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जनौषधि सुविधा सैनिटरी नैपकिन योजना

दुनिया भर स्वच्छता को हमेशा से ही सर्वोपरि रखा गया है। स्वच्छता की वजह से ही इंसान स्वस्थ रह सकता है। यदि कोई स्वच्छता का पालन नहीं करता है तो उस इंसान को बीमारियों से ग्रस्त रहना पड़ता है और साथ ही साथ और भी कई चीजों से जूझना पड़ता है। इसी के साथ महिलाओं की स्वच्छता भी बहुत ही आवश्यक है। यहां पर हम महिलाओं के बीच मासिक धर्म के समय स्वच्छता की बात कर रहे हैं।

Public Health Sanitary Napkin Scheme

यह एक ऐसा विषय है जिस पर हर कोई खुलकर अपने विचार प्रकट नहीं कर पाता। ऐसा इसलिए क्योंकि इस विषय को हमेशा से ही भारत देश में दबा कर रखा गया है। लेकिन जितना इस विषय को दबाया गया है यह विषय उससे कई गुना ज्यादा महत्वपूर्ण है। समझदार व्यक्ति इस बात को अच्छे से जानता है और इसी वजह से हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने महिलाओं की स्वच्छता हेतु एक नई योजना की शुरुआत की है। आज हम आपको यहां पर इस योजना के बारे में बताने जा रहे हैं।

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इस योजना का नाम है जनौषधि सुविधा सैनिटरी नैपकिन योजना ( Public Health Sanitary Napkin Scheme )। यह योजना खासतौर पर महिलाओं के लिए बनाई गई है। अगर आप ही महिलाओं के प्रेरक हैं तो आप को इस योजना के बारे में जरूर पढ़ना चाहिए। आज हम आपको इसी योजना के बारे में पूरी जानकारी प्रदान करने जा रहे हैं ताकि आप ही महिलाओं की सुरक्षा के लिए और स्वच्छता के लिए बनाई गई इस योजना का फायदा उठा सकें।

क्या है जनौषधि सुविधा सैनिटरी नैपकिन स्कीम?

महिलाओं को मासिक धर्म के समय होने वाले कष्ट से हर कोई वाकिफ है । उस समय तो मात्र पीड़ा ही होती है लेकिन यदि मासिक धर्म के समय स्वच्छता ना बरती जाए तो इसके बाद यह बड़ी बीमारियों में भी तब्दील हो सकती हैं। इसी वजह से कई वैश्विक संगठनों के उनके अनुसार महिलाओं को मासिक धर्म के दौरान कपड़े का इस्तेमाल करके सैनिटरी नैपकिंस का इस्तेमाल करना चाहिए।

महंगे दामों पर मिलने वाली यह सैनिटरी नैपकिंस भारत में हर महिला के उपयोग में नहीं आ पाते। ऐसा इसलिए क्योंकि भारत का बड़ा वर्ग गरीब है या फिर मिडिल क्लास है। महिलाओं के इसी समस्या को दूर करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जनौषधि सुविधा सैनिटरी नैपकिन योजना ( Janaushaddhi Suvidha Sanitary Napkin Scheme) की शुरुवात की।

जनऔषधि सुविधा सेनेटरी नैपकिन योजना को 4 जून 2018 यानी कि विश्व पर्यावरण दिवस की पूर्व संध्या पर भारत सरकार द्वारा महिलाओं के लिए इस योजना को लॉन्च किया गया था। भारत सरकार इस योजना की मदद से मुख्य तौर पर भारत की हर महिला को सैनिटरी नैपकिन उपलब्ध करवाना चाहती है। यही नहीं यह सैनिटरी नैपकिन भारत की महिलाओं को उचित दामों पर उपलब्ध होगा ताकि हर कोई इसका फायदा उठा सकें। भारत सरकार द्वारा रखेंगे दामों के अनुसार यह सेनेटरी नैपकिन एक रुपए में मिला करेगी।

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क्या है योजना की आवश्यकता?

भारत देश में महिलाओं की स्थिति से तो हर कोई अच्छे से वाकिफ ही है। भारत में महिलाओं के प्रति लोगों के रूढ़िवादी सोच ही उनको सफल होने से रोक देती है। ऐसी ही एक सोच महिलाओं के शरीर की एक प्राकृतिक प्रक्रिया के प्रति है। मासिक धर्म यानी कि पीरियड्स जिनका नाम लेना भी भारत में गलत माना जाता है। इसी वजह से कई महिलाओं को इसके प्रति जागरूकता भी नहीं प्रदान की गई है।

खास तौर पर भारत के गांव में चली आ रही यह सोच महिलाओं के ऊपर खराब असर डालती हैं। भारत देश में अभी भी कई जगहों पर महिलाओं को मासिक धर्म के बारे में पूरी जानकारी नहीं है और ना ही उन्हें इस बात की जानकारी है कि मासिक धर्म के समय स्वच्छता ना रखने से उनके क्या नुकसान हो सकते हैं। इसी वजह से भारत में ज्यादातर जगहों पर अभी भी स्त्रियां मासिक धर्म के समय कपड़े का इस्तेमाल करती है।

भारत में 71% महिलाएं या लड़कियां ऐसी है जिन्हें मासिक धर्म के बारे में बिल्कुल भी जानकारी नहीं है तब तक जब तक वह खुद उनकोअनुभव नहीं करतीं। आपको यह जानकर हैरानी होगी कि भारत में महिलाओं की पूरी आबादी में से मात्र 36% आबादी ही है जो कि सैनिटरी नैपकिंस का उपयोग करती है।
सैनिटरी नैपकिंस की जगह बाकी कई चीजें उपयोग करती है जैसे कि कपड़ा, भूसा, राख ,गोबर , पत्ते , आदि। इसकी वजह से महिलाओं को कई बीमारियां भी हो सकती हैं जैसे कि डर्मेटाइटिस ,यूरिनरी ट्रैक्ट इनफेक्शंस, जेनिटल ट्रैक्ट इनफेक्शंस, आदि।

यही वजह है कि महिलाओं को माहवारी के समय भी अपनी स्वच्छता का ध्यान रखना बहुत ही आवश्यक होता है।

क्या है योजना का उद्देश्य?

सरकार द्वारा शुरू की गई इस योजना ( Janaushaddhi Suvidha Sanitary Napkin Scheme) का मुख्य उद्देश्य सर्वप्रथम महिलाओं की सुरक्षा ही है । महिलाओं को उनके स्वास्थ्य के प्रति जागरूक करना भी इस योजना का उद्देश्य है। जहां पूरे देश में मासिक धर्म के बारे में लोगों को जानकारी नहीं है वही कई जगह इसे अस्वच्छ भी माना जाता है। लोगों के बीच इसे प्राकृतिक प्रक्रिया के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए और साथ ही साथ उनकी रूढ़िवादी सोच को कम करने के लिए भी इस योजना की शुरूआत की गई।

क्या है योजना के फायदे?

यह योजना सरकार के द्वारा शुरू की गई एक बहुत ही महत्वकांशी योजना है। इसके उद्देश्य और फायदे कुछ इस प्रकार है–

  1. साधारण से कम दामों पर महिलाओं को सैनिटरी नैपकिंस उपलब्ध करवाए जाते हैं।
  2. यह सैनिटरी नैपकिंस किसी भी एक जन औषधि केंद्र पर उपलब्ध होते हैं।
  3. यह सैनिटरी नैपकिंस बायोडिग्रेडेबल यानी कि पर्यावरण के अनुकूल होते हैं जिसकी वजह से पर्यावरण को भी इनसे कोई खतरा नहीं है। ऐसा इसलिए क्योंकि कई सैनिटरी नैपकिंस होते हैं जो कि नॉन बायोडिग्रेडेबल होते हैं जिसकी वजह से और गंदगी फैलती है ।
    4.यह सैनिटरी नैपकिंस 4 के पैक में बेचे जाते हैं और इनका नाम “सुविधा” है।
  4. इसका फायदा महिला ले सकती है क्योंकि इनकी कीमत भी अनुकूल है। यह सैनिटरी नैपकिंस मात्र ₹1 में सभी महिलाओं को उपलब्ध करवाए जाते हैं। सरकार के द्वारा पहले इनका दाम 2.5 रुपए रखा गया था लेकिन इसके बाद बदल कर इन दामों को और कम कर दिया गया।
    6.1 रुपये में सब्सिडी वाले ऑक्सो-बायोडिग्रेडेबल सैनिटरी नैपकिन देश भर में 6,300 जनऔषधि केंद्रों पर उपलब्ध हैं।
    7.इस योजना के आरंभ होने से अधिक से अधिक महिलाएं सैनिटरी पैड्स का इस्तेमाल करेंगे और इससे महिलाओं के बीच मासिक धर्म स्वच्छता के प्रति जागरूकता में बढ़ावा होगा।

कितना हुआ काम?

इस योजना के अंतर्गत काम करना इतना आसान नहीं है। ऐसा इसलिए क्योंकि प्राचीन काल से चली आ रही लोगों की सोच को बदल पाना बहुत ही ज्यादा मुश्किल है।पिछले एक साल के दौरान जन औषधि केंद्रों से करीब 2.2 करोड़ सैनिटरी नैपकिन की बिक्री हुई है।
वहीं 10 जून 2020 तक प्रधान मंत्री भारतीय जनऔषधि केंद्रों पर 3.43 करोड़ से अधिक पैड बेचे गए हैं। यह बढ़ोतरी कीमतों में और कमी के बाद देखी गई है। जहां इन आंकड़ों से भारत में इस योजना की सफलता दर्ज की जाती है वहीं दूसरी ओर यह इतनी सफल नहीं हो पाई है क्योंकि ये आंकड़े अभी भी कम हैं।
कई लोगों को इस योजना के बारे में पता भी नहीं है जिसकी वजह से औरते इसका फायदा भी नहीं उठा पा रही है। इसी के साथ भारत देश में अभी भी जन औषधि केंद्रों की कमी है जिसकी वजह से महिलाएं इस सुविधा तक पहुंचने में भी नाकाम हो रही है।

जहां एक ओर महिलाओं के लिए कई योजनाएं भी शुरू की गई है वहीं दूसरी ओर महिलाओं के प्रति रूढ़िवादी सोच इन योजनाओं के सफलता में अड़ंगा बनी हुई है। सरकार ने इस योजना की शुरुआत तो कर दी लेकिन इससे पहले लोगों की सोच को कम करना और उसमें बदलाव करना सरकार की योजना में शामिल नहीं था। इसी वजह से सरकार को सबसे पहले तो लोगों की सोच में इस प्राकृतिक प्रक्रिया के प्रति बदलाव लाना ही होगा। फिलहाल तो सरकार द्वारा शुरू की गई है योजना काफी सराहनीय है।

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