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Startup: गैराज में किराए की दुकान से शुरू हुई ‘जस्ट डायल’, पढें उसकी सफलता के बारे में…

आज 2500 करोड़ रुपए की कंपनी कैसे बन गई है। इसकी शुरुआत वीएसएस मणि ने की थी। आइये जानते हैं कैसे शुरू हुआ था जस्ट डायल का सफर।

जब भी कोई यूजर किसी संस्थान का पता और फोन नम्बर जानने के लिए गूगल पर सर्च करता है तो सबसे पहले जो रिजल्ट्स सामने आता है उसमें एक नाम शामिल होता है,वो है जस्ट डायल। यह एक लोकल सर्च सर्विस प्रोवाइडर है जो निशुल्क लोगों को लोकेशन और कॉन्टैक्ट नम्बर के बारे में बताता है। जस्ट डायल की शुरुआत का लक्ष्य भी यही रखा गया था, लेकिन बाद में इसमें मूवीज, फूड और ट्रैवल से जुड़ी जानकारी एक क्लिक में देने की शुरुआत कर दी गईं।
आई जानते हैं साल 1996 में शुरू हुई जस्ट डायल आज 2500 करोड़ रुपए की कंपनी कैसे बन गई है। इसकी शुरुआत वीएसएस मणि ने की थी। आइये जानते हैं कैसे शुरू हुआ था जस्ट डायल का सफर।
1966 में जमेशदपुर में जन्मे जस्ट डायल के संस्थापक वीएसएस मणि एक मध्यम वर्गीय परिवार से ताल्लुक रखते थे। प्रारंभिक शिक्षा पूरी करने के बाद वे हायर एजुकेशन के लिए दिल्ली आ गए। यहां से उन्होंने कॉमर्स से ग्रेजुएशन किया और बाद में सीए की डिग्री हासिल की। हालांकि पढ़ाई के दौरान उन्हें काफी आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ा जिससे निपटने के लिए उन्होंने यूनाइटेड डेटाबेस के नाम से एक यलो पेज कंपनी में नौकरी शुरू कर दी। यलो पेज डाटाबेस एक ऐसी कंपनी होती है जो लोगों को संस्थाओं, कॉलेज और ऑफिस के पते और फोन नम्बर्स उपलब्ध कराने का काम करती हैं। उस कंपनी के साथ काम करने के दौरान ही वीएसएस मणि के दिमाग में आइडिया आया कि कंपनी का यह डाटाबेस फोन के माध्यम से और अधिक सुलभ साबित हो सकता है। बस यहीं से उनके ‘जस्ट डायल’ की शुरुआत हुई।
उन्होंने अपनी कंपनी को ‘आस्क मी’ नाम के स्टार्टअप को शुरू करने का आइडिया दिया जिसके बाद साल 1989 में इसकी शुरुआत की गईं। हालांकि कंपनी ने इस पर बहुत ज्यादा ध्यान नहीं दिया।  इसके बाद वीएसएस मणि ने खुद का  स्टार्टअप शुरू करने का फैसला लिया। अपने कॉन्सेप्ट में कई बड़े बदलाव करने के साथ मणि ने 50 हजार की लागत के साथ अल 1996 में जस्ट डायल की शुरुआत की। इस कंपनी की शुरुआत एक गैराज में हुई जहां शुरू के दिनों में मात्र 5 लोग काम करते थे। किराए के कम्प्यूटर और फर्नीचर के साथ कंपनी ने काम करना शुरू किया, लेकिन सही मायने में कंपनी को पॉपुलैरिटी 2007 से मिलनी शुरू हुई।  इसके वेब वर्जन के साथ मोबाइल ऐप को लॉन्च किया गया।

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