
उ.प्र. राज्य सडक़ परिवहन निगम का स्वर्ण जयन्ती समारोह…
प्रदेश की जनता को सस्ती, आरामदेह परिवहन सुविधा सुलभ कराने तथा प्रदेश के बहुमुखी विकास में योगदान करने हेतु वर्ष 1947 में सड़क परिवहन
लखनऊ: राजधानी के गन्ना संस्थान प्रेक्षालय में निगम स्वर्ण जयन्ती समारोह मनाया गया। इस कार्यक्रम की अध्यक्षता राजेन्द्र कुमार तिवारी, उ0प्र0 परिवहन निगम के अध्यक्ष द्वारा की गयी। इस कार्यक्रम के मुख्य अथिति मा0 राज्य परिवहन मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) दयाशंकर जी थे। इस कार्यक्रम प्रमुख सचिव परिवहन विभाग, एल0 वेंकटेश्वर लू, सेवा निवृृत्त पूर्व प्रबन्ध निदेशक रवीन्द्र सिंह, उ0प्र0 प्रबन्ध निदेशक आर0पी0 सिंह, विशेष सचिव, परिवहन विभाग, अखिलेश मिश्र, अपर प्रबन्ध निदेशक अन्नपूर्णा गर्ग वित्त नियंत्रक संजय सिंह, तथा निगम के अधिकारियों/ कर्मचारियों द्वारा भाग लिया गया।
प्रदेश की जनता को सस्ती, आरामदेह परिवहन सुविधा सुलभ कराने तथा प्रदेश के बहुमुखी विकास में योगदान करने हेतु वर्ष 1947 में सड़क परिवहन का राष्ट्रीयकरण किया गया। सड़क परिवहन को प्रथम पंचवर्षीय योजना में भी सम्मिलित किया गया। राज्यकीय रोडवेज की प्रथम बस सेवा 15.05.1947 को लखनऊ-बाराबंकी मार्ग पर संचालित हुई।
बता दें कि वर्तमान में निगम द्वारा 11293 बसों का बेड़ा संचालित है जिसमें स्वयं की 8930 बसें तथा 2363 अनुबन्धित बसें सम्मिलित है। यह बसें प्रदेश के 17729 कि.मी. की राष्ट्रीकृत मार्गों के सड़क कि.मी. पर मुख्य रुप से संचालित होती है। निगम द्वारा उ.प्र. के अतिरिक्त पारस्परिक समझौते के आधार पर दिल्ली, राजस्थान, उत्तराखण्ड, हरियाणा, हिमांचल प्रदेश, बिहार, आदि राज्यों तक सीधी सेवाऐं संचालित है। निगम द्वारा नेपाल राष्ट्र हेतु भी कई पर्यटक स्थलों जैसे पोखरा व महेन्द्रनगर की सेवाऐं भी संचालित है। निगम द्वारा वैश्विक महामारी कोविड अवधि मे राज्य सरकार के आपदा प्रबन्धन के निर्देशानुसार अपने प्राणों की परवाह न करते हुए 34 लाख प्रवासी यात्रियों को प्रथम लहर में तथा 10 लाख प्रवासी यात्रियों को द्वितीय लहर में बस सेवा प्रदान की गई।
मा. मुख्यमंत्री जी द्वारा निगम की इस अर्हनिष सेवा को अपने सम्बोधन में ’’संकट के साथी’’ कहकर सम्मानित किया गया। निगम द्वारा आपदा प्रबन्धन में अपने दायित्वों के कुशल सम्पादन का यह प्रथम अवसर नहीं था। निगम द्वारा 1990 के दशक में घोर आतंकवाद के मध्य जम्मू कश्मीर के चुनाव के आयोजन में सफल योगदान दिया गया था। उत्तराखण्ड में केदारनाथ में हुई त्रासदी हो या नेपाल में आये भूकंम्प निगम द्वारा सदैव ही एैसे समय में बढ़ चढ़ कर अपने दायित्व का निर्वहन किया गया है।
निगम द्वारा प्रदेश के 97914 गाँवों में से 85610 को बस सेवाओं से सेवित किया जा चुका है तथा 12204 शेष गाँवों को भी सेवित करना लक्षित है। निगम द्वारा महिला सशक्तिकरण के अन्तर्गत पिंक बसों का संचालन प्रारम्भ कराया गया है तथा रक्षाबंघन पर्व पर महिलाओं को अपनी सेवाओं में निःशुल्क यात्रा भी अनुमन्य की गई है। गत 5 वर्ष में इस क्रम में लगभग 50 लाख से अधिक महिलाओं द्वारा इस सेवा का लाभ लिया गया ओर इसे सराहर भी गया है। निगम द्वारा 23 महिला चालकों को बस चलाने का प्रशिक्षण भी दिया जा रहा है जिसके सफलतापूर्वक पूर्ण होने के उपरान्त बसों के संचालन का कार्य करेंगी जो राष्ट्रीय स्तर पर एक अग्रणी पहल है।
निगम के उक्त कार्यों के दृष्टिगत ही जहाँ एक ओर उत्तर एवं मध्य भारत के प्रमुख राज्यों के परिवहन निगम संकुचित अथवा समाप्त हो गये जैसे मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, झारखण्ड, बिहार, बंगाल आदि, साथ ही उ.प्र. के भी कई बड़े निगम समय के साथ परिवर्तित न होकर बन्द होते गये। यह निगम के 50 स्वर्णिम वर्षों की उत्कृष्ट उपलब्धि है जिस हेतु निगम में गत 50 वर्षों में योगदान दे चुके समस्त चालक, परिचालक, कार्यशाला कार्मिक, संचालन, प्रवर्तन व प्रशासनिक कार्मिक व समस्त अधिकारी साधुचाद एवं बधाई के पात्र है।
इस कार्यक्रम में उत्कृष्ट कार्यो में योगदान करने वाले 240 चालक/परिचालक, 88 कार्यशाला कर्मचारी, 17 सहायक क्षेत्रीय प्रबन्धक डिपो, 03 क्षेत्रीय प्रबन्धक, 03 सेवा प्रबन्धक, (नोएडा, झॉसी, देवीपाटन क्षेत्र), 05 प्रवर्तन कार्मिक व निमम मुख्यालय के 09 अधिकारियों/कर्मचारियों को मा0 परिवहन मंत्री द्वारा सम्मानित व पुरस्कृत किया गया। इसमें सभी इकाईयों के सभी शाखाओं के कार्मिक सम्मिलित है। मा0 परिवहन जी द्वारा सर्वश्रेष्ठ तीन क्षेत्रों को ट्राफी देकर सम्मानित किया गया जिसमें प्रथम स्थान पर नोएडा, द्वितीय स्थान पर झॉसी एवं तृतीय स्थान पर देवीपाटन क्षेत्र रहा।
मा0 परिवहन मंत्री जी ने कहा कि 3600 संविदा चालकों/परिचालकों की भर्ती ही जा रही है, प्रत्येक वर्ष परिवहन निगम 1000 बसों को बस बेडे में जोडेगा तथा आने वाले समय में परिवहन निगम ई-बसों का संचालन करने पर विचार कर रहा है।