
कोरोना काल में पूरी दुनिया में त्राहि-त्राहि मची हुई है. हर देश की सरकारें कोरोना से निपटने के लिए हर मुमकिन कोशिश कर रहे हैं. वहीं भूटान नरेश जिग्मे खेसर नामग्याल वांगचुक अपनी जनता की सेवा में लगे हुए हैं. वह एक राजा के तौर पर नहीं, बल्कि जनता के सेवक की तरह काम कर रहे हैं.
बता दें कि महज 7 लाख की आबादी वाले इस देश में कोरोना का संक्रमण बीते कुछ वक्त में तेजी से बढ़ा है.
भूटान नरेश ने किसी भी तरह का इंटरव्यू देने से इनकार कर दिया है, लेकिन इंस्टाग्राम और फेसबुक पर वह अकसर अपनी यात्रा और लोगों से मुलाकात के बारे में अपडेट देते रहते हैं.
कोरोना के लगातार बढ़ते मामलों के कारण भूटान नरेश जिग्मे खेसर नामग्याल वांगचुक बढ़ते मामलों से बेहाल जनता का हाल जानने के लिए पैदल मीलों पहाड़ी क्षेत्र की यात्रा कर रहे हैं. घोड़े की मदद से भी वह गांवों तक पहुंचते हैं.
बीते 14 महीनों से भूटान नरेश कभी पैदल यात्रा करते हैं तो कभी कार से और कभी घोड़े की मदद से दूर गांवों तक पहुंचते हैं. उन्हें कई बार राजधानी थिम्पू में क्वारंटाइन होना पड़ा है.
वह इन दिनों लोगों को जागरूक करने में जुटे हैं. वह लोगों को बता रहे हैं कि कोरोना संकट से बचने के लिए उन्हें क्या उपाय करने चाहिए और किन नियमों का पालन करना चाहिए.
भूटान के पीएम लोते शेरिंग के मुताबित, किंग जब मीलों सफर करते हैं और लोगों तक पहुंचकर उन्हें जागरूक करते हैं तो इसका असर होता है. लोग उनकी बात को पूरे सम्मान और गंभीरता के साथ लेते हैं.