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Startup: जानें नारियों को सशक्त बनाते स्टार्टअप ‘नारियो’, के बारे में

मां के साथ मिलकर चलाई कार्यशाला

फूड ब्रांड नारियो की फाउंडर अनामिका पांडे को जिंदगी को बेहतर बनाने की प्रेरणा अपने पिता से मिली। अनामिका के पिता एक व्यवसायी थे। और इस दौरान उन्होंने बारीकी से देखा कि, कैसे प्रत्येक पीढ़ी लोगों के जीवन को बेहतर बनाने की कोशिश करते रहे हैं। उसके दादा ने शिक्षकों के अधिकारों के लिए लड़ाई लड़ी।
सामाजिक अंतर को कम करना चाहती है अनामिका
यूपी निवासी अनामिका का बचपन ज्यादातर लखनऊ और गोरखपुर में बीता। अनामिका को हमेशा इस बात का एहसास होता था कि, पुरुषों और महिलाओं के बीच बहुत बड़ा अंतर है। क्योंकि अनामिका परिवार की पहली लड़की थी, जिसने ग्रेजुएशन के लिए शहर से बाहर कदम रखा था। एनआईटी वारंगल से स्नातक की पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने नारियो शुरू करने का फैसला करने से पहले बिगबास्केट के साथ काम किया था। दरअसल नारियो एक फूड ब्रांड है जो जैविक अनाज, मसालों और पेय पदार्थों की पेशकश करता है। अनामिका का मुख्य उद्देश्य इस मानसिकता को बदलना। और हर तरह से महिलाओं की समावेशिता के लिए आगे बढ़ना था, इसलिए ब्रांड का नाम नारियो पड़ा।
 
मां की बात ने बदला सोचने का तरीका
अनामिका बताती हैं कि, पढ़ाई करने के बाद जब मैं घर वापस आई तब दिसंबर 2019 में अपना जन्मदिन मना रही थी। मैंने अपनी माँ से चाय पर एक बहुत ही सरल प्रश्न पूछा- ‘आप अपना लखनवी मसाला एक उत्पाद के रूप में लॉन्च क्यों नहीं करती? मैंने देखा है कि लोग आजकल घर के खाने के दीवाने हो रहे हैं मेरी माँ ने अपने जवाब से मुझे हिला दिया, उन्होने कहा, ‘लोग क्या कहेंगे कि अब पांडेजी की बहू को पैसे कमाने के लिए काम करने की जरूरत लगने लगी है।”जिसके बाद मैने गृहनगर गोरखपुर से नारियो शुरू करने के लिए प्रेरित किया।
मां के साथ मिलकर चलाई कार्यशाला
अनामिका का कहना है कि वह रोजमर्रा के खाद्य पदार्थों में स्वास्थ्य और स्वाद का मिश्रण चाहती थी। और COVID के बीच एक स्वस्थ जीवन शैली का पालन करना और अधिक अनिवार्य हो गया था। जिसको लेकर उन्होंने अपनी मां सहित महिलाओं का एक समूह इकट्ठा किया। और जनवरी 2021 के अंत में गोरखपुर में एक छोटी सी कार्यशाला चलाई। ताकि यह समझ सकें कि उन्हें क्या पेशकश करनी है। छह गृहणियां अलग-अलग उत्पादों के साथ आईं, जिनमें से चार प्रमुख हिट रहीं।
फेसबुक की भी ली मदद
अगला कदम समान विचारधारा वाली महिलाओं से जुड़ने के लिए एक छोटा फेसबुक समूह शुरू करना था। इसने एक व्यवसाय मॉडल का नेतृत्व किया। जहां महिलाएं जो भोजन के बारे में भावुक थीं। वे नारियो के तहत अपने उत्पादों को लॉन्च कर सकती थी। और व्यवसाय के रोमांच को पसंद करने वाले अपने-अपने इलाकों में भेज सकते थे। नारियो के उत्पाद ब्रेकफास्ट सीरियल और पेय पदार्थों से लेकर मसालों तक हैं और इनकी कीमत 100 रुपये से शुरू होती है।
लेती है हर महिला की सलाह
अनामिका किसी भी प्रोडक्ट को लॉन्च करने से पहले सबसे सलाह लेती है। किस खाद्य सामग्री में कौन सा नया एक्सपेरिमेंट किया जाए। पैकिंग आदि पर भी चर्चा करती है। जमीन पर निर्माण प्रक्रिया में 70 प्रतिशत से अधिक महिलाएं शामिल हैं।  जबकि पैकेजिंग विभिन्न वस्त्रों और कपड़ों पर ध्यान केंद्रित करके भारतीय विरासत को ध्यान में रखती हैं। मसाले काशीपुर, उत्तराखंड में महिलाएं बनाती हैं।  गुड़ पाउडर और लखनऊ में आटा बनाया जाता है। और मूसली और फिल्टर कॉफी तिरुचेंगोडे, तमिलनाडु से आती है।
प्रतिस्पर्धा से अधिक सहयोग में है विश्वास
अनामिका प्रतिस्पर्धा से अधिक सहयोग में विश्वास करती हैं। संस्थापक ने नारियो के फंडिंग के लिए एंजेल निवेश मार्ग पर जाने का विकल्प चुना। उनका दावा है कि 25-30 प्रतिशत की मासिक वृद्धि दर के साथ ब्रांड अपने लॉन्च के बाद से लगातार बढ़ रहा है। अनामिका कहती हैं, “भविष्य किसी के लिए भी उज्ज्वल लगता है जो अपने स्वास्थ्य पर दांव लगा रहा है। हम अपने उत्पाद उपश्रेणियों और देश भर में अपनी उपस्थिति का विस्तार करने की सोच रहे हैं। और कई प्लेटफार्मों पर लिस्टिंग भी शुरू कर रहे हैं, इसलिए हम वहां हैं जब हमारा उपभोक्ता नारियो से उत्पाद को खरीदने का फैसला करता है।

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