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Startup : जानें दिल्ली सरकार की स्टार्टअप नीति की बारे में..

वकीलों और चार्टर्ड एकाउंटेंट से मुफ्त परामर्श जैसी विभिन्न प्रकार की सहायता सेवाओं का लाभ उठाने के लिए एक सक्षम इकोसिस्टम बनाना है।

दिल्ली स्टार्टअप नीति को 5 मई को राज्य कैबिनेट द्वारा अप्रूव किया गया था। जिसका उद्देश्य लोगों को व्यवसाय शुरू करने और वित्तीय और गैर-वित्तीय प्रोत्साहन, कोलैटरल-फ्री लोन और विशेषज्ञों, वकीलों और चार्टर्ड एकाउंटेंट से मुफ्त परामर्श जैसी विभिन्न प्रकार की सहायता सेवाओं का लाभ उठाने के लिए एक सक्षम इकोसिस्टम बनाना है।

हाल ही में एक मीडिया संस्थान के साथ विशेष साक्षात्कार में डायलॉग एंड डेवलपमेंट कमीशन के वाइस चेयरपर्सन जैस्मीन शाह, जो दिल्ली सरकार का एक प्रमुख थिंक टैंक है, ने योजना के बारे में कई बातें स्पष्ट कीं। इस दौरान उनसे पूछा गया कि क्या दिल्ली सरकार की स्टार्टअप नीति मोदी सरकार के ‘स्टार्टअप इंडिया’ से प्रेरित है? जिस पर उन्होंने कहा, “बिल्कुल भी नहीं। मुझे लगता है कि यह काफी व्यवस्थित रूप से सामने आया है। सामान्य तौर पर अगर आप देखें तो दिल्ली पहले से ही भारत की स्टार्टअप राजधानी है। दिल्ली से भारी संख्या में स्टार्टअप सामने आ रहे हैं…हम अब बेंगलुरु को हरा रहे हैं, जो पहले भारत का स्टार्टअप हब हुआ करता था।

उन्होंने आगे कहा, “भारत सरकार का प्रयास भारत के हर नुक्कड़ पर उद्यमिता को बढ़ावा देना है। हमारा उद्देश्य है कि दिल्ली 2030 तक एक वैश्विक स्टार्टअप गंतव्य केंद्र बन जाए। उसके लिए हमने स्टार्टअप स्पेस में विभिन्न उद्योग के नेताओं के साथ परामर्श करना शुरू किया है।  जो कि मौलिक रूप से अलग नीति है। दिल्ली ने जिस तरह की स्टार्टअप नीति का मसौदा तैयार किया है, उसकी समान्यता किसी भी अन्य राज्य के साथ नहीं है। इससे हमें पता चलता है कि यह किसी चीज की नकल या प्रेरणा नहीं है। किसी से प्रेरित होने में कुछ भी गलत नहीं है लेकिन इस मामले में, यह काफी हद तक हमारे अपने अनुभवों के साथ-साथ हमारे अपने फॉर्मूलेशन और स्टार्टअप उद्योग को वास्तव में क्या चाहिए इस पर हमारी अपनी समझ पर आधारित है।“

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