
शहादत की निशानियों व कहानियों को साझा करने के लिए आयोजित हुआ सैन्य साहित्य सम्मेलन
अनूठी व प्रेरक कहानियों तथा निशानियों को साझा करने के लिए 'लखनऊ सैन्य साहित्य सम्मेलन' मंच बनाया गया है। इस मंच पर स्मृतियां व उनको संजोने के अनूठी पहल पर लखनऊ सैन्य साहित्य की चौथी कड़ी में विचार विमर्श किया गया।
लखनऊ : शहादत की कई कहानियां व निशानियां हैं। इन्हीं अनूठी व प्रेरक कहानियों तथा निशानियों को साझा करने के लिए ‘लखनऊ सैन्य साहित्य सम्मेलन’ मंच बनाया गया है। स्मृतियां व उनको संजोने के अनूठी पहल पर लखनऊ सैन्य साहित्य की चौथी कड़ी में विचार विमर्श किया गया। एक सुर में वक्ताओं ने कहा कि देश के लिए वीरगति को प्राप्त सपूतों की स्मृतियों को बिना किसी की तरफ देखे, सभी को अपने स्तर पर सहेजने के लिए प्रयास करना चाहिए। हर घर से प्रत्येक व्यक्ति को ऐसे प्रयास करना चाहिए।
इस सैन्य साहित्य सम्मेलन में विंग कमांडर अफ्राज ने कहा कि देश के 2600 शहीदों का विवरण उनके द्वारा चलाई गई वेबसाइट आनर प्वाइंट समेटे हुए है तथा सबसे बड़ी विश्व की आभासी स्मृतिका भी कही जा सकती है, लाखों लोग जिस पर लॉग इन कर चुके हैं।
प्रख्यात लेखिका प्रीति गिल ने कहा कि 1971 के युद्ध में उनके परिवार के सदस्य शहीद लेफ्टीनेंट स्वर्णजीत सिंह गिल की याद में वह साहित्य सम्मेलन चला रही हैं। साहित्य के माध्यम से उनके स्मृति अवशेषों को जीवंत रखने की कोशिश हो रही है।
सोनल कपाड़िया ने कहा कि लेफ्टिनेंट नवांग कपाड़िया जो उनके छोटे भाई है आभासी स्मृति चिह्न उनकी स्मृति में बीस वर्षों से बनाया गया है लाखों लोग उस पर अपनी श्रद्धांजलि सभा को अर्पित कर चुके हैं। इस त्रास्दी से निपटने का बल पुरस्कार, ट्राफी व इसी प्रकार के स्मृति चिह्न प्रियजनों को दिया जाता हैं।
एक और सदस्या परिचर्चा में शेरिल आस्ट्रेलिया से जुड़ीं। शेरिल ने बताया कि 1962 के युद्ध में पिता जान डाल्वी शहीद हुए थे। अपने अनुभवों का शेरिल ने मर्मस्पर्शी तरीके से बताया। मेजर जनरल हेमंत कुमार सिंह ने परिचर्चा का संचालन किया। भारत में युद्ध स्मारकों पर जनरल सिंह ने अपना शोध यूनाइटेड सर्विसेज इंस्टीट्यूट आफ इंडिया के संरक्षण में किया है, पुस्तक रूप में जो शीघ्र प्रकाशित होने जा रहा हैं।
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