दिल्ली में उपराष्ट्रपति ने किया संगीतकारों और कलाकारों को किया गया सम्मानित, दिया जीने का ये मंत्र
दिल्ली के विज्ञान भवन में ललित कला अकादमी और संगीत नाटक अकादमी सम्मान कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इसके बाद ललित कला अकादमी परिसर में 62वीं राष्ट्रीय कला प्रदर्शनी शुरू हुई।
उपराष्ट्रपति ने दिया नया मंत्र
इस मौके पर उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने एक नया मंत्र दिया, नेचर, कल्चर टुगेदर फॉर बेटर फ्यूचर। यानी बेहतर भविष्य के लिए प्रकृति और कला का तालमेल बेहद जरूरी है। कलाकारों को सम्मानित करने के बाद उपराष्ट्रपति ने देश के अलग-अलग राज्यों, क्षेत्रों और अंचलों की संस्कृति और परंपरा का जिक्र करते हुए कहा कि, हमारी भाषाएं बेशक अलग हों लेकिन संस्कृति हमें एक सूत्र में बांधती है। हमें दुनिया के किसी भी कोने में अपनी पोशाक, भाषा या सांस्कृतिक परंपराओं को बताने में संकोच नहीं करना चाहिए क्योंकि यही हमारी पहचान है और हमारा गौरव भी है। कहा कि मैं जहां भी जाता हूं अपनी पारंपरिक वेशभूषा में ही जाता हूं। और मुझे इसमें गर्व होता है। उन्होंने कहा कि हमें अपना माइंड सेट बदलना होगा और छोटी उम्र से ही बच्चों में ये संस्कार देने होंगे, साथ ही उनकी कला और प्रतिभा को प्रोत्साहित करना होगा।
दलित कला अकादमी की संख्या बढ़ी
केंद्रीय संस्कृति मंत्री जी किशन रेड्डी और संस्कृति राज्य मंत्री मीनाक्षी लेखी ने। संस्कृति मंत्री ने प्रदर्शनी का उद्घाटन किया। इस दौरान उन्होंने बताया कि, आजादी के अमृत महोत्सव के दौरान अब ललित कला अकादमी पुरस्कारों की संख्या 15 से बढ़ाकर 20 कर दी गई है। और हमारी कोशिश है कि, उन गुमनाम कलाकारों को सामने लाया जाए जिन पर कम ही लोगों का ध्यान जाता है। यानी कला के क्षेत्र में अनसंग हीरोज़ की तलाश करना हमारा लक्ष्य है।
ज्ञान खोजने के लिए भारत आते हैं लोग
संस्कृति राज्यमंत्री मीनाक्षी लेखी ने भारत में कला के कई रूपों का जिक्र किया और कहा कि, भारत विश्वगुरु इसीलिए माना गया है क्योंकि ज्ञान खोजने के लिए लोग यहीं आते थे। ललित कला अकादमी की अध्यक्ष उमा नंदुरी ने पुरस्कृत कलाकारों को बधाई देते हुए वादा किया कि, अकादमी देश में ललित कलाओं के प्रसार के लिए और कलाकारों को पहचान दिलाने के लिए लगातार कोशिश करती रहेगी।