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सपा और सांप का चरित्र एक समान: सुरेश खन्ना

सपा, सांप से भी अधिक खतरनाक है। इसके द्वारा तुष्टीकरण की राष्ट्रघाती राजनीति, जाति, क्षेत्र

सपा और सांप। दोनों में एक समानता है। मुंह खोलने पर दोनों जहर ही उगलेंगे। दोनों का इलाज भी एक ही है। फन कुचलना। सांप तो जहां दिखता है, लोग उसका इलाज कर देते हैं। इस बार जनता भी वोट रूपी लाठी लेकर सपा का फन कुचलने के लिए तैयार बैठी है। बस उसे चुनाव की प्रतीक्षा है।

यह बातें भाजपा के वरिष्ठ नेता और कैबिनेट मंत्री सुरेश खन्ना ने सोमवार को जारी एक बयान में कही। उन्होंने सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव द्वारा हाल के दिए गए उलजुलूल बयानों का जिक्र करते हुए कहा कि कुछ मायनों में तो सपा, सांप से भी अधिक खतरनाक है। इसके द्वारा तुष्टीकरण की राष्ट्रघाती राजनीति, जाति, क्षेत्र और मजहब के आधार पर समाज में जहर घोलना इनका काम है |

खन्ना ने कहा कि…एक तरीके से देखा जाए तो वोट की फसल काटने के लिए सपा जहर की ही खेती करती है। इस खेती में एनपीके (नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटास) की तरह आतंकवाद, अपराध और अराजकता की खाद देती है। जनता इनकी इस जहरीली राजनीति को समझ गई है। समझ तो ये भी चुके हैं। समझ ही नहीं गए हैं बल्कि चुनावों में अपनी सुनिश्चित हार जानकर डरे हुए हैं। सांप जब चारो ओर से घिर जाता है। उसे अपना अंत नजर आने लगता है तो वह फन उठाकर फुफकार के जरिए सिर्फ जहर छोड़ता है। फिर उसका क्या हश्र होता है, यह बताने की जरूरत नहीं। इस बार के चुनावों में यकीनन सपा का भी यही हश्र होगा। अखिलेश भी इस चीज से वाकिफ हैं। यही वजह है कि वह चुनाव न लड़ने की घोषणा कर रहे हैं।

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