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यूपी में खत्म होता मायावती का वजूद, आरक्षित सीटों पर भी नहीं चला जादू
बीएसपी चीफ मायावती को सकते में डाल दिया है।
लखनऊ: उत्तर प्रदेश में विधानसभा के चुनाव सम्पन्न हो गए हैं। नतीजे आने के बाद अब हार-जीत को लेकर सभी दल मंथन करने में जुटे हुए हैं। कभी यूपी की सियासत का केंद्रबिंदु रहीं मायावती इस बार सिर्फ एक सीट ही जीतने में कामयाब रहीं। उनके दो-चार उम्मीदवारों को छोड़ दें तो सभी की जमानत जब्त हो गई। बीएसपी को उन सीटों पर भी कोई खास सफलता नहीं मिली, जो आरक्षित थीं। जिसने बीएसपी चीफ मायावती को सकते में डाल दिया है।
यूपी की 86 रिजर्व सीटों (आरक्षित) में से बीएसपी को एक भी सीट नहीं मिली है। ये बहुत चौंकाने वाला है क्योंकि कभी इन्हीं रिजर्व सीटों ने मायावती की सरकार बनाई थी लेकिन अब वहीं उनकी सबसे बड़ी कमजोरी साबित हो रही है।
यूपी में आरक्षित सीटों को लेकर मायावती पहले भी गणित बनाने में जुटी हुईं थीं। उन्होंने इसके लिए अपने सबसे खास और पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव सतीश चंद्र मिश्रा को लगाया था। दरअसल, यूपी की रिजर्व विधानसभा सीटों में बसपा के लिए मुश्किल हो जाती है, जहां दलितों का वोट अलग-अलग उम्मीदवारों में बंट जाता है। इसलिए सवर्णों का वोट निर्णायक साबित होता है। यही कारण है कि इस चुनाव में भी मायावती गैर-दलित और सवर्ण वोटों को अपनी ओर खींचने के लिए पूरी ताकत झोंक रही थीं। लेकिन नतीजों में इसका परिणाम बिल्कुल उलट गया।
अगर पिछले कुछ चुनावों के परिणामों पर नजर डालें तो 2017 के विधानसभा चुनाव में इन 86 सीटों में से बसपा ने सीतापुर के सिधौली और आजमगढ़ के लालगंज में ही जीत हासिल की थी।