
अप्रैल फूल डे : मजाक करते वक़्त रखें इन बातों का ध्यान
मूर्ख दिवस पर लोग एक-दूसरे संग मस्ती मजाक करते हैं. मजे-मजे में वो सब होता है जो हम-आप बस सोचते ही हैं. हर साल की तरह 1 अप्रैल को ‘अप्रैल फूल’ का दिन है। इस दिन अपने दोस्तों को झूठी बातें बोलकर हंसने-गुदगुदाने का दिन है लेकिन इस साल वक्त की नजाकत को समझते हुए हमें इस दिन को सेलिब्रेट करते हुए कुछ बातों का ध्यान रखना होगा।
अफवाह न फैलाएं
आज के दौर में अच्छी बातें फैले न फैले, लेकिन अफवाह जल्दी और तुरंत फैल जाती है। आपको किसी से भी मजाक करते समय इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि गलती से भी आपसे कोई गलत अफवाह न फैले, क्योंकि अगर आपकी वजह से कोई गलत अफवाह फैलती है तो कानूनन आप पर कार्रवाई भी हो सकती है और आप बड़ी मुसीबत में फंस सकते हैं। इसलिए मजाक ध्यान से करें।
सोशल मीडिया पर कोरोना वायरस को लेकर ऐसा कोई मीम या जोक न डालें, जिससे कि इस बीमारी की चपेट में आए लोगों का हौंसला टूटे या उनकी भावनाएं आहत हो।
-दोस्तों के साथ किसी भी तरह का मजाक करने से बचें। खासतौर पर कोरोना वायरसे जुड़ा कोई प्रैंक न करें।
-सोशल मीडिया पर किसी तरह की फेक न्यूज या वीडियो पोस्ट या शेयर करने से बचें।

मजाक ऐसा न हो जिससे बुरा लगे
अप्रैल फूल का क्या है, ये तो एक दिन का होता है और अगले दिन से आपको उन्हीं लोगों के साथ रहना होता है जिन्हें आप अप्रैल फूल बनाते हैं। इसलिए लोगों से ऐसा मजाक करने से बचें, जिससे उन्हें बुरा लग जाए क्योंकि हो सकता है कि अगर सामने वाले को बुरा लगता है तो वो आपसे नाराज भी हो सकता है। इसलिए मजाक करते समय इस बात का ध्यान जरूर रखना चाहिए।
क्यों मनाया जाता है ‘अप्रैल फूल’
अप्रैल फूल को लेकर कई कहानियां में कहा जाता है कि अप्रैल फूल्स डे (मूर्ख दिवस) की शुरुआत फ्रांस में 1582 में उस वक्त हुई, जब पोप चार्ल्स IX ने पुराने कैलेंडर की जगह नया रोमन कैलेंडर शुरू किया था। बताया जाता है कि इस दौरान कुछ लोग पुरानी तारीख पर ही नया साल मनाते रहे और उन्हें ही अप्रैल फूल्स कहा गया था।
हालांकि कई जगह इसकी शुरुआत 1392 भी बताई जाती है, लेकिन इसके कोई पुख्ता प्रमाण नहीं मिले हैं।जानकर हैरानी होगी कि फ्रांस, इटली, बेल्जि्यम में काग़ज़ की मछली बनाकर लोगों के पीछे चिपका दी जाती है और मज़ाक बनाया जाता है। वहीं स्पेनिश बोलने वाले देशों में 28 दिसंबर को अप्रैल फूल मनाया जाता है, जिसे डे ऑफ होली इनोसेंट्स भी कहा जाता है। इसी तरह से ईरानी फारसी नए साल के 13वें दिन एक-दूसरे पर तंज कसते हैं, यह एक या दो अप्रैल का दिन होता है।