युवाओं की मानसिक समस्या का कारण बन रहा है सोशल मीडिया
आजकल सोशल मीडिया ( Social media ) हमारे दिनचर्या में शामिल हो चुका है सुबह आंख खुलने से पहले और रात में आंख बंद होने से पहले इंसान मोबाइल का ही इस्तेमाल करता रहता है और मोबाइल में इस्तेमाल करने के लिए सिर्फ सोशल मीडिया ही एक ऐसा साधन है जो मन को बहलाने का काम करता है आज के समय में बहुत सारे ऐसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म मौजूद हैं जिन्हें भारत के अंदर युवा लंबी संख्या में इस्तेमाल कर रहे हैं आपकी जानकारी के लिए बता दें कि अब युवाओं के साथ साथ भारत के अंदर बड़े बुजुर्ग भी सोशल मीडिया जैसे प्लेटफार्म पर अपना वक्त बताने लगी है.
सोशल मीडिया लोगों की आदत बनता जा रहा है आज खाने में क्या खाया और क्या पहना इंसान छोटी-छोटी चीज है सोशल मीडिया के जरिए लोगों तक पहुंचाने का प्रयास करने लगा है लोग सोशल मीडिया पर अच्छी प्रतिक्रिया देते हैं इसी कारण सोशल मीडिया पर युवाओं का मनोरंजन होता है आज के दौर में सोशल मीडिया एक ऐसा साधन बन चुका है जो कभी भी किसी को ऊंचाइयों पर पहुंचा देता है तो कभी भी किसी को गिरा देता है.
जहां सोशल मीडिया के इतने सारे फायदे हैं वही सोशल मीडिया का एक बड़ा नुकसान भी है हमारे बड़े बुजुर्ग कह गए हैं कि हर चीज का सदुपयोग और दुरुपयोग होता है यह अपने हाथ में होता है कि हम किसी भी चीज का किस प्रकार उपयोग करते हैं हम जैसे जिस चीज का उपयोग करेंगे वैसे ही चीज हमें फल देगी. बिल्कुल ऐसा ही सोशल मीडिया के साथ भी है. आज के दौर में सामाजिक मुद्दों से रूबरू होने के लिए सोशल मीडिया से बढ़िया प्लेटफार्म कोई भी नहीं है सोशल मीडिया का सही उपयोग किसी वरदान से कम नहीं है लेकिन इसका ज्यादा प्रयोग हमारे अंदर कई तरह की मानसिक समस्याओं को जन्म देता है जिससे आज के समय में भारत के युवा झेल रहे हैं.
फेसबुक पर करोड़ों लोग दिनभर में पोस्ट करते हैं ट्विटर पर ट्वीट करते हैं पर इंस्टाग्राम पर तस्वीरों को लाइक करते हैं फेसबुक टि्वटर इंस्टाग्राम यूट्यूब का इस्तेमाल निश्चित तौर पर जानवर तक भी है लेकिन इनका जरूरत से ज्यादा उपयोग युवाओं को एडिक्ट यानी आदि बनाता जा रहा है कई शोध ऐसे हुए हैं जिसमें इस बात का पता चला है कि सोशल मीडिया का ज्यादा प्रयोग करने से हमारे मन मस्तिष्क के कई तरह के नकारात्मक विचार आने लगते हैं. जिसके कारण हमारा मानसिक स्वास्थ्य पर गलत असर पड़ता है.
मानसिक रोगियों का इलाज करने वाले डॉक्टरों की माने तो युवाओं में चिड़चिड़ापन इसी कारण बना रहता है नींद ना आना चिंता तनाव डिप्रेशन छोटी-छोटी बातों में गुस्सा आ जाना जैसे अचानक मानसिक समस्याएं उत्पन्न होने लगी है भारत का युवा आजकल इन्हीं समस्याओं से जूझ रहा है इन समस्याओं का बढ़ना युवाओं के संतुलित विकास पर गहरा असर डालता है जिसका खामियाजा परिवार और समाज को भुगतना पड़ता है.
विशेषज्ञों का मानना आज से कुछ वर्षों पहले और आज में बहुत ज्यादा अंतर हो गए हैं युवाओं के व्यवहार और जीवन शैली में कई तरीके के महत्वपूर्ण बदलावों को देखा गया है जिनका उनके सामाजिक एवं व्यक्तिगत जीवन पर गहरा असर पड़ा है लोगों का आपस में व्यवहार तेजी से बदल रहा है दिन-रात सोशल मीडिया पर छाए रहने की भूख लोगों को मनोरोगी बना रही है आवश्यक डिबेट, हेट स्पीच, लाइव स्ट्रीम तनावपूर्ण वातावरण को उजागर करता है जिससे कई व्यक्ति का ध्यान अपने काम से हटने लगता है अक्सर यूपीएससी की परीक्षा टॉप करने वाले अभ्यार्थी एकाग्रता बढ़ाने के लिए सोशल मीडिया का सीमित उपयोग करने की बात करते हैं जो उनकी कामयाबी का सच मंत्र बना हुआ है।
लेकिन सोशल मीडिया के बगैर जीवन गुजारना हमारे लिए काफी कठिन साबित हो सकता है क्योंकि आजकल छोटी से छोटी चीज की जानकारी हमको सोशल मीडिया पर उपलब्ध हो जाती है जो हमारे लिए काफी आसान होती है अगर किसी चीज का अर्थ ढूंढना हो तो उसके लिए डिक्शनरी के कई पन्ने पलटने पर सकते हैं लेकिन सोशल मीडिया हमारे इसी काम को छुट्टियों का काम बना देता है इसी कारण लोग आसान होने के कारण इसका ज्यादा उपयोग करते हैं। यही वजह है कि सोशल मीडिया की भूमिका बहुत अहम बनी हुई है सोशल मीडिया के माध्यम से लोग नए नए तथ्यों और विचारों को तीव्र गति से साझा करते हैं और समझते हैं जहां सोशल मीडिया ने सामाजिक राजनैतिक आर्थिक मुद्दों पर महत्वपूर्ण योगदान दिया है लेकिन वही इसका प्रयोग दो धारी तलवार की तरह भी हो रहा है।
हाल ही में कंप्यूटर एंड हुमन बिहेवियर नामक एक जर्नल में प्रकाशित किए गए शोध के अनुसार कुछ व्यक्तियों ने साथिया उससे अधिक सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल किया और उसने एक या दो सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल किया अध्ययन में पाया गया कि जिन सात व्यक्तियों ने उससे अधिक सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म का उपयोग किया उनमें एंजाइटी या चिंता की समस्या 3 गुना ज्यादा मिली जाहिर है कि सोशल मीडिया मानसिक स्वास्थ्य पर गहरा असर डालता है।
ऐसे में अगर आप को भी लगता है कि आप सोशल मीडिया के आदी हो चुके हैं तो आप को सोशल मीडिया से दूरी बनाने की आवश्यकता है अन्यथा यह सोशल मीडिया आप में कई तरह की बीमारियों को पैदा कर सकता है जो आपके जीवन के लिए काफी कठिन साबित हो सकते हैं साथ ही आपके समाजिक दूरी भी बन सकती है।
31 प्रतिशत किशोरों का मानना है कि सोशल मीडिया से उनके जीवन में ज्यादातर सकारात्मक प्रभाव पड़ा है। सोशल मीडिया ने उन्हें सामाजिक सहयोग के कई तरह के अवसर उपलब्ध कराए हैं। यद्यपि 25 प्रतिशत किशोरों का मानना है कि सोशल मीडिया ने उन पर ज्यादातर नकारात्मक प्रभाव डाला है। शोध में 12 से 17 वर्ष के 13 प्रतिशत किशोरों में डिप्रेशन की शिकायत देखी गई। 32 प्रतिशत किशोरों में चिंता की समस्या उभर कर सामने आई।
शोध में पाया गया कि 18 से 25 वर्ष के युवाओं में मानसिक स्वास्थ्य से संबंधित समस्याएं तेजी से बढ़ रही हैं। कुछ शोधकर्ताओं का मानना है कि मानसिक स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं को बढ़ावा देने में सोशल मीडिया का अहम रोल है, लेकिन इसका यह मतलब बिल्कुल नहीं है कि सोशल मीडिया इन सभी समस्याओं का मुख्य कारण है।