इस माह हो सकती है ब्रिक्स की कई अहम बैठक, भारत कर रहा अध्यक्षता
क्वाड में शामिल होने के बावजूद भारत मानता है कि ब्रिक्स जैसे संगठनों की भी प्रासंगिकता आगे बनी रहेगी। यही वजह है कि चीन के साथ तनाव के बावजूद वह ब्रिक्स की हर बैठक को अहमियत देता है।
नई दिल्ली : इस समय ब्रिक्स के तहत तमाम बैठकों का दौर चल रहा है। ऐसे में पूर्वी लद्दाख में एलएसी पर स्थित गोगरा इलाके में सैन्य तैनाती खत्म करने में भारत और चीन का फैसला आगामी ब्रिक्स बैठक पर भी अच्छा असर डाल सकती है। ब्रिक्स द्वारा आयोजित सभी बैठक डिजिटल माध्यम के जरिये ही हो रहे हैं।
इसी कर्म में आगे बढ़ते हुए इस महीने भी ब्रिक्स पर्यावरण मंत्रियों, वित्त मंत्रियों, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों की अलग-अलग बैठकें होंगी, लेकिन शिखर बैठक की तिथि को लेकर सदस्य देशों के बीच अभी अंतिम फैसला नहीं हो पाया है। गौरतलब है कि ब्रिक्स में शामिल पांच देशों ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका के संगठन की अध्यक्षता इस बार भारत कर रहा है।
सियासी बुद्धिजीवियों का मानना है कि अगर एलएसी पर स्थित दो अन्य क्षेत्रों हाट स्प्रिंग व देपसांग में सैन्य तनाव खत्म करने को लेकर भी सहमति जल्द बन जाती है तो फिर सामान्य रूप से शिखर सम्मेलन की संभावना भी बन सकती है। भारतीय पक्ष यह मान कर चल रहा है कि पूर्वी लद्दाख में एलएसी पर स्थित गोगरा इलाके को खाली करने के बाद चीन बचे हुए दो इलाकों से सैनिकों को फिर पहले जैसी स्थिति पर ले जाने के लिए भी जल्द ही तैयार हो जाएगा।
दोनों ही देशों के बीच इस बारे में कूटनीतिक स्तर की अगली वार्ता को लेकर एक दूसरे से संपर्क बना हुआ है। वहीँ, दोनों देशों के बीच पैदा हुए सैन्य तनाव कम करने के लिए बारी-बारी से कूटनीतिक और कमांडर स्तर की वार्ता चल रही है। पिछले वर्ष भी ब्रिक्स की शिखर बैठक का आयोजन वर्चुअल ही किया गया था।
हालांकि तब ब्रिक्स के रक्षा मंत्रियों और विदेश मंत्रियों की बैठक सामान्य रूप से हुई थी, लेकिन शिखर बैठक के लिए वर्चुअल जरिया ही चुना गया था। भारत पर रूस के द्वारा पद रहे दबाव के बावजूद भारत ने सामान्य बैठक के लिए रजामंदी नहीं दी।
भारत-रूस शिखर बैठक के लिए इस बार रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को भी भारत आना है। इस पूरे मामले पर उनकी पीएम नरेंद्र मोदी से टेलीफोन पर बात हुई है। दोनों देश इस वर्ष शिखर बैठक को हर हाल में आयोजित करना चाहते हैं। हर वर्ष होने वाली यह बैठक 2020 में नहीं हो पाई थी।
वहीँ, कई अंतरराष्ट्रीय जानकार हाल के दिनों में भारत और चीन के रिश्तों में लगातार तनाव को देखते हुए ब्रिक्स के भविष्य को लेकर भी सवाल उठाने लगे हैं। आपको बता दें कि भारत अमेरिका के नेतृत्व में क्वाड में शामिल होने के बावजूद मानता है कि ब्रिक्स जैसे संगठनों की भी प्रासंगिकता आगे बनी रहेगी।
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