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उत्तराखंड के सीएम उपनलकर्मियों के समर्थन में आज मौन उपवास पर 

उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव हरीश रावत ने उपनल कर्मियों के आंदोलन के सर्मथन में 21 मई को मौन उपवास की घोषणा की है। 

सेवाकाल की अनिश्चितता की तलवार

हरीश रावत ने कहा है कि 15 वर्ष से अधिक समय से सरकारी विभागों में कार्यरत उपनल कर्मियों पर आज भी सेवाकाल की अनिश्चितता की तलवार लटक रही है। ये किसी बाहरी एजेंसी से उपलब्ध करवाए गए नौजवान नहीं हैं। सरकार ने अपनी सुविधा के लिए ये एजेंसी बनाई और उनसे ये नौजवान लिए हैं। उत्तराखंड में तो उपनलकर्मियों के साथ सरकार ही अन्याय कर रही है।

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रावत के मुताबिक उनकी सरकार ने उपनल कर्मियों के भविष्य को देखते हुए प्रस्ताव तैयार किया था। यह राजनीति की भेंट चढ़ गया। सरकार पर नैतिक दबाव बनाने के लिये वे देहरादून के आवास पर सांकेतिक मौन उपवास पर रहे।

हरीश रावत अब उत्तराखंड आंदोलन से जुड़े अनुभव करेंगे साझा

उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत अब राज्य आंदोलन के अपने नजरिये को फेसबुक पोस्ट के जरिये साझा करेंगे। रावत ने कहा कि वे 23 मई से लिखना शुरू करेंगे। पूर्व मुख्यमंत्री के मुताबिक उत्तराखंड आंदोलन के दिनों में बहुधा उन्हें स्वायत्तशासी हिल काउंसिल के प्रमोटर के रूप में चित्रित किया गया। मौन

रावत ने कहा कि उत्तराखंड से लेकर दिल्ली तक में आंदोलन की धमक थी और हर स्तर पर कुछ न कुछ हो रहा था । इसमें उत्तराखंडियत का स्वरूप भी उभर कर सामने आया था। पौड़ी में हुए लाठीचार्ज के बाद सारे राज्य के अंदर जिस तरीके से पहले आरक्षण को लेकर और फिर धीरे-2 अलग राज्य को लेकर के एक जबर्दस्त आंदोलन चला था।

उस समय सियासी दलों के अंदर और सत्ता के गलियारों में कई घटनाएं घटित हुई और उनका सीधा संबंध उत्तराखंड के भविष्य की योजना के साथ था। इससे जुड़े अनछुए पहलुओं को सामने लाने की उनकी कोशिश होगी। उपनल कर्मचारियों को मिलेगा हड़ताल की अवधि का 56 दिनों का मानदेय, जारी किया गया आदेश

लंबित मांगों को लेकर हड़ताल पर रहे उपनल कर्मचारियों के लिए राहत की खबर है। कर्मचारियों को हड़ताल की अवधि का मानदेय दिया जाएगा। प्रमुख सचिव एल फैनई की ओर से इस संबंध में आदेश जारी किया गया है। आदेश में कहा गया है कि राज्यपाल ने मानदेय भुगतान की मंजूरी दी है। 

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प्रदेश के उपनल कर्मचारी हाईकोर्ट के आदेश को लागू करने की मांग को लेकर गत 22 फरवरी से 17 अप्रैल तक हड़ताल पर रहे। कर्मचारियों का कहना था कि कोर्ट के आदेश के अनुसार उन्हें चरणबद्ध तरीके से नियमित किया जाए और समान कार्य के लिए समान वेतन दिया जाए, लेकिन सरकार इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट चली गई थी।

जबकि हड़ताल पर रहे कर्मचारियों का मानदेय रोक दिया गया था। अब शासन की ओर से जारी आदेश में कहा गया है कि कर्मचारियों को हड़ताल की अवधि के मानदेय का भुगतान इस शर्त के साथ दिया जाएगा कि कर्मचारी भविष्य में फिर से हड़ताल नहीं करेंगे। इनकी हड़ताल अवधि को अवशेष अर्जित अवकाश में समायोजित किया जाएगा।  

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