
Veer Bal Diwas 2022: क्या है वीर बाल दिवस, जानें इतिहास और महत्व…
इस्लाम धर्म कबूल करने पर उन्हें क्रमशाह 8 और 5 साल की उम्र में कथित तौर पर जिंदा दफन कर दिया गया था।
आज पूरा देश वीर बाल दिवस मना रहा है। वीर बाल दिवस के अवसर पर भारतीय जनता पार्टी राजधानी दिल्ली के मेजर ध्यान सिंह स्टेडियम में कार्यक्रम का आयोजन कर रही है। बता दें कि सिखों के अंतिम गुरु गोविंद सिंह के पुत्रों के अनुकरणीय साहस की कहानी से देश और दुनिया अवगत कराने के लिए वीर बाल दिवस कार्यक्रम का आयोजन किया गया है। 9 जनवरी को गुरु गोविंद सिंह की जयंती पर प्रधानमंत्री मोदी ने घोषणा की थी कि सिख गुरु के चार साहिब जादे खालसा की शहादत को चिन्हित करने के लिए 26 दिसंबर को वीर बाल दिवस के रूप में मनाया जाएगा।
बता दें कि मुगल शासन काल के दौरान सिखों के नेता गुरु गोविंद सिंह के चार बेटे थे। उन्हें चार साहिब जादे खालसा कहा जाता था 1699 में गुरु गोविंद सिंह ने खालसा पंथ की स्थापना की थी। आपको बता दें कि धार्मिक उत्पीड़न से बचाव के लिए सिख समुदाय के लोगों की रक्षा करने के उद्देश्य से इस पंथ की स्थापना की गई थी। गुरु गोविंद सिंह की तीन पत्नियों से चार बेटे थे अजीत, जुझार जोरावर और फतेह जो सभी खालसा के हिस्सा थे। उन चारों को 19 वर्ष की आयु से पहले मुगल सेना द्वारा मार दिया गया था।
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उनकी शहादत का सम्मान करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने घोषणा की थी कि 26 दिसंबर से वीर बाल दिवस के रूप में मनाया जाएगा। यादी चार साहिब जादा विशेष रूप से उनके पुत्र जोरावर सिंह और फतेह सिंह के साहस के लिए श्रद्धांजलि होगी जिन्हें तत्कालीन शासक औरंगजेब के आदेश पर मुगलों द्वारा कथित तौर पर मार दिया गया था।
वीर बाल दिवस का महत्व…
वीर बाल दिवस खालसा के चार साहिब जादे के बलिदान के सम्मान के लिए मनाया जाता है। गुरु गोविंद सिंह के छोटे बच्चों ने अपने आस्था की रक्षा करते हुए अपने प्राण निछावर कर दिए थे। उनकी कहानियों को याद करने का भी दिन है और यह जानने का भी दिन है कि कैसे उनकी हत्या की गई थी खासकर जोरावर और फतेह सिंह की। बताया जाता है कि सरसा नदी के तट पर टिक लड़ाई के दौरान दोनों साहिब जादू को मुगल सेना ने बंदी बना लिया था और इस्लाम धर्म कबूल करने पर उन्हें क्रमशाह 8 और 5 साल की उम्र में कथित तौर पर जिंदा दफन कर दिया गया था।
BY- ANURAG SACHAN
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