
खुशहाल देश फिनलैंड को है कामगारों की तलाश, जूझ रहा इस संकट से
अगर आपको भी नौकरी की तलाश है और आप चाह कर भी अपने देश में अच्छी नौकरी की तलाश नहीं कर पा रहे हैं. तो अपना सामान पैक करिए और दुनिया के सबसे खुशहाल देश की ओर निकल पड़िए.
दरअसल, इस देश की बूढ़ी होती आबादी की वजह से ये कामगारों की कमी से जूझ रहा है. यहां काम करने के लिए लोग नहीं मिल रहे. इसलिए वो चाहता है कि दूसरे देशों से लोग आकर यहां बसे और काम करें.
टैलेंटेड सॉल्यूशंस के रिक्रूटर साकू तिहवेरेन ने कहा, ‘अब यह व्यापक रूप से स्वीकार किया गया है कि हमें देश में बड़ी संख्या में लोगों की जरूरत है. बूढ़ी होती आबादी को कवर करने और उन्हें रिप्लेस करने के लिए हमें युवाओं जरूरत है. हमें श्रमिकों की जरूरत है.”
सरकार ने चेतावनी देते हुए कहा है कि 55.2 लाख की आबादी (2019 की जनगणना के मुताबिक) वाले राष्ट्र को सार्वजनिक सेवाओं को बनाए रखने और बढ़ती पेंशन घाटे को कम करने के लिए इमिग्रेशन को हर साल 20,000-30,000 तक करने की जरूरत है, जिससे हमारे देश का विकास हो सकेगा.
संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, प्रति 100 कामकाजी उम्र के लोगों में 39.2 फीसदी लोग 65 साल या उससे ऊपर के हैं. बूढ़ी आबादी में फिनलैंड जापान के बाद दूसरे स्थान पर है. 2030 तक यहां वृद्धावस्था निर्भरता अनुपात बढ़कर 47.5 हो जाएगा.
फिनलैंड के बारे में खास
बता दें कि ‘वर्ल्ड हैप्पीनेस रिपोर्ट’ में फिनलैंड को लगातार चौथी बार पहला स्थान प्राप्त हुआ है. फिनलैंड यूरोपीय संघ का सदस्य है. 1917 तक ये रूस के शासन में था. 1917 में रूस में क्रांति के बाद उसने स्वयं को आजाद घोषित कर दिया. वहां 1906 में महिलाओं और पुरुष दोनों को मतदान और चुनाव लड़ने का अधिकार दे दिया गया था. फिनलैंड लैंगिक समानता अपनाने वाला दुनिया का पहला देश बना.
फिनलैंड में प्रवासियों के ना आने के पीछे कई राजनीतिक और सामाजिक समस्याएं बताई जाती है. जैसे आवेदकों के प्रति भेदभाव की शिकायत आती है.
हेलसिंकी के मेयर जान वापावुरी ने एएफपी से कहा कि स्टार्टअप्स ने बताया है कि वे दुनिया में किसी को भी आने और उनके लिए हेलसिंकी में काम तलाशने में मदद कर सकते हैं. लेकिन व्यक्ति को अकेले आना होगा. इस वजह से भी लोग फिनलैंड नहीं बसना चाह रहे हैं.