
लखनऊ। देश के सबसे बड़े सूबे उत्तर प्रदेश में चार बार शासन करने वाली बहुजन समाज पार्टी के सामने अपना अस्तित्व बचाने की चुनौती सामने आ गई है। उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव में मिली करारी हार ने बसपा समर्थकों समेत मायावती के लिए भी चिंता की लकीरें खींच दी हैं।उन्होंने बसपा को नये सिरे से खड़ा करने का भी प्रण लिया है। मायावती ने इसी क्रम में अपने भतीजे आकाश आनंद को आगे करने का निर्णय लिया है। उन्होंने आकाश आनंद को राष्ट्रीय को-ऑर्डिनेटर बना दिया है। हालांकि मायावती ने यूपी समेत पांच राज्यों के हुए चुनाव में भी आकाश को बढ़ाने का निर्णय लिया था। इस दौरान संभावनाएं जताईं जा रही थीं कि आकाश आनंद भी अब उत्तर प्रदेश में पूरी तरह सक्रिय हो जाएंगे। लेकिन, अभी तक ऐसा नहीं हुआ है। मायावती ने आकाश को पंजाब और उत्तराखंड के चुनावों के लिए ही लगा रखा था। इन सभी चुनावी राज्यों में मिली असफलता ने बसपा के भविष्य पर प्रश्नवाचक चिन्ह लगा दिया है। खासकर बसपा के सबसे बड़ा जनाधार वाले उत्तर प्रदेश में भी सिर्फ एक सीट निकल पाई है। ऐसे में मायावती ने तो खुद मोर्चा संभाला ही हुआ है अब उनके भतीजे ने भी ऐलान किया है कि वो पूरे देश का दौरा करेंगे।
पांचों राज्यों के चुनाव के पहले आकाश आनंद ने दिल्ली में युवाओं के साथ बैठकों का दौर शुरू किया था। हालांकि चुनाव में बिजी होने की वजह से इस सिलसिले रोक लग गई थी। लेकिन, एक बार फिर मायावती की ओर से जिम्मेदारी मिलने के बाद आकाश आनंद ने मोर्चा संभाल लिया है। साथ ही अब इस बात पर भी मुहर लग गई है कि बसपा की भविष्य में कमान आकाश आनंद ही संभालेंगे। अक्सर सवाल खड़े होते थे कि बसपा में मायावती के बाद कौन? अब इस सवाल पर विराम लगता हुआ दिखाई देने लगा है। मायावती की विरासत को अब आकाश आनंद ने संभालने की जिम्मेदारी उठा ली है। या यूं कहें कि बसपा में नेतृत्व का एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में ट्रांसफर हो रहा है।अब आकाश अपनी इस बड़ी भूमिका को कैसे निभाते हैं, यह देखने वाली बात होगी। आकाश आनंद इस वक्त राजस्थान में होने वाले चुनाव की तैयारियों में जुटे हुए हैं। वहां के कार्यकर्ताओं के साथ बैठकें कर रहे हैं। एक दौर में बसपा कभी राजस्थान में सत्ता की मास्टर की हुआ करती थी। लेकिन, धीरे-धीरे पार्टी लगातार कमजोर होती गई है। ऐसे में अब बसपा को आकाश आनंद से उम्मीद है। इस उम्मीद पर आकाश कितने खरे उतरते हैं, यह उनके लिए किसी अग्निपरीक्षा से कम नहीं होगा। यही उनका सियासी भविष्य भी तय करेगा।