
Himachal Pradesh: वीरभद्र के अंतिम संस्कार से पहले बेटे विक्रमादित्य का राजतिलक
Himachal Pradesh: शनिवार को राज्य के 6 बार रहे सीएम राजा वीरभद्र सिंह के निधन के बाद उनके पुत्र विक्रमादित्य सिंह (Vikramaditya Singh) का राज दरबार परिसर रामपुर में राजतिलक किया गया।
Himachal Pradesh के पदम देव पैलेस में राजा वीरभद्र सिंह के अंतिम संस्कार से पहले ही विक्रमादित्य सिंह का राजतिलक किया गया। इसकी रस्म सुबह 8:30 बजे से शरू हुई और करीब 11 बजे हवन के बाद खत्म हो गई।
बता दें कि कुल पुरोहित पंडित योगराज निवासी शिंगला व अन्य पुरोहितों की मौजूदगी में राजतिलक की रस्म पूरी कराई गई। राजतिलक पर्दे में किया गया व इस दौरान मीडिया से बिल्कुल दूरी बनाई गई।
रजवाड़ा शाही पूरी तरह से समाप्त हो चुकी है लेकिन राज परिवार ने अपनी परंपरा निभाने के लिए राजतिलक का आयोजन किया। इसे कैमरों और आम लोगों से भी दूर रखा गया। इसे मात्र राज परिवार की रस्म के रूप में देखा गया।
बुशहर रियासत की रस्म है कि जब परिवार में मुखिया की मृत्यु हो जाती है तो उनकी पार्थिव देह को महल से बाहर निकालने से पहले उनके वारिस का राजतिलक किया जाता है, इस रस्म के बाद ही मुखिया के अंतिम संस्कार की प्रक्रिया पूरी की जाती है।
गौरतलब है कि पूर्व सीएम राजा वीरभद्र सिंह बुशहर रियासत के 122वें राजा थे। उनके बाद अब विक्रमादित्य सिंह 123वें राजा के रूप में बुशहर रियासत की गद्दी संभाली है। इसके लिए विक्रमादित्य सिंह को सुबह करीब 7 बजे गद्दी के पास ले जाया गया।
जहां पर क्षेत्रीय पंडितों द्वारा पहले पूजा पाठ का आयोजन किया गया, इसके बाद उनका राजतिलक किया गया। इस दौरान पूरे स्थान को सफेद कपड़े से ढककर रखा गया, ताकि कोई भी व्यक्ति उसके अंदर न देख सके।
राजपरिवार में रिवायत है कि राजा के अंतिम संस्कार से पहले ही उनके पुत्र का राजतिलक किया जाता है। राज परिवार में कभी राज्य को बिना राजा के नहीं छोड़ा जाता है। रिवायत के मुताबिक जब किसी राजा का निधन होता है तो उनके अंतिम संस्कार से पहले बेटे को राजा बनाना तय है।
बता दें साल 1947 में राजा पदम सिंह की मृत्यु हो जाने के बाद वीरभद्र सिंह का पूरे रीति रिवाज से राजतिलक किया गया था। उस वक्त वीरभद्र सिंह की उम्र सिर्फ 13 साल थी। वीरभद्र सिंह के वारिस टीका विक्रमादित्य सिंह हैं। ऐसे में राजतिलक होना तय हुआ है। दरबार परिसर के अधिकारी सत्यप्रकाश नेगी ने यह जानकारी दी।
इसके बाद राजनीति में आए व 6 बार हिमाचल प्रदेश के सीएम बने। इसके अलावा केंद्रीय मंत्री भी रहे। उनका राजनीतिक सफर 60 वर्ष का रहा।
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