
क्या युवाओं की आवाज सरकार तक पहुंचती है ?
Jobless Youth : जब बात भारत की आती है तो भारत दुनिया में दूसरा सबसे बड़ी आबादी वाला देश है लेकिन इससे भी बड़ी बात यह है कि भारत सबसे अधिक युवा आबादी वाला देश है यानी भारत के अंदर दुनिया के मुकाबले सबसे ज्यादा युवा रहते हैं। इसका सीधा अर्थ यह है कि आज भारत के पास वर्तमान में बाकियों से अच्छे मानव संसाधन मौजूद हैं अगर भारत युवा आबादी का सकारात्मक और अच्छा उपयोग ना कर सका युवाओं की ऊर्जा का अच्छा इस्तेमाल भारत अगर ना कर सका तो भारत के सक्षम भविष्य में एक गंभीर समस्या उत्पन्न हो सकती है।

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लेकिन क्या भारत में युवाओं की समस्या जिम्मेदारों तक पहुंच पाती है क्या जिम्मेदार भारत की युवाओं की समस्याओं को सुलझाने का प्रयास करते है? क्या भारत के युवाओं की आवाज सरकार तक पहुंचती है? अगर इन बातों का जवाब ढूंढें तो हां लेकिन युवाओं की समस्या कितनी हल हो जाती है इसका जवाब देश के अंदर मौजूद बेरोजगारी के आंकड़े बखूबी दर्शाते हैं।
जैसे-जैसे वक्त बदल रहा है और वक्त के साथ तकनीक भी बदल रही है ऐसे में भारत के युवा सोशल मीडिया पर ज्यादा एक्टिव होते हैं जहां से सरकार तक आसानी से पहुंचा जा सकता है युवा अपनी आवाज सोशल मीडिया के जरिए इतना उठा सकते हैं कि जिम्मेदारों के कानों तक वह अपने आप पहुंच जाए और उन सवालों के जवाब जिम्मेदारों को देना पढ़ें।
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हाल ही में एक ऐसा मामला सामने आया यहां युवा आबादी के रेलवे एसएससी और अन्य प्रतियोगिता परीक्षाओं या सरकारी नौकरी की तैयारी करने वाले तबके ने पिछले दिनों में केंद्र सरकार के प्रति गुस्सा जताते हुए सोशल मीडिया पर “रोजगार दो” अभियान चलाए थे जिसमें सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्विटर ने अपना अहम योगदान दिया था इतना ही नहीं, इस मुद्दे को मेंस्ट्रीम मीडिया नहीं दी काफी बढ़ावा दिया था और देश के लगभग हर चैनल में इस मुद्दे पर चर्चा भी हुई.
इस बात से यह बात तो साफ है कि छात्रों का यह तबका सरकार का ध्यान अपनी तरफ आकर्षित करने में लगा था कि किस तरीके से उनके भविष्य के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है साथ ही इसके पीछे इन युवाओं की प्रमुख मांगे हैं जैसे पूर्ण भर्ती प्रक्रिया में सालों क्यों लगते हैं? आखिर क्यों पूर्ण चयन प्रक्रिया को अधिक से अधिक पारदर्शी नहीं बनाया जाता।
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दरअसल इस तबके के चलते सिर्फ उम्मीदवारों का ही भविष्य प्रभावित नहीं होता बल्कि इनसे जुड़े लोगों पर भी इसका प्रभाव उतना ही होता है जितना कि छात्रों पर इनके परिवार के अलावा इसका नुकसान देश को भी उठाना पड़ता है सवाल है कि क्यों नहीं सरकार इस व्यवस्था को दुरुस्त करती है।
क्या सरकार इन व्यवस्थाओं को दुरुस्त करने के लिए कोई प्रयास नहीं करती ?
ऐसा नहीं है कि सरकार इन व्यवस्थाओं पर ध्यान नहीं देती बल्कि सरकार द्वारा कई ऐसी योजनाएं निकाली गई है जिसके चलते युवाओं को रोजगार लेने में समस्याओं का आस्था का सामना ना करना पड़े लेकिन यह सभी योजनाएं विफल होती देखी है सरकार ने प्रयास की है लेकिन प्रयास सफल हुए नहीं। अभी भी कई प्रदेशों में रोजगार देने के लिए पदों पर भर्तियां निकाली जा रही है, लेकिन बहुत ही नहीं जिससे भारत के हर योग्य युवा को रोजगार प्राप्त हो सके।
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युवाओं का आंदोलन केवल केंद्र सरकार को लक्ष्य करने तक ही सीमित नहीं रहता है सरकारी भर्तियों को लेकर लेटलतीफी जैसे जटिल समस्या राज्य स्तर पर भी बेहद चिंताजनक है मध्यप्रदेश हो बिहार हो राजस्थान हो उत्तर प्रदेश हो गुजरात हो या फिर हिमाचल प्रदेश सभी राज्यों में रोजगार को लेकर यही हाल है।
उदाहरण के तौर पर मध्य प्रदेश को लिया जाए तो यहां पर लोक सेवा आयोग 2019 की परीक्षा अभी तक समाप्त नहीं हो पाई यह दुर्भाग्य की बात है कि प्रधानमंत्री ना मुख्यमंत्री और ना ही किसी मंत्री ने इस पर कोई प्रतिक्रिया जाहिर करी है.
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ऐसी क्या वजह है कि सरकार इतनी निष्क्रिय हो चली है कि वह अपने जवाबदेही से लगातार पीछे हट रही है यह कैसा लोकतंत्र है कि 1 वर्ग सरकार तक अपनी बात पहुंचाने के लिए इतने बड़े स्तर पर आंदोलन चलाता है इसके बावजूद सरकार की कानों तक आवाज नहीं पहुंचती है या यूं कहें कि सरकार आवाज को अनसुना कर देती है।