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स्वतंत्रता दिवस पर सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश ने जताई नाराजगी, बोले-अब सदन में कानूनों पर नहीं होती चर्चाएं

सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश एन वी रमन्ना ने लोगों का संबोधन करते हुए कहा कि सदन में हर मुद्दे पर या कानून को पास कराने को लेकर पहले जो चर्चाएं हुआ करती थी जिसमें मुद्दे पर सही ढंग से सवाल जवाब होते थे.. पर अब ऐसा कुछ भी नहीं है।

नई दिल्ली : सदन में विपक्ष के हंगामे के बाद सरकार और विपक्ष दोनों पर कई सवाल खड़े हुए जिनके अंतर्गत अभी भी सरकार और विपक्ष कुछ समझने को तैयार नहीं है। इनके इस प्रकार के अभद्रतापूर्ण व्यवहार के चलते सदन की जो गरिमा भंग हुई है यह शर्मसार करने वाली थी जिसपर अब इस को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने दुख जताया है।

इस पर आज स्वतंत्रता दिवस के मौके पर एक ध्वजारोहण समारोह के दौरान सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश एन वी रमन्ना ने लोगों का संबोधन करते हुए कहा कि सदन में हर मुद्दे पर या कानून को पास कराने को लेकर पहले जो चर्चाएं हुआ करती थी जिसमें मुद्दे पर सही ढंग से सवाल जवाब होते थे। जिसमें विपक्ष और पक्ष दोनों अपनी बात रखते थे और सरकार विपक्ष के सवालों का जवाब देती थी तब यह बहस बुद्धिमानी भरी और रचनात्मक हुआ करती थी पर अब ऐसा नहीं है।

सदनों में होने वाली इसी चर्चा के अभाव में कानूनों को बिना उसकी खामियां और अस्पष्टता देखते हुए लागू कर दिया जाता है। जो देश के लिए और जनता के लिए खतरनाक साबित होती है। साथ ही उन्होंने कहा कि इसका सबसे बड़ा कारण है कि अब सदनों में उस समय की तरह बुद्धिजीवी और वकील नहीं है जिन के अभाव में सदन का यह हाल हुआ है।

सदनों के हंगामे का एक सबसे बड़ा कारण ये भी है कि अब ना सरकार और ना ही विपक्ष कोई भी कानूनों पर बात करना ही नहीं चाहता है। जिसके कारण आजकल आधे से ज्यादा कानून बिना चर्चा के ही लागू किए जाते हैं। विपक्ष ने हंगामे करने को सरकार से बात मनवाने का एक हथियार मान लिया है जिसके चलते हर मुद्दे पर केवल हंगामा ही होता है।

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