राष्ट्रीय किसान मोर्चा का गठन, सरकार से की जाएगी बातचीत की कोशिश !
नए कृषि कानूनों के विरोध में जारी गतिरोध को समाप्त करने के लिए बुधवार को किसानों और सरकार के बीच किसान नेता वीएम सिंह के नेतृत्व में राष्ट्रीय किसान मोर्चे का गठन किया गया। बुधवार को गुरुद्वारा रकाबगंज में 20 राज्यों के 100 से ज्यादा किसान नेता शामिल हुए।
वी. एम. सिंह को सर्वसम्मति के साथ राष्ट्रीय किसान मोर्चे का संयोजक बनाया गया। गुरुवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को राष्ट्रीय किसान मोर्चे की ओर से एक चिट्ठी भेजी जाएगी। नए कृषि कानूनों में संशोधित करने की मांग को लेकर सरकार को चिट्ठी भेजी जाएगी।
वी. एम. सिंह द्वारा अखिल भारतीय किसान समन्वय समिति बनाकर दिल्ली चलो का आह्वान किया गया था। देशभर से किसान दिल्ली आएं और अपने तरीके से कृषि कानूनों के विरुद्ध लड़ाई लड़ी। दिल्ली की सीमा पर आंदोलन पर बैठे किसान मोर्चे ने सरकार से कई बार बात की।
किसानों के हित में आठ महीने बाद भी कोई नतीजा नहीं निकला सका, बल्कि और उलझता चला गया। वर्तमान में हालत ऐसे हो गए कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और केंद्रीय कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर कह रहे हैं कि, किसान बातचीत के लिए तैयार नहीं और किसान नेता कहते हैं कि जब तक सरकार तीनों काले कृषि कानून वापस नहीं करते वे लोग सरकार से बातचीत नहीं करेंगे।
वीएम सिंह ने कहा कि लोकतांत्रिक संरचना में किसानों का भला ऐसे नहीं होने वाला। राष्ट्रीय किसान मोर्चा बनाकर सरकार गुत्थी को सुलझाने का प्रयास कर रही है।
वी. एम. सिंह ने कहा कि देशभर से आए किसान चाहते हैं कि वर्तमान समय में संसद सत्र चालू है, सरकार नए कृषि कानून में चार संशोधन कर किसानों से बात करे।
- एमएसपी की गारंटी दी जाए।
- किसानों को कोर्ट जाने के लिए आजाद।
- किसान की जमीन पर कुछ न करने की गारंटी।
- फसल का तत्काल सरकारी खरीद केंद्रों पर भुगतान की गारंटी मिले।
वीएम सिंह ने कहा किसानों से सरकार अगली बातचीत कैमरों, टेलीविजन के सामने की जाए। और किसानों को विश्वास दिलाया जाए कि एमएसपी पर खरीद न होने पर दंड का प्राविधान होगा।
किसान आंदोलन के दौरान जितने किसानों की मौत हुई उनके परिवार वालों को 10 लाख रुपये मुआवजा दे। इसके साथ 26 जनवरी में हिंसा में किसानों पर हुए सभी मुकदमे वापस लिए जाएं। उन्होंने कहा की सरकार किसानों के हित के बारे में जरूर सोचेगी।