शोध में हुआ दावा, मोटे लोगों पर कम काम कर सकती है कोरोना वैक्सीन
कोरोना का देशभर में कहर बरपाने के बाद दुनियाभर में आज कोरोना की कई वैक्सीन का इस्तेमाल हो रहा है, जिसमें फाइजर, मॉडर्ना और ऑक्सफोर्ड की बनाई वैक्सीन भी शामिल हैं और इन्हें कोरोना के खिलाफ प्रभावी भी बताया गया है। हालंकि अब ये नए शोध में पता चला है कि कोरोना वायरस के खिलाफ लोकप्रिय फाइजर-बायोएनटेक वैक्सीन मोटापे से पीड़ित लोगों पर कम प्रभावी हो सकती है। इटली के शोधकर्ताओं के एक समूह ने पता लगाया है कि वैसे स्वास्थ्यकर्मी जो मोटे हैं और उन्हें फाइजर की वैक्सीन दी गई है, वे अन्य स्वस्थ हेल्थकेयर वर्कर्स की तुलना में उतनी मात्रा में एंटीबॉडी का उत्पादन करने में सक्षम नहीं थे।
वियो न्यूज के अनुसार यह पाया गया कि स्वस्थ लोगों की तुलना में मोटे हेल्थकेयर वर्कर्स, फाइजर वैक्सीन की दूसरी खुराक लेने के बाद केवल आधी मात्रा में एंटीबॉडी का उत्पादन कर पाए। इस अध्ययन से यह निष्कर्ष निकाला जा सकता है कि मोटापे से ग्रस्त लोगों को घातक कोरोना वायरस के खिलाफ सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए वैक्सीन की एक अतिरिक्त बूस्टर खुराक की जरूरत हो सकती है। इससे पहले हुए एक अन्य अध्ययन में यह कहा गया था कि मोटापा कोरोना वायरस से मरने का जोखिम लगभग 50 फीसदी बढ़ा सकता है और अस्पताल में भर्ती होने का खतरा भी 113 फीसदी तक बढ़ जाता है।
सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि मोटापे से जुड़ी समस्या कोविड-19 के असर खत्म कर सकती है. शोधकर्ताओं ने हाल में किए गए शोध के आधार पर कहा है कि है कि भारत की पांच फीसद आाबादी मोटापे से जूझ रही है. और दुनिया में अगले एक दशक तक मोटे लोगों की संख्या 40 फीसद तक होने का अनुमान है.
उन्होंने चेतावनी दी है कि लॉकडाउन से मोटापे की दर में और बढ़ोतरी हो सकती है. उनके मुताबिक वैक्सीन को असरदार बनाने के लिए T Cells बहुत अहम किरदार अदा करते हैं. T Cells संक्रमण से बचाता है और इम्युन सिस्टम को बीमारी के खिलाफ लड़ने में मदद पहुंचाता है. जबकि मोटे लोगों में सूजन के कारण T Cells फायदा पहुंचाने का गुण खो देते हैं. इसलिए मोटे लोगों पर वैक्सीन के असरदार नहीं होने का अनुमान है.