
लखनऊ: लखीमपुर खीरी हिंसा मामला एक बार फिर सुर्खियों में आ गया है। सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को उत्तर प्रदेश सरकार के वकील को लखीमपुर खीरी हिंसा मामले में गवाहों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के साथ साथ राज्य सरकार से लखीमपुर खीरी हिंसा के आरोपी आशीष मिश्रा की जमानत रद्द करने की मांग करने वाली याचिका पर जवाब दाखिल करने को कहा गया है। इसके अलावा होली की छुट्टी के बाद मामले की सुनवाई के लिए निर्देश दिए गए है।
पीड़ित परिवारों की ओर से दायर की गई थी याचिका
आशीष मिश्रा को दी गई जमानत के खिलाफ पीड़ित परिवारों की ओर से दायर याचिका में कहा गया था कि हाईकोर्ट ने उन्हें जमानत देते समय शीर्ष अदालत के दिशा-निर्देशों की अवहेलना की है। गत वर्ष 3 अक्तूबर को उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य की लखीमपुर खीरी जिले की यात्रा के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे चार किसान एक एसयूवी द्वारा कुचले जाने के बाद मारे गए थे। यह एसयूवी कथित तौर पर केंद्रीय गृहराज्यमंत्री अजय कुमार मिश्रा के काफिले का हिस्सा थी।
गवाहों पर हमले को लेकर ये बोले किसानों के वकील
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि एक पीठ का गठन किया जाएगा, जोकि बुधवार को मामले की सुनवाई करेंगे। किसानों का प्रतिनिधित्व कर रहे अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने कहा कि इस मामले के मुख्य गवाहों में से एक पर हमला हुआ है। भूषण ने दावा किया कि गवाह पर हमला करने वाले लोगों ने यह कहकर धमकी दी कि अब जब भाजपा जीत गई है, तो वे उसकी देखभाल करेंगे। उन्होंने प्रस्तुत किया था कि अन्य सह-आरोपी भी उच्च न्यायालय के आदेश के आधार पर जमानत मांग रहे हैं।
बीते दिनों मिली थी जमानत
आरोपी आशीष मिश्रा को इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने बीते दिनों जमानत दी थी। जमानत मंजूर होने के बाद ही मृत किसानों के परिजनों ने फैसले का विरोध किया था और इस आदेश को चुनौती देने की बात कही थी। गत वर्ष 3 अक्तूबर को लखीमपुर में तीन कृषि कानूनों का विरोध कर रहे किसानों पर भाजपा नेताओं के काफिले की एक कार चढ़ गई थी। इस मामले में केंद्रीय गृह राज्यमंत्री अजय मिश्रा के बेटे आशीष मिश्रा का नाम आया था। इसके बाद पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था।