों के मूलभूत अधिकारों का हनन किया जा रहा है और यह संवैधानिक ज़िम्मेदारी निभाने में भी नाकामी का प्रतीक है।

आपको बता दें की रोडवेज़ कर्मचारी यूनियन ने हाई कोर्ट में जनहित याचिका दाखिल करते हुए सरकार पर कई सवाल खड़े किये थे, जिसके बाद कोर्ट ने भी अपने तेवर सख्त करते हुए सरकार को कठघरे में खड़ा किया है।

रोडवेज़ कर्मचारियों के यूनियन ने कोर्ट में दर्ज अपनी याचिका में कहा कि सरकार ने कई महीनों से कर्मचारियों को उनकी सैलरी नहीं दी है। और तो और जब कर्मचारी हड़ताल पर जाते हैं, तो सरकार एस्मा के तहत उनपर कार्रवाई भी करती है। यूनियन ने अपनी याचिका में कहा कि परिवहन निगम पर सरकार का 700 करोड़ परिसम्पत्ति कर बकाया है, जिसको सरकार नहीं ले सकी। साथ ही, याचिका में कहा गया है कि चारधाम समेत अन्य यात्राओं के सिलसिले में भी करीब 68 लाख की राशि निगम को दी जाना है।

इधर, उत्तर प्रदेश सरकार ने अपने जवाब में कोर्ट को बताया कि परिसम्पत्तियों के बंटवारे के समय बुक वैल्यू के हिसाब से उत्तराखंड राज्य का हिस्सा मात्र 45 लाख व बाजार मूल्य के हिसाब 27.63 करोड़ बनता है। इस पर हाई कोर्ट ने यूपी सरकार को ये धनराशि उत्तराखंड सरकार को देने के आदेश दिए थे, जिस पर फिलहाल सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगाई है।

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