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StartUps: जानें आदिवासी महिलाओं के इस अनोखे स्टार्टअप के बारे में, जिसमे महिलाओं ने महुआ के बनाये लड्डू

कोरबा शहर से 25 किमी दूर स्थित एक आदिवासी बाहुल गांव स्थित है, जहां की महिलाओं

नक्सलवाद का दंश झेल रहे छत्तीसगढ़ के बस्तर की तस्वीर अब बदल रही है, जिसके चलते यहाँ के लोग महुआ के लड्डू भी तैयार किए जा रहे हैं| महुआ से बन रही लड्डू की खुशबू देश के साथ ही विदेशों में भी फैल रही हैं| इस गांव की किस्मत आज महुआ के कारण ही चमक उठी है। कोरबा शहर से 25 किमी दूर स्थित एक आदिवासी बाहुल गांव स्थित है, जहां की महिलाओं ने घर-घर बनने वाली शराब पर पाबंदी के लिए आवाज उठाई थी। जिसके बाद गांवे के ज्यादातर लोग इसके विरोध में सामने आने लगे लेकिन महिलाओं के हौसलों को पस्त नहीं कर पाए। महिलाओं ने नई पहल की और महुआ फूल से घर-घर में बनने वाली शराब की जगह अब उससे संजीवनी लड्डू बनाए जाते हैं। जो कि पोषक तत्वों से भरपूर होते हैं।

जानकारी के अनुसार ये लड्डू गर्भवती महिलाओं और कमजोर लोगों के लिए बहुत लाभकारी होते हैं। बेंगलुरू से शुरू होकर लड्डुओं की ख्याति रायपुर, मथुरा और मुंबई तक पहुंच चुकी है। महिलाओं ने बताया कि अब उन्हें एक किलो लड्डू पर 40 से 50 रुपए का मुनाफा हो रहा है। वहीं अब ये महिलाएं संजीवनी लड्डू को पूरी तरह से हाईजीनिक ढंग से बनाने की प्रक्रिया सीखने की तैयारी कर रही हैं, ताकि बड़े पैमाने पर उत्पादन हो और गुणवत्ता भी बढ़े। इससे बाजार में मांग भी बढ़ेगी और फायदा भी ज्यादा होगा।

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