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Prayagraj News: पूर्व उच्च शिक्षा मंत्री नरेंद्र सिंह गौर बोले- महाकवि ही नहीं, साहित्यकार हैं कुंवर चंद्र प्रकाश

महाकवि कुंवर चंद्र प्रकाश सिंह पर आधारित अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी का समापन

प्रयागराज: महाकवि कुंवर चंद्र प्रकाश सिंह की काव्य-भाषा, काव्य-शिल्प एवं भाव-भूमि अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी का सोमवार को समापन हो गया। उत्तर प्रदेश राजर्षि टंडन विवि में आयोजित कार्यक्रम में अमेरिका स्थित फिलाडेल्फिया से आईं डॉ. मीरा सिंह ने महाकाल कुंवर चंद्र प्रकाश सिंह के गीतों को भावों से परोसा। अंतिम दिन वाराणसी, आगरा, कोटा, बाराबंकी, बदौड़ा सहित कई देशी, विदेशी साहित्यिक पुरोधा मौजूद रहे। विवि के अटल सभागार में आयोजित कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्वलन के साथ हुआ। अतिथियों का स्वागत एडिशनल सॉलिसिटर जनरल ऑफ इंडिया शशि प्रकाश सिंह ने किया गया। यहां मुख्य अतिथि के रूप में मौजूद पूर्व उच्च शिक्षा मंत्री नरेंद्र सिंह गौर ने सभा को सम्बोधित किया। उन्होंने महाकवि कुंवर चंद्र प्रकाश को साहित्यकार और उनकी काव्य रचनाओं को राष्ट्रीयता से ओत-प्रोत बताया।

केंद्रीय हिंदी संस्थान के निदेशक ने की सत्र की अध्यक्षता

केंद्रीय हिंदी संस्थान आगरा के निदेशक, सुनील बाबूराव कुलकर्णी ने सत्र की अध्यक्षता की। उन्होंने कहा, जिस उद्देश्य से माखनलाल चतुर्वेदी रचना कर रहे थे, उसी को महाकवि कुंवर चंद्र प्रकाश ने विस्तार करते किया है।  केंद्रीय हिंदी संस्थान ने उन पर समीक्षा ग्रंथ, पुस्तकें एवं वृहद स्तर पर शोध कार्य कराये जाने की बात कही। कोटा राजस्थान से आए आचार्य हिमानी सिंह ने कुंवर की रचना को तत्सम शब्दों से भरपूर बताया। बाराबंकी स्थित एबीएस कॉलेज के डॉ. आशुतोष वर्मा ने महाकवि कुंवर चंद्र प्रकाश सिंह को हिंदी साहित्य का विरासत माना। कार्यक्रम के समापन पर आयोजन समिति के सदस्य शशि प्रकाश सिंह ने धन्यवाद ज्ञापन दिया तो वहीं कार्यक्रम का संचालन प्रोफेसर छत्रसाल सिंह ने किया।

ये लोग रहे मौजूद

कार्यक्रम के दौरान कई सत्र हुए जिसमें डॉ. कल्पना गवली, आचार्य, हिंदी विभाग एमएस विश्वविद्यालय बडौदा, डॉ. सोनू जेसवानी, डॉ. सुरेंद्र बहादुर सिंह चौहान, डॉ. बारेलाल जैन, डॉ. ममता तिवारी एवं डॉ. अनिल कुमार विश्वकर्मा सहित इलाहाबाद उच्च न्यायालय के अधिवक्ता उमेश कुमार सिंह मीडिया प्रभारी के साथ-साथ मनोज कुमार सिंह, शीतला प्रसाद गौड़, विवेक कुमार सिंह, भक्ति वर्धन सिंह, पूर्णेदु सिंह, विनय सिंह, कुलदीप  कुमार, कृष्णा अग्रवाल, आशीष कुमार सहित कई साहित्यकार, समीक्षक, शोधार्थी और साहित्य प्रेमियों की मौजूदगी रही।

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