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टीम इंडिया  के लिए कैसे अहम गेंदबाज बने नवदीप सैनी

सपने उनके पूरे होते है, जिनके सपनों में जान होती है। जिसे पूरा करने के लिए साधनो की नहीं, हौसलों की जरूरत होती है, जिसे Delhi के गेंदबाज नवदीप सैनी ने सच कर दिखाया। बचपन मे बॉलिंग प्रैक्टिस करने के लिए उनके पास कोई साधन नहीं था, उन्होंने पौधे के गमलों को ही स्टम्प बनाकर, प्रैक्टिस की और आज IPL के बॉलर बन गए। 

नवदीप सैनी का जन्म 23 नवंबर 1992 को करनाल, हरियाणा में हुआ था। उन्हें बचपन से ही क्रिकेट खेलने का बहुत शौक था, खासकर उन्हे बॉलिंग करना ज्यादा पसंद था।

वे छठी क्लास से क्रिकेट खेलना आरंभ किए थे। उनकी क्रिकेट प्रति इतनी दीवानगी थी कि वे घर के बाहर दोस्तों के साथ क्रिकेट खेलते थे और घर के अंदर गमलों के साथ।

चौकिए मत, दरअसल फूलों के गमलों को स्टम्प बनाकर बॉलिंग प्रैक्टिस किया करते थे, जिससे गमलों के पौधे तितर-बितर हो जाता था, जब शाम को उनके पिता अमरजीत सैनी आते थे। उन्हें डांट पड़ती थी। यह रोज की उनकी दिन-चर्या बन गई थी।

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वे मिशेल स्टार्क और ब्रेट ली को अपना आइडियल मानते हुए बॉलिंग प्रैक्टिस करते थे, वे 140 किमी/घंटा की स्पीड से बॉलिंग कर लिया करते है।

इतना अच्छा खिलाड़ी होने के बावजूद वे किसी भी क्रिकेट अकादमी को जॉइन नहीं कर सके, क्योंकि उनके पास पैसे नहीं थे। तब उनपर नजर दिल्ली बॉलर सुमित नरवाल की पड़ी। जिसने उन्हें दिल्ली के किसी क्रिकेट अकैडमी में दाखिल होने में मदद किया।

नवदीप का यह लक था या उनके मेहनत का परिणाम, उस अकैडमी में उन्हें भारतीय क्रिकेट टीम के हिस्सा रहे गौतम गंभीर को नेट प्रैक्टिस करने का जिम्मा मिला, जो उनके लिए वरदान साबित हुआ।

नेचुरल टेलेंटिड नवदीप की बॉलिंग से गौतम गंभीर खूब प्रभावित हुए और उन्हें दिल्ली की टीम में शामिल करने के लिए दिल्ली कोच केपी भास्कर से भीड़ गए। इससे अच्छे परिणाम तो आया नहीं और गंभीर पर चार मैचों का बैन लगा और कप्तानी भी गई।

खैर उन्हें 14 दिसम्बर को दिल्ली के लिए विदर्भ के खिलाफ फ़र्स्ट क्लास मैच में डेब्यु करने का मौका मिला। जिसमें उन्होंने 2 कीमती विकेट लिये।भारतीय क्रिकेट की नई सनसनी तेज गेंदबाज नवदीप सैनी ने अपने हाथ पर वुल्फ का एक टैटू बनवाया है, जिसके पीछे एक दिलचस्प कहानी छिपी है. जिसका खुलासा उन्होंने भुवनेश्वर कुमार से बातचीत में किया. वेस्टइंडीज के खिलाफ तीन टी20 मैचों की सीरीज के पहले मैच में 17 रन देकर तीन विकेट लेने वाले नवदीप ने बीसीसीआई टीवी के लिए भुवनेश्वर को दिए एक इंटरव्यू में खुलासा किया कि बचपन से ही वह अपने बड़े भाई के साथ मिलकर वुल्फ की सभी फिल्में देखा करते थे और यह उन्हें काफी पसंद था. इसके अलावा इस टैटू को बनवाने का सबसे बड़ा कारण नवदीप ने बताया वुल्फ कभी भी सर्कस में नहीं उतरता और इसे ही ध्यान में रखकर उन्होंने टैटू बनाया.

महज 15 मिनट ने बदल दी नवदीप सैनी की जिंदगी

बता दें कि 2013 तक नवदीप सैनी ने लेदर की गेंद के साथ बहुत क्रिकेट नहीं खेला था। वह अपने गृहनगर में टेनिस गेंदों के साथ खेला करते थे और उन्हें प्रति मैच 200 रुपये मिलते थे।बहुत कम लोगों को ही पता होगा कि महज 15 मिनट ने नवदीप सैनी की जिंदगी बदल दी। दरअसल सैनी ने अपने करियर की शुरुआत में पूर्व भारतीय सलामी बल्लेबाज गौतम गंभीर को नेट सत्र के दौरान 15 मिनट गेंदबाजी की थी।

गंभीर उनकी गेंदबाजी से काफी प्रभावित हुए थे। और बाद में यहीं 15 मिनट नवदीप सैनी के करियर के लिए महत्वपूर्ण समय साबित हुए। अपनी प्रतिभा की पहचान के लिए गौतम गंभीर को पूरा श्रेय देते हुए नवदीप सैनी ने कहा कि मैं अपने करियर में गौतम भैया के योगदान को कभी नहीं भूल सकता। आज जो भी हूं सब उसकी (गौतम गंभीर) वजह से ही मैं यहां हूं। जब भी मैं अपने जीवन में कुछ हासिल करूंगा, गौतम भैया का नाम हमेशा आएगा।

आपको आश्चर्य हो रहा होगा कि नवदीप सैनी का साड़ी पहनकर और हाथ में बर्तन पकड़कर क्रिकेट खेलने से क्या संबंध। तो आपको बता दें कि हम नवदीप सैनी नहीं उनकी मां की बात कर रहे हैं। वेस्ट इंडीज के खिलाफ टी20 डेब्यू करने वाले नवदीप सैनी ने अपनी तेजी से बल्लेबाजों को खूब छकाया। लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि नवदीप सैनी ने जब पहली बार गेंदबाजी की थी तो बल्लेबाज के तौर पर उनके सामने उनकी मां थीं।

सैनी के घर में होता था मिट्टी के बर्तनों का ढेर
सैनी की मां को तब तक यही पता था कि बर्तनों का इस्तेमाल सिर्फ किचेन में ही होता है। लेकिन नवदीप सैनी के कारण उनकी मां को बर्तनों का इस्तेमाल बैट के रूप में करने के लिए मजबूर होना पड़ा। नवदीप सैनी हरियाणा के करनाल जिले में स्थित तरौरी कस्बे के एक गांव में जन्में और वहीं पले बढ़े। इस स्थान एक क्रिकेट ट्रेनिंग के लिए कोई आधारभूत ढ़ांचा उपलब्ध नहीं है। यहां के लोग खेती, फैमली बिजनेस और सरकारी नौकरियों पर निर्भर हैं। शायद इ​सीलिए नवदीप सैनी को मजबूरन अपनी मां को ही बल्लेबाज के रूप में खड़ा कर गेंदबाजी करनी पड़ी।

सैनी को उनके पिता से मिला पूरा सहयोग
नवदीप के पिता हरियाणा रोडवेज में ड्राइवर थे और दिन के अधिकतर समय अपनी ड्यूटी पर रहते। सैनी के बड़े भाई विदेश में सेटल होने के लिए प्रयास करने में व्यस्त थे। नवदीप सैनी का कोई ऐसा साथी नहीं था जिसके साथ वह क्रिकेट खेल सकते थे। जब उनकी मां भी मना कर देती थीं तो सैनी मिट्टी के कुछ बर्तनों को सजाकर विकेट बनाते थे और उसी पर गेंदबाजी का अभ्यास करते। गेंद लगने से मिट्टी के बर्तन टूट जाते थे और उनके टुकड़े यहां वहां बिखर जाते। बर्तन के टुकड़े जीतनी दूर तक बिखरते, सैनी को उतना ही मजा आता। क्योंकि यह इस बात का संकेत होता था कि सैनी तेज गेंदबाजी कर रहे हैं।

मिट्टी के बर्तनों को तोड़ने में आता था मजा
अपने छोटे बेटे का गेंदबाजी के प्रति यह जुनून देखकर सैनी के पिता अमरजीत सैनी ने अपने घर में मिट्टी के बर्तनों का ढ़ेर लगा दिया। अगर सैनी दो तोड़ते तो उनके पिता चार खरीद लाते। बर्तनों की संख्या बढ़़ती गई और इसके साथ ही नवदीप सैनी के गेंदों की तेजी भी। दृढ़ निश्चय और गेंदबाजी के प्रति अथाह जुजून ने सैनी के सामने की सारे बाधाएं हटा दीं। गेंदबाजी नवदीप सैनी की लत बन गई। जब सैनी ने वेस्ट इंडीज के खिलाफ पहले टी20 मैच में शिमरोन हेटमायर का विकेट उखाड़ा तो उनकी आखों में वही पुरानी चमक दिखाई दी जो चमक मिट्टी के बर्तनों को गेंद मारकर फोड़ने के बाद दिखाई देती थी।

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मां को गेंदबाजी करते थे नवदीप सैनी
नवदीप सैनी जब वेस्ट इंडीज के खिलाफ 3 अगस्त को अपना पहला टी20 अंतरराष्ट्रीय मैच खेलने उतरे तो उनके गांव में पिता अमरजीत, उनकी मां और 97 वर्षीय उनके दादा टीवी पर मैच देख रहे थे। नवदीप के पिता अमरजीत ने हिन्दुस्तान टाइम्स के साथ बातचीत में कहा, ‘हम बता नहीं सकते कि हमें कितनी खुशी मिली जब उसने अपना विकेट झटका। वह मुझसे हमेशा कहता रहता था कि डैडी मैं मेहनत करना जारी रखूंगा जो कुछ भी हो। अब उसकी मेहनत का फल उसे मिल गया। उसने मुझसे पूछा कि उसके डेब्यू करने पर मैं कैसा महसूस कर रहा हूं। मैंने उसे सिर्फ आशीर्वाद दिया और कहा कि बेटे तू नहीं जान पाएगा कि तूने हमें कौन सी खुशी दे दी है।’

बेटे की उपलब्धि पर भावुक हुए पिता
नवदीप सैनी के डेब्यू करने के अगले दिन उनके पिता पड़ोसियों, स्थानीय विधायक और हरियाणा के मुख्य मंत्री मनोहर लाल खट्टर की ओर से आए बधाई संदेश के लिए फोन कॉल रिसीव करने में व्यस्त रहे। अमरजीत सैनी ने कहा, ‘आखिरी ओवर में उसने जो मेडन ओवर डाला वह शानदार था। मैं क्रिकेट की तकनीक के बारे में बहुत ज्यादा तो नहीं जानता, लेकिन यह जरूर कह सकता हूं कि टी20 मैच में आखिरी ओवर मेडन डालना बहुत किंचित ही होता है।’ धीरे-धीरे समय बदला और मिट्टी के बर्तनों का स्थान स्टंप्स ने ले लिया। नवदीप की मां के स्थान पर बल्लेबाज आ गए। लेकिन दो चीजें आज तक नहीं बदलीं हैं। पहला नवदीप का कठिन परिश्रम और उसकी गेंदों की तेजी।

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