
कायाकल्प की राह देखता न्याय विभाग ,11 हाई कोर्ट में न्यायधीशों के 40% से अधिक पद रिक्त
सामान्य जीवन में न्यायालय का दरवाजा किसे नहीं खटखटाना पड़ता। और न्यायालय जाकर लेटलतीफी का भी शिकार होना पड़ता है। ऐसा न्यायालयों में पर्याप्त श्रमबल ना होने किओ वजह से होता है। इसी क्रम में हम साझा करते हैं विधि और न्याय मंत्रालय के आकड़ें जिसके अनुसार न्यायालयों में लगभग 40 प्रतिशत तक न्यायधीशों के पद रिक्त हैं।
विधि और न्याय मंत्रालय की एक रिपोर्ट के अनुसार 25 उच्च न्यायालयों स्वीकृत न्यायाधीश के 1080 पदों में से 480 पद अभी भी खाली हैं। ज़रा सोचिये जब न्यायाधीशों के लगभग चालीस प्रतिशत पद रिक्त है तो इसका खामियाजा जनता को तो भुगतना ही होगा। यही वजह है की हमें न्याय के लिए लंबा इन्तजार करना पड़ता है।
आकड़ों में ना केवल हाई कोर्ट की बात कही गयी बल्कि यह भी बताया गया है की सुप्रीम कोर्ट में सात पद अभी भी रिक्त हैं।
क्यों रिक्त हैं पद :
नियुक्ति के प्रस्तावों पर कोलेजियम की अस्वीकृति : जी हाँ कोलेजियम व्यवस्था के चलते जो प्रस्ताव नीचे से ऊपर भेजा जाता है उसको कोलेजियम में पास होना जरूरी होता है अतः इन प्रस्तावों को कैंसिल कर दिया जाता है , जो की एक बहुत बड़ी वजह है।
राज्य सरकारों की ओर से प्रक्रियात्मक विलम्ब : राज्य सरकारों को अपनी अनुशंसा विधि मंत्रालय को भेजने के लिए 6 सप्ताह का समय होता है राज्य सरकारें इसमें देरी करती हैं और यही वजह है की पद खली रह जाते हैं।
जो भी हो सभी को अपनी जिम्मेदारी को समझना होगा तभी न्याय व्यवस्था का कायाकल्प संभव है।