
प्रयागराज: भूपेंद्र सिंंह बने जिला सहकारी बैंक के चेयरमैन
पक्ष रखने के लिए कहा तो दे दिया इस्तीफा
प्रयागराज : जिला सहकारी बैंक के अध्यक्ष अमरनाथ मौर्य ने इस्तीफा दे दिया है। बोर्ड ने उनका इस्तीफा भी स्वीकार कर लिया। उनकी जगह उपाध्यक्ष भूपेंद्र सिंह को अध्यक्ष का प्रभार सौंपा गया। पिछले चार साल से चेयरमैन पद पर रहे अमरनाथ मौर्य के सपा में जाने के साथ ही उन पर संकट के बादल मंडराने लगे। वह सपा से चुनाव भी नहीं लड़ पाए और अब डीसीबी के चेयरमैन का पद भी हाथ से चला गया है।
अमरनाथ को स्वामी प्रसाद मौर्य का करीबी माना जाता है। वह सपा में गए तो उनके निर्वाचन को चुनाैती दी गई। उनके खिलाफ शिकायत हुई कि उनका निर्वाचन वैध नहीं है। वह पीपलगांव सेे डेलीगेट है लेकिन उनके डेलीगेट के चयन में गड़बड़ी हुई थी। इसके अलावा वह जिस समिति से डेलीगेट है, वहां से निर्धारित धनराशि भी जमा नहीं थी। इन सब शिकायतों को देखते हुए शुक्रवार को जिला सहकारी बैंक कटरा के सभागार में बैठक बुलाई गई। माना जा रहा था कि फैसला अमरनाथ के खिलाफ ही जाएगा। इसके अलावा उन्हें अयोग्य घोषित किया जाता तो आगे तीन साल के लिए चुनाव लड़ने पर भी रोक लग जाती।
पक्ष रखने के लिए कहा तो दे दिया इस्तीफा
बैठक में जिला सहकारी बैंक के सभी 13 डायरेक्टर शामिल हुए। बैठक के दौरान अमरनाथ मौर्य से उनका पक्ष रखने को कहा। उसके बाद इस मुद्दे पर चर्चा होनी थी, लेकिन इसी दौरान उन्होंने अपने पद से इस्तीफा दे दिया। उन्होंने कहा कि उन पर लगाए गए आरोप निराधार है। उन्होंने भाजपा छोड़ दी है, इसलिए उनके खिलाफ निराधार शिकायतें कराई जा रही हैं। इसके बाद उपाध्यक्ष भूपेंद्र सिंंह को चेयरमैन पद की जिम्मेदारी दी गई। जिला सहकारी बैंक के सचिव सुनील श्रीवास्तव ने बताया अगले चुनाव होने तक उपाध्यक्ष को प्रभारी चेयरमैन बनाया गया है।
पूर्व में भी रह चुके हैं अध्यक्ष
अमरनाथ मौर्य इलाहाबाद-कौशाम्बी जिला सहकारी बैंक के 2010 से 2012 के बीच भी अध्यक्ष रहे। उस समय वह बसपा में थे। इसके बाद स्वामी प्रसाद मौर्य के साथ वह भाजपा में शामिल हो गए तथा मई 2018 में दोबारा अध्यक्ष निर्वाचित हुए। विधानसभा चुनाव से पहले स्वामी प्रसाद मौर्य के साथ अमरनाथ ने भी सपा का दामन थाम लिया। सपा ने विधानसभा चुनाव में अमरनाथ को शहर पश्चिमी से प्रत्याशी भी बनाया था, लेकिन आखिरी समय में ऋचा सिंह को टिकट दे दिया गया। अब प्रदेश में भाजपा की दोबारा सरकार है। इसी बीच बोर्ड के पूर्व सदस्य ने उनके निर्वाचन को चुनौती दी थी। इसी के बाद से ही अमरनाथ की कुर्सी जानी तय मानी जा रही थी।