हेल्थकेयर सेक्टर्स में स्टार्टअप्स ला रहे हैं बदलाव, जानें क्या-क्या बदला इन 5 वर्षों में
बीते 5 वर्षों में स्टार्टअप ने हेल्थकेयर सेक्टर में किए बड़े बदलाव। ऑनलाइन फार्मेसी में भी आया उभार। अमेरिकन यूनिवर्सिटी के एक अध्ययन के अनुसार 2030 तक भारत में डायबिटीज के सबसे ज्यादा मरीज
नई दिल्ली। कोरोना महामारी के बीच बदलते इस वक्त के साथ हेल्थकेयर सेक्टर में भी काफी बदलाव की जरूरत हो गई है। इसी परिवर्तन के क्रम को आगे बढ़ाते हुए स्टार्टअप्स ने भी बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। दुनिया भर में भारत में सबसे ज्यादा डायबिटीज के मरीज पाए जाते हैं। भारत में डायबिटीज के 73 मिलियन मामले मौजूद हैं, जो और भी तेजी से बढ़ रहे हैं।
अमेरिकन यूनिवर्सिटी के एक अध्ययन के अनुसार 2030 तक भारत में डायबिटीज के मरीजों की संख्या में सबसे ज्यादा वृद्धि हो जाएगी। वहीं, भारत में कैंसर के मामलों की संख्या दुनिया भर में तीसरे स्थान पर है। इससे मरने वालों की संख्या 50 प्रतिशत होती है और यही नहीं, भारत में नवजात शिशुओं की मौत के मामले भी सर्वोपरि हैं।
देश में हेल्थकेयर सिस्टम काफी पीछे:
देश में बढ़ती इस बीमारियों के बढ़ते बोझ के बावजूद स्वास्थ्य सेवा में कोई सुधार नहीं है। स्वास्थ्य की देखभाल पर सरकारी खर्च सबसे कम है। बीमा के मामले भी यहां कम हैं। हेल्थकेयर सेक्टर में बिजनेस के ट्रेडिशनल मॉडल की पहुंच अच्छी नहीं है। कैपिटल एक्सपेंडिचर और परिचालन लागत बहुत ज्यादा है। इसके अलावा, कुशल संसाधनों की मांग और पूर्ति में भारी अंतर हैं।
हेल्थ केयर के क्षेत्र में बढ़ती इस आवश्यकता के कारण सामने आई टेलीमेडिसिन की सुविधा। यह सुविधा दूर-दराज के क्षेत्रों तक पहुंचने में भी सक्षम है। जिससे इसके जरिए प्रत्येक व्यक्ति को बुनियादी हेल्थ केयर का लाभ उठाने में मदद मिल सकती है।
क्या है टेलीमेडिसिन:
टेलीमेडिसिन के अंदर भी भिन्न किस्म के मॉडल हैं और पूरी तरह ऑनलाइन से लेकर ऑफलाइन मॉडल तक हैं। मेडकॉर्ड्स एक ग्रामीण टेलीमेडिसिन प्लैटफॉर्म है जो ग्रामीणों को ऑनलाइन टेली कंसलटेशन मुहैया करा रहा है। इसके लिए यह मेडिकल रिकार्ड को डिजिटाइज करता है और यह सुविधा फार्मेसी नेटवर्क के जरिए मुहैया कराई जाती है।
ग्लोकल:
ग्लोकल, टेक्नोलॉजी आधारित प्लेटफॉर्म है जो ग्रामीण आबादी को हेल्थकेयर तक पहुंच मुहैया करवाता है। इस समय इसकी 141 डिजिटल डिसपेंसरी राजस्थान, बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश और कुछ पूर्वोत्तर के राज्यों में है।
इन बीते पांच वर्षों के दौरान ऑनलाइन फार्मेसी के उभरने से दवाइयों तक पहुंच और उन्हें सामर्थ्य में लाने में सहायता मिली है और ज्यादा बिक्री के कारण मरीजों को बेहतर रेट पर दवाइयां उपलब्ध हो रहीं हैं जबकि टेक्नालॉजी एनैबल्ड आपूर्ति श्रृंखला से तेज डिलीवरी संभव हो रही है।
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