
भारत देश में अस्पतालों और स्वास्थ्य सेवाओं की क्या स्थिति है इस बारे में हर कोई अच्छे से अवगत है। सरकार ने पूरे प्रयास किए हैं लेकिन इसी के साथ साथ कई लोग ऐसे भी हैं जो कि गरीब होने के कारण स्वास्थ्य सेवाओं का फायदा नहीं उठा पाते हैं। जिन लोगों के पास पैसा है वह लोग चिकित्सा पद्धति को अपना सकते हैं लेकिन गरीब लोगों के पास कम पैसा होने की वजह से वह महंगी स्वास्थ्य सेवाएं नहीं ले पाते हैं।
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यही वजह है कि भारत देश में अच्छे स्वास्थ्य सेवाएं सभी को उपलब्ध करवाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आयुष सेवाओं का उद्घाटन किया। इन सेवाओं की मदद से भारत की सरकार भारत में हर इंसान को उचित स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करती है। इन स्वास्थ्य सेवाओं का दाम भी कम होता है जिनकी वजह से हर कोई उन्हें मुहैया करवा सकता। आज हम आपको स्वास्थ्य सेवाओं के लिए एक नए मिशन के बारे में बताने जा रहे हैं जिसका नाम राष्ट्रीय आयुष मिशन (National Ayush Mission) है।
क्या है अभियान?
भारत देश में स्वास्थ्य सेवाएं सभी को मुहैया नहीं हो पाती है। ऐसा विश्वास सेवाओं के महंगे आचरण के कारण होता है। भारत में हेल्थ यानी की स्वास्थ्य को लेकर जागरूकता बढ़ी है। लोग खान-पान को लेकर भी अधिक सतर्क हो रहे हैं। लोगों को जागरूक बनाने के लिए प्रधानमंत्री द्वारा राष्ट्रीय आयुष मिशन की शुरुआत की गई है। इस मिशन का मकसद लोगों को बेहतर इलाज देना तो है ही, लेकिन साथ ही साथ उन्हें स्वास्थय के प्रति और जागरूक करना भी है।
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प्रधानमंत्री ने राष्ट्रीय आयुष मिशन योजना की शुरुआत 12वीं पंचवर्षीय योजना के तहत की थी । 15 सितंबर 2014 को राष्ट्रीय आयुष मिशन की शुरुआत की गई। स्वास्थ्य और कल्याण मंत्रालय की निगरानी में शुरू हुई राष्ट्रीय आयुष मिशन को लागू करने और ठीक तरह से संचालित करने की जिम्मेदारी आयुष विभाग को सौंपी गई थी। योजना का मकसद आयुष चिकित्सा पद्धति को बढ़ावा देना है जोकि सरकार ने शुरू की। आयुष चिकित्सा पद्धतिओं को किफायती आयुष सेवाओं, आयुष शैक्षणिक प्रणालियों को मजबूत करके आयुर्वेद, सिद्ध, यूनानी और होम्योपैथी दवाओं की उपलब्धी के जरिए बढ़ावा दिया जाएगा और यही इस अभियान (National Ayush Mission) का उद्देश्य है।
स्वास्थ्य और कल्याण मंत्रालय की निगरानी में शुरू हुई नेशनल आयुष मिशन को लागू करने और ठीक तरह से संचालित करने की जिम्मेदारी आयुष विभाग को सौंपी गई है। योजना का मकसद आयुष चिकित्सा पद्धति को बढ़ावा देना है जिसके बारे में हम आपको आगे बताएंगे। नेशनल आयुष मिशन की दिशा निर्देशों के अंतर्गत आयुष प्रोग्राम को कार्यन्वित करने की नम्यता की कल्पना की गयी है ।
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इसमें किफायती आयुष सेवाए प्रदान की जाएंगी। इसकी सार्वभौमिक पहुंच के लिए आयुष हॉस्पिटल एवं दवाओं को अपग्रेड किया जाएगा।
क्या है आयुष चिकित्सा पद्धति?
आयुष चिकित्सा पद्धति भारतीय चिकित्सा पद्धति है।आयुष (AYUSH) का पूर्ण अभिप्राय आयुर्वेद, योगा, यूनानी, सिद्ध एवं होम्योपैथी से है। आयुष मंत्रालय इन सभी स्वास्थ्य प्रणालियों के संवर्द्धन एवं विकास के लिए काम करती है।यही नहीं इन प्रणालियों के माध्यम से आमजन को स्वास्थ्य सेवाएँ प्रदान करना तथा इनसे संबंधित चिकित्सा शिक्षा के संचालन का कार्य भी इसी पद्धति के अंतर्गत आता है।
यहां आयुष का अर्थ AYUSH से है–
A- आयुर्वेद- पूर्णरूप से प्राकृतिक सिद्धांतों पर आधारित आयुर्वेद विश्व का प्राचीनतम चिकित्सा विज्ञान है जोकि भारत में उत्पन्न हुआ । आयुर्वेद के प्राचीनतम ग्रंथों में चरक संहिता, सुश्रुत संहिता एवं अष्टांग हृदयम प्रमुख ग्रंथ हैं। आयुर्वेद प्रमुख रूप से त्रिदोषों पर आधारित हैं यानी की- वात, पित्त और कफ पर आधारित है। इसके अनुसार तीनों दोष जब शरीर में में सम अवस्था में रहतें हैं तब मनुष्य स्वस्थ रहता है तथा दोषों की विषम अवस्था होने पर रोग उत्पन्न होते हैं।
Y-योग– योग मुख्य तौर पर एक जीवन पद्धति है, जिसे पतंजलि ने क्रमबद्ध ढंग से प्रस्तुत किया था। योग में यम, नियम, आसन, प्राणायाम, प्रत्याहार, धारणा, ध्यान व समाधि आठ अंग है।
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U-यूनानी –इस चिकित्सा पद्धति का उद्भव व विकास यूनान में हुआ था। भारत में यूनानी चिकित्सा पद्धति अरब लोगों के द्वारा पहुँची और यहाँ के प्राकृतिक वातावरण एवं अनुकूल परिस्थितियों की वजह से इस पद्धति का बहुत विकास हुआ। भारत में यूनानी चिकित्सा पद्धति के महान चिकित्सक और समर्थक हकीम अजमल खान थे जिन्होंने इस पद्धति के प्रचार-प्रसार में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया। इस पद्धति के मूल सिद्धांतों के अनुसार, रोग शरीर की एक प्राकृतिक प्रक्रिया है और रोग उत्पन्न होने पर रोग के लक्षण शरीर की प्रतिक्रिया के परिणामस्वरूप उत्पन्न होते हैं।
S-सिद्ध: यह भारत में दवा की सबसे पुरानी प्रणालियों में से एक है और ‘सिद्ध’ शब्द का अर्थ है उपलब्धियाँ। कहा जाता है कि भारत में अठारह सिद्धों यानी की संतों ने इस चिकित्सा प्रणाली के विकास की दिशा में योगदान दिया। यह भारत के तमिल भाषी हिस्से तथा विदेश में बड़े पैमाने पर प्रचलित है और सिद्ध प्रणाली काफी हद तक प्राकृतिक चिकित्सा में विश्वास रखती है।
H-होम्योपैथी- होम्योपैथी चिकित्सा पद्धति की उन्नति एक जर्मन डॉ. सैम्युल फ्रेडरिक हैनीमन द्वारा की गई थी। होम्योपैथी चिकित्सा पद्धति से विभिन्न रोगों का बहुत ही कम खर्च पर उपचार किया जा सकता है और यह हानिकारक भी नहीं है।
क्या हैं योजना के उद्देश्य?
राष्ट्रीय आयुष मिशन के कुछ मुख्य उद्देश्य निम्नलिखित है:
1.नेशनल आयुष मिशन (National Ayush Mission) के तहत अस्पतालों और औषधालयों के उन्नयन, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों और जिला अस्पतालों में आयुष सुविधाओं की सह स्थापना द्वारा लोगों तक आयुष की सुविधाओं को पहुंचाया जाएगा।
2.नेशनल आयुष मिशन के तहत आयुष शैक्षणिक संस्थानों, औषध परीक्षण प्रयोगशालाओं और एएसयू एवं एच प्रवर्तन तंत्र के उन्नयन के माध्यम से राज्य स्तर पर संस्थागत क्षमता सुदृढ़ करना भी इसका उद्देश्य है।
3.उत्तम कृषि पद्धतियों को अपनाकर औषधीय पेड़ और पौधों की कृषि में सहायता प्रदान करना ताकि गुणवत्तायुक्त कच्ची सामग्री की सतत आपूर्ति हो।
4.गुणवत्तायुक्त मानकों, उत्तम कृषि/संग्रहण/भंडारण पद्धतियों के लिए प्रमाणन तंत्र का समर्थन करना।
5.नेशनल आयुष मिशन के तहत खेती, भांडागारण, मूल्य की बढ़ोतरी करवाना और व्यापार के और भी ज्यादा प्रचार द्वारा समूहों की स्थापना में सहायता और उदयमियों के लिए अवसंरचना का विकास करना ।
6.आयुष सुविधाओं को प्राइमरी हेल्थ सेंटर, कम्युनिटी हेल्थ सेंटर एवं जिला हेल्थ सेंटर तक पहुंचाया जाएगा और उसका विकास किया जाएगा।
- औषधीय पौधो की खेती को अच्छी कृषि पद्धतिओ को अपनाके सपोर्ट प्रदान किया जाएगा जिससे नेशनल आयुष योजना के लिए अच्छी क्वालिटी का रॉ मटेरियल यानी की कच्चा माल प्रदान किया जाएगा।
8.राष्ट्रीय आयुश मिशन योजना के तहत देशभर में मौजूद सभी आयुष अस्पतालों और दवाओं को और अपग्रेड किया जाएगा।
9.आयुष मिशन योजना के तहत कई शहरों में योग वेलनेस सेंटर भी खोले जाएंगे।