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सुप्रीम कोर्ट ने नीट पीजी 2021 की आरक्षण नीति को लेकर जारी किया ये आदेश

दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को काउंसलिंग प्रक्रिया शुरू करने की अनुमति दी है। NEET के अधिकांश उम्मीदवारों ने चार महीने बाद प्रक्रिया शुरू होने पर राहत व्यक्त की है।  वहीं कुछ ऐसे उम्मीदवार भी हैं, जो नई आरक्षण नीति से नाखुश हैं। सरकार ने अखिल भारतीय कोटा के तहत मेडिकल और डेंटल कॉलेजों की सीटों में ओबीसी के लिए 27% और EWS उम्मीदवारों के लिए 10% आरक्षण की शुरुआत की है। कुल सीटों में से 50 फीसदी स्नातकोत्तर और 15 फीसदी स्नातक सीटें ऑल इंडिया कोटा (AIQ) की ओर से भरी जाएंगी।

 

उम्मीदवारों के एक समूह ने आरक्षण नीति के खिलाफ SC में एक याचिका दायर की थी। हालांकि SC ने इस सत्र के लिए नीति पर रोक लगाने की अनुमति दी और कहा कि वह लाभ की सीमा के रूप में EWS कोटा के लिए 8 लाख रुपये की पारिवारिक आय रखने के पीछे के तर्क पर फिर से विचार करेगा। मार्च में कोर्ट ने चार महीने की देरी के बाद काउंसलिंग प्रक्रिया शुरू करने की अनुमति दी। शीर्ष अदालत ने कहा कि काउंसलिंग “राष्ट्रीय हित” में शुरू होनी चाहिए।

 

हालांकि, उम्मीदवार मौजूदा आरक्षण नीति से नाखुश हैं। नया आरक्षण SC के लिए 15% आरक्षण और  AIQ के तहत ST उम्मीदवारों के लिए 7.5% आरक्षण के अतिरिक्त हैं। NEET PG क्लियर करने के बाद 50 फीसदी सीटें AIQ (केंद्रीय) के तहत आवंटित की जाती हैं, जबकि बाकी संबंधित राज्यों द्वारा मेरिट के आधार पर दी जाती हैं।

 

इस बीच मेडिकल प्रवेश परीक्षा NEET के विकेंद्रीकरण की भी मांग है। NEET का विश्लेषण करने के लिए तमिलनाडु सरकार द्वारा स्थापित एक पैनल का दावा है कि NEET के माध्यम से MBBS पाठ्यक्रमों में नामांकित छात्रों का प्रदर्शन कक्षा 12 के अंकों के आधार पर नामांकित छात्रों की तुलना में खराब है। समिति ने NEET से पहले और NEET के बाद MBBS पाठ्यक्रम के दौरान छात्रों के प्रदर्शन का विश्लेषण किया है। उन्होंने यह भी पाया कि NEET के लागू होने के बाद  मेडिकल कॉलेजों में प्रवेश पाने वाले छात्र मुख्य रूप से शहरी, संपन्न, शिक्षित परिवारों से हैं।

 

 

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