
छत्तीसगढ़: कई गांवों में तेजी से फैल रहा कोरोना, नहीं मिल रहा टीका और इलाज
छत्तीसगढ़ में कोरोना वायरस की दूसरी लहर गांवों में तेजी से फैल रही है। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के अनुसार इस बार कुल संक्रमितों में करीब 50 फीसद से अधिक गांवों से आ रहे हैं। पिछले साल लॉकडाउन के दौरान लगभग सात लाख प्रवासी मजदूर दूसरे राज्यों से छत्तीसगढ़ लौटे थे। मजदूरों को टीका और इलाज नहीं मिल रहा।
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उस समय उन्हें क्वारंटीन किया गया था और उनकी जांच की भी व्यवस्था की गई थी। लेकिन इस बार मामलों में बेतहाशा वृद्धि होने के बावजूद न ही क्वारंटीन की व्यवस्था की गई न ही कोई जांच की व्यवस्था की गई। विशेषज्ञों के अनुसार कोरोना के गांव में फैलने के पीछे सरकार की राजनीति है जिससे इस बार उतनी कड़ाई नहीं दिख रही है और लोग लापरवाह हो गए हैं।

इन गांवों में 150 से लेकर 300 फीसदी तक बढ़े हैं मामले
छत्तीसगढ़ में 9 अप्रैल से 8 मई तक के कुल मामलों को देखकर पता चलता है कि इस दौरान गौरेला-पेंड्रा-मरवाही जिले में कोरोना कोरोना संक्रमितों में 315.08 फीसदी की बढ़ोतरी हुई। पड़ोसी जिला मुंगेली में कोरोना संक्रमितों में 263.63 फीसदी तक की बढ़ोतरी हुई। इसी तरह आदिवासी बहुल जशपुर में कोरोना के मामले बढ़कर 200.40 फीसदी तक पहुंच गए। बलरामपुर ज़िले में कोरोना की रफ्तार 185.10 फीसदी और गरियाबंद जिले में यह 178.89 फीसदी तक पहुंच गई।
ग्रामीण इलाकों में कोरोना को लेकर जागरुकता का अभाव
छत्तीसगढ़ के कुछ सामाजिक कार्यकर्ताओं का कहना है कि ग्रामीण इलाकों में कोरोना को लेकर जागरुकता की कमी है। कोरोना संक्रमित मरीज इस बात का डर रहता है कि संक्रमित पाए जाने पर उन्हें इसके लिए जिम्मेदार मान कहीं गांव से न निकाल दिया जाए।
यही कारण है कि बड़ी संख्या में लोग जांच से बच रहे हैं और जब तक संभव हो, अस्पताल जाने से भी बच रहे हैं। सामाजिक कार्यकर्ता का कहना है कि शादी-ब्याह जैसे आयोजनों में लोगों की भागीदारी ने कोरोना को और तेजी से फैलाया। जैसे अंजनी गांव में हुई एक शादी में सैंकड़ों की संख्या में लोगों को बुलाकर शादी का भोज आयोजित किया गया और बाद में जांच में शामिल हुए 69 लोग कोरोना संक्रमित पाए गए।
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इलाज और टीका के लिए भटक रहे लोग
सामाजिक कार्यकर्ताओं का कहना है कि घने जंगलों के बीच बसे गांवों में न तो इलाज की व्यवस्था है और ना ही जांच की। यही कारण है कि राज्य सरकार ने गांवों में केवल लक्षण के आधार पर, बिना किसी जांच के ही लोगों को कोरोना की दवा पहुंचाने के निर्देश जारी कर दिए हैं। इलाज और टीका के लिए भी भटक रहे हैं लोग
वहीं कुछ डॉक्टर उपलब्ध भी हैं तो उनका कहना है कि उनके जिले में वेंटिलेटर की सुविधा उपलब्ध नहीं है। इसके अलावा कोरोना के लिए जरूरी दूसरी दवा और इंजेक्शन भी उपलब्ध नहीं हैं। यही कारण है कि गंभीर रूप से संक्रमितों को पड़ोसी जिले बिलासपुर या रायपुर भेजना पड़ता है।