
उत्तराखंड में अधिक छात्र संख्या वाले स्कूलों में दो पाली में चलेगी कक्षाएं
उत्तराखंड शिक्षा सचिव का पदभार संभालने के बाद राधिका झा ने पहली बैठक में विभागीय कार्यों की समीक्षा की। शिक्षा सचिव ने निर्देश दिए कि स्कूलों को खुलने से पहले स्वच्छता, पेयजल, शौचालय और सैनिटाइजेशन की व्यवस्था करने की जिम्मेदारी मुख्य शिक्षा अधिकारी, जिला शिक्षा अधिकारी व खंड शिक्षा अधिकारियों की होगी। मैदानी जिले वाले स्कूलों में अधिक छात्र वाले विद्यालयों में दो बार में कक्षाएं संचालित की जाएं। उन्होंने बच्चों के पढ़ाई को सर्वोच्च प्राथमिकता देते हुए रोड मैप तैयार करने के निर्देश दिए हैं।
बुधवार को शिक्षा सचिव ने प्राथमिक और माध्यमिक शिक्षा विभाग के अधिकारियों की बैठक में शिक्षा कार्यों की समीक्षा की। उन्होंने सभी अधिकारियों को आदेश दिए कि स्कूल खुलने पर कोरोना महामारी की रोकथाम के लिए हरसंभव प्रयास किए जाएं। टीचरों, भोजन माताओं व अन्य कर्मचारियों का वैक्सीनेशन जरूर कराया जाए।
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शिक्षा सचिव राधिका झा ने कहा कि ऑफलाइन शिक्षण के साथ ही ऑनलाइन शिक्षण की सुविधा छात्रों को प्रदान की जाए। अब्सेंट छात्र छात्राओं की ऑनलाइन शिक्षा हासिल हो सके। प्रत्येक स्कूल में बच्चों के लर्निंग आउटकम को क्लास वार व विषयवार प्रदर्शित किया जाए। इसकी जानकारी बच्चों के अभिभावकों को भी दी जाए। सभी स्कूलों में विद्यालय प्रबंधन समिति और अध्यापक अभिभावक एसोसिएशन की बैठक प्रत्येक महीने के आखिरी शनिवार को आयोजित की जाए।
सचिव ने आदेश दिए कि दो माह के भीतर सभी स्कूलों की रंगाई-पुताई का कार्य पूरा कर लिया जाए। विद्यालयों को एक जैसा स्वरूप मिले इसके लिए महानिदेशक को स्कूलों के कलर कोड पर निर्णय का दायित्व दिया गया। इसके साथ ही टीचरों का व्हॉट्सएप ग्रुप अनिवार्य रूप से बनाया जाएगा। इसमें उन बच्चों को जोड़ा जाएगा, जिनके पास स्मार्ट मोबाइल फोन हैं।
कहीं कोरोना संक्रमण की चपेट में न आ जाएं बच्चे
कोरोना संक्रमण के कम होते मामलों के बीच प्रदेश की पुष्कर सिंह धामी की सरकार ने कक्षा छह से 12वीं तक के बच्चों के लिए स्कूल खोलने का फैसला लिया है। प्रदेश सरकार के इस फैसले से अभिभावक चिंतित हैं। अभिभावकों का कहना है कि विशेषज्ञ अभी कोरोना संक्रमण की तीसरी लहर आने की बात कर रहे हैं। ऐसे में स्कूल खोलने की जल्दबाजी में कहीं बच्चे कोरोना की चपेट में न आ जाएं।
बच्चों के अभिभावकों का कहना है कि उत्तराखंड सरकार पहले बच्चों के लिए वैक्सीन की व्यवस्था करे उसके बाद बच्चों को स्कूल बुलाया जाए। अगर कोरोना संक्रमण की तीसरी लहर में बच्चे प्रभावित होंगे तो सरकार और जनता दोनों के लिए भारी समस्या होगी। ऐसे में अभी ऑनलाइन शिक्षा व्यवस्था को मजबूत करने पर सरकार को ध्यान देना चाहिए, जिससे सभी बच्चों को कोरोना संक्रमण से बचा कर अच्छी शिक्षा से जोड़ा जा सके।