
भारत में कैसे हुई रणजी ट्रॉफी की शुरुआत, यहां जानें जानकारी
भारतीय क्रिकेट टीम में प्रवेश करने के कई रास्ते हैं और ये रास्ते घरलु क्रिकेट में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन के बाद तय होते हैं। घरेलु क्रिकेट में सबसे प्रमुख हैं रणजी ट्रॉफी। टीम इंडिया के कई सूरमा खिलाड़ी इसी मार्ग से टीम में आए हैं। इन दिनों रणजी ट्रॉफी अपने शबाब पर हैं। क्या आप जानते हैं कि इस ट्रॉफी का कौनसा साल चल रहा है? आपको बता दें कि यह रणजी ट्रॉफी का 86वां साल है। भारतीय क्रिकेट टीम ने अंग्रेजों के वक्त 1933 में टेस्ट क्रिकेट खेलना शुरू कर दिया था। टीम के खिलाड़ी अपने हुनर को और निखारे लिहाजा रणजीत सिंह विभाजी जडेजा के नाम से ही ‘रणजी’ ट्रॉफी की शुरुआत हुई थी।
भारतीय क्रिकेट के इतिहास में रणजीत सिंह देश के ऐसे पहले ऐसे खिलाड़ी थे, जिन्हें इंग्लैंड की क्रिकेट टीम में खेलने का मौका मिला था। उस समय पटियाला महाराज ने इंग्लैंड के लिए 15 टेस्ट मैचों में 45 के औसत से 989 रन बनाए थे।
यही नहीं, रणजीत सिंह का बल्ला प्रथम श्रेणी क्रिकेट में खूब चला और उन्होंने 72 शतक के अलावा 109 अर्धशतक भी जड़े। उन्होंने 300 से ज्यादा प्रथम श्रेणी मैच खेले, जिसमें 24 हजार 692 रन बनाए।
जीवन परिचय : रणजीत सिंह विभाजी जडेजा का जन्म 10 सितम्बर 1872 सदोदर, काठियावाड़ में हुआ। 1907 में वे नवानगर में महाराजा जाम साहेब बने। उनका शासन 1933 तक चला। रणजीत सिंह की 10-11 वर्ष की उम्र से ही क्रिकेट में रुची थी। 1883 में पहली बार स्कूल ने क्रिकेट में क्रिकेट खेला। जब वे इंग्लैंड गए, उन्होंने कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी में अध्ययन किया। 1884 में वे टीम के कप्तान बने और 1888 तक रहे।

1896 में खेल के उत्कृष्ट प्रदर्शन के कारण उन्हें क्रिकेट की बाइबिल विस्डन ने ‘विस्डन क्रिकेटर ऑफ द ईयर’ वर्ष 1897 के लिए नामांकित किया था। 1915 में शिकार के वक्त जख्मी हो गए और दायीं आंख की रोशनी खो बैठे थे। रणजीत सिंह का निधन 60 बरस की उम्र में 2 अप्रैल 1933 को हो गया। भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड ने 1934 से ही उनके नाम पर रणजी ट्रॉफी (रंजी ट्रॉफी) की शुरुआत की। रणजी ट्रॉफी के इतिहास की बात करें, तो इसकी शुरुआत आज ही (4 नवंबर) 83 साल पहले 1934 में हुई थी. मजे की बात यह है कि रणजी का वह पहला मैच आज ही शुरू होकर आज ही खत्म भी हो गया था. यानी तब तीन दिन के इस रणजी मुकाबले का फैसला एक ही दिन में हो गया था.
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भारत में रणजी ट्रॉफी 38 मे टीमें हिस्सा लेती हैं।
1 .आंध्र प्रदेश
2. अरुणाचल प्रदेश
3. असम
4. बड़ौदा
5. बंगाल
6. बिहार
7. छत्तीसगढ़
8 चंडीगढ़
9. दिल्ली
10. गोवा
11. गुजरात
12. हरियाणा
13. हिमाचल प्रदेश
14. हैदराबाद. (तेलंगाना)
15. जम्मू कश्मीर
16. झारखंड
17. कर्नाटक
18. मध्य प्रदेश
19. महाराष्ट्र
20. मनीपुर
21. मिजोरम
22. मुंबई (सबसे सफल)( वर्तमान कप्तान -सूर्यकुमार यादव)
23. नागालैंड
24. उड़ीसा
2 5. पुडुचेरी
26. पंजाब
27. रेलवे
28. राजस्थान
29. सौराष्ट्र ( वर्तमान विजेता)( कप्तान -जयदेव उनादकट)
30. सिक्किम
31. सेवाएं (सेना)
32. तमिलनाडु
33. उत्तर प्रदेश
34. विदर्भ
35. केरल
36. मेघालय और दो अन्य टीमे
रणजी ट्रॉफी का पहला मैच तत्कालीन मद्रास (वर्तमान में तमिलनाडु) और मैसूर (वर्तमान में कर्नाटक) के बीच खेला गया था। पहले फ़ाइनल में तत्कालीन बॉम्बे (वर्तमान में मुम्बई) ने नॉर्दन इंडिया को हराकर खिताब अपने नाम किया था। मुम्बई की टीम का इस प्रतियोगिता में सबसे ज्यादा दबदबा रहा है। उसने सर्वाधिक 41 बार ये खिताब अपने नाम किया है। जिसमें सन 1958-59 से लेकर सन 1972-73 तक लगातार 15 बार चैम्पियन बनने का कारनामा भी शामिल है। इस ट्रॉफी में सर्वाधिक रन बनाने का रिकॉर्ड इस समय विदर्भ की ओर से खेल रहे पूर्व भारतीय ओपनर वसीम जाफर के नाम है, जिन्होंने अब तक 10,200 से भी अधिक रन बनाए हैं, जबकि अभी भी उनमें काफी क्रिकेट बाकी है। वहीं सर्वाधिक विकेट लेने का कारनामा राजिंदर गोयल ने किया है, जिनके नाम 640 विकेट हैं। रणजी ट्रॉफी में सबसे बड़े स्कोर का रिकॉर्ड हैदराबाद के नाम है, जिसे उन्होंने आंध्र प्रदेश के खिलाफ खेलते हुए 1993-94 के सीजन में बनाया था। उस पारी में हैदराबाद की टीम ने 6 विकेट के नुकसान पर 944 रनों का पहाड़ सा स्कोर बनाया था।
वहीं रणजी ट्रॉफी में न्यूनतम स्कोर का रिकॉर्ड भी हैदराबाद के ही नाम है, जो उन्होंने 2010 में राजस्थान के खिलाफ खेलते हुए बनाया था, तब हैदराबाद की पूरी टीम मात्र 21 रनों पर सिमट गई थी। इस समय रणजी ट्रॉफी में 28 टीमें भाग लेती हैं। ये टीमें हैं बड़ोदरा, बंगाल, असम, आंध्र प्रदेश, दिल्ली, गोवा, छत्तीसगढ़, हरियाणा, गुजरात, हैदराबाद, हिमाचल प्रदेश, झारखंड, जम्मू और कश्मीर, कर्नाटक (पूर्व में मैसूर), मध्य प्रदेश (पूर्व में मध्य भारत, होल्कर, सेंट्रल इंडिया), केरल (पूर्व में त्रैवनकोर, कोचीन), महाराष्ट्र, मुम्बई (पूर्व में बॉम्बे), रेलवे, पंजाब, ओडिशा, राजस्थान (पूर्व में राजपूताना), सौराष्ट्र (पूर्व में नवानगर), सर्विसेज (पूर्व में आर्मी), उत्तर प्रदेश (पूर्व में यूनाइटेड प्रोविन्स), तमिलनाडु (पूर्व में मद्रास), त्रिपुरा और विदर्भ की टीमें शामिल हैं।
अतीत में रणजी ट्रॉफी का हिस्सा रही कई टीमें अब इतिहास का पन्ना बन चुकी हैं। इनमें नॉर्दन इंडिया, सेंट्रल प्रोविन्स, सिंध, साउदर्न पंजाब, वेस्टर्न इंडिया, नॉर्थ वेस्ट फ्रंटियर, काठियावाड़, ग्वालियर, बिहार, पटियाला, ईस्टर्न पंजाब और नॉर्दन पंजाब की टीमें शामिल हैं। भारतीय क्रिकेट में रणजी ट्रॉफी के महत्व की बात करें तो इसका भारतीय खिलाड़ियों के लिए उतना ही महत्व है जितना किसी कॉलेज में पढ़ने वाले स्टूडेंट के लिए स्कूल का होता है अर्थात जैसे कॉलेज में प्रवेश लेने के लिए स्कूल पास करना जरूरी होता है वैसे ही राष्ट्रीय टीम विशेषकर टेस्ट टीम में जगह बनाने के लिए रणजी ट्रॉफी में शानदार प्रदर्शन करना होता है।
आज भारत को क्रिकेट में नई बुलन्दियों पर पहुंचाने में रणजी ट्रॉफी का सबसे अधिक योगदान है। रणजी ट्रॉफी ही वो भट्टी है जिसमें तप कर ही देश के सभी महान क्रिकेटर सोना बने। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी छाप छोड़ने वाले सभी खिलाड़ियों की प्रतिभा के दर्शन सबसे पहले हमें रणजी ट्रॉफी में ही हुए हैं। उनके अंतरराष्ट्रीय स्तर पर किए गए शानदार प्रदर्शन में उनका रणजी मैचों में अर्जित किया गया अनुभव बहुत काम आया है, जो रणजी ट्रॉफी के महत्व को दर्शाता है। रणजी ट्रॉफी का भारतीय क्रिकेट में अतुलनीय योगदान है।