
उत्तराखंड: आज दौरे पर रहेंगे मुख्यमंत्री तीरथ, गांवों में जानेंगे कोरोना का सच
उत्तराखंड के पहाड़ी जिलों में लगातार बढ़ रहे कोरोना संक्रमण के बीच कोविड केयर अस्पतालों में इलाज की सुविधा का सच जानने के लिए मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत शनिवार को गढ़वाल के दौरे पर हैं। इस क्रम में मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने शनिवार को गोपेश्वर जिला अस्पताल और पीजी कालेज में कोरोना टीकाकरण केंद्र का निरीक्षण किया। मुख्यमंत्री सुबह 10:30 बजे गोपेश्वर पहुंचे और सबसे पहले जिला अस्पताल पहुंचे। उन्होंने यहां स्थापित हो रहे ऑक्सीजन प्लांट का निरीक्षण किया और जिलाधिकारी स्वाति एस भदौरिया से जिले में कोरोना संक्रमण की जानकारी ली।
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इसके बाद मुख्यमंत्री टीकाकरण केंद्र भी पहुंचे। उन्होंने स्वास्थ्य कर्मियों के साथ ही पुलिस ड्यूटी में तैनात पुलिस अधिकारी व कर्मचारियों की सराहना की। मुख्यमंत्री के साथ उच्च शिक्षा राज्य मंत्री धन सिंह रावत, विधायक मुन्नी देवी शाह, भाजपा जिला अध्यक्ष रघुवीर सिंह बिष्ट भी मौजूद रहे। मुख्यमंत्री आधा घंटाक गोपेश्वर में रहने के बाद रुद्रप्रयाग के लिए रवाना हो गए।

इसके बाद वह कोविड चिकित्सालय कोटेश्वर जाएंगे। कोटेश्वर अस्पताल में बदइंतजामी की केदारनाथ के विधायक मनोज रावत ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखा था। भाजपा नेता व दर्जाधारी अजेंद्र अजय ने भी मुख्यमंत्री से मामला उठाया था।
पर्वतीय क्षेत्रों में संक्रमण बढ़ने से वहां के कोविड केयर सेंटर्स पर दबाव बढ़ गया है। जनप्रतिनिधि व मरीजों के परिजन शिकायतें कर रहे हैं कि अस्पतालों में उन्हें सुविधा नहीं मिल रही है। मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत तक भी ऐसी शिकायतें पहुंची हैं। मुख्यमंत्री ने ग्राउंड जीरो पर जाकर हकीकत का पता लगाने का फैसला किया है। माना जा रहा है कि मुख्यमंत्री अस्पतालों के निरीक्षण के दौरान कुछ निर्णय व घोषणाएं भी कर सकते हैं।
पहाड़ के गांवों में लोग जुकाम बुखार से पीड़ित, संक्रमण का खतरा
पूर्व दायित्वधारी व भाजपा नेता अजेंद्र अजय ने पहाड़ के गांवों में कोरोना संक्रमण फैलने का खतरा जताया है। उन्होंने कहा कि मौसम में आ रहे बदलाव और शादियों में शामिल होने के बाद लोग बुखार व जुकाम से पीड़ित हैं। लेकिन कोरोना संक्रमण के भय से जांच कराने नहीं जा रहे हैं। इससे गांवों में कोरोना संक्रमण फैलने की आशंका है। उन्होंने सचिव स्वास्थ्य अमित नेगी से तत्काल कार्रवाई करने की मांग की।
उन्होंने मांग की कि ग्राम प्रधानों आदि के माध्यम से गांवों में बुखार आदि से पीड़ित लोगों की जानकारी जुटा कर टेस्ट अथवा उपचार की प्रक्रिया शुरू करवाई जानी चाहिए। उन्होंने होम आइसोलेशन में रह रहे ग्रामीणों के स्वास्थ्य की निरंतर निगरानी के लिए प्रत्येक गांव में कम से कम दो-तीन ऑक्सीमीटर और दो-तीन थर्मामीटर की व्यवस्था सुनिश्चित करने की मांग भी रखी।